पेयजल के भौतिक एवं रासायनिक परिक्षणों के अतिरिक्त उन जल श्रोतों का स्वास्थ्य सम्बंधी सर्वेक्षण करना भी अति आवश्यक है, जहाँ से जल आता है।
पेयजल के परीक्षण का मुख्य उद्देश्य पेयजल की गुणवत्ता का आंकलन करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जल पीने के योग्य है अथवा नहीं।
स्वास्थ्य सम्बंधी सर्वेक्षण के मुख्य कारण निम्न हैः-
• सम्भावित क्षेत्रों की दशाओं को जानना, जो जल को दूषित कर सकते हैं।
• यदि जल में परीक्षण के फलस्वरूप जीवाणु पाये जाते हैं तो सम्भावित खतरों को खोजने में यह सर्वेक्षण सहायक होता है।
• जीवाणुओं की उपस्थिति में, सर्वेक्षण आवश्यक व्याख्या करने में सहायक होता है।
• उपरोक्त जानकारियां तथा ऑकड़े, परिक्षणकर्ता को भी परिक्षण की उपयुक्त व्याख्या के लिए अतिआवश्यक होते हैं।
• पीने योग्य पानी वह है, जो पीने के लिए सुरक्षित हो, स्वादयुक्त हो तथा जिसे घरेलू कार्यों में उपयोग किया जा सके।
• दूषित जल वह है, जिसमें सूक्ष्म जीवाणु, हानिकारक रसायन, औद्योगिक अवशिष्ट पदार्थ आदि पाये जाते हैं, पीने के लिए असुरक्षित होता है। दूषित जल एवं प्रदूषित जल पर्यायवाची हैं।
पेयजल की गुणवत्ता का परीक्षण सामान्यतः 3 विभिन्न मानक परीक्षणों के आधार पर किया जाता है, जो निम्न हैः-
पेयजल के परीक्षण का मुख्य उद्देश्य पेयजल की गुणवत्ता का आंकलन करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जल पीने के योग्य है अथवा नहीं।
स्वास्थ्य सम्बंधी सर्वेक्षण के मुख्य कारण निम्न हैः-
• सम्भावित क्षेत्रों की दशाओं को जानना, जो जल को दूषित कर सकते हैं।
• यदि जल में परीक्षण के फलस्वरूप जीवाणु पाये जाते हैं तो सम्भावित खतरों को खोजने में यह सर्वेक्षण सहायक होता है।
• जीवाणुओं की उपस्थिति में, सर्वेक्षण आवश्यक व्याख्या करने में सहायक होता है।
• उपरोक्त जानकारियां तथा ऑकड़े, परिक्षणकर्ता को भी परिक्षण की उपयुक्त व्याख्या के लिए अतिआवश्यक होते हैं।
• पीने योग्य पानी वह है, जो पीने के लिए सुरक्षित हो, स्वादयुक्त हो तथा जिसे घरेलू कार्यों में उपयोग किया जा सके।
• दूषित जल वह है, जिसमें सूक्ष्म जीवाणु, हानिकारक रसायन, औद्योगिक अवशिष्ट पदार्थ आदि पाये जाते हैं, पीने के लिए असुरक्षित होता है। दूषित जल एवं प्रदूषित जल पर्यायवाची हैं।
पेयजल की गुणवत्ता का परीक्षण सामान्यतः 3 विभिन्न मानक परीक्षणों के आधार पर किया जाता है, जो निम्न हैः-
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