बिहार सरकार 22 मार्च 2010 को विश्व जल दिवस के अवसर पर पेयजल और स्वच्छता नीति की घोषणा करेगी। लोक स्वास्थ्य और अभियांत्रिकी मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि बिहार सरकार बहुत तेजी से जल और स्वच्छता के बारे में एक मुकम्मल नीति बनाना चाहती है। इस मसौदे पर काम चल रहा है।
मसौदा के बारे में श्री चौबे ने स्पष्ट करते हुए कहा कि सरकार की नीति में पीने के पानी को शीर्ष प्राथमिकता होगी। सरकार दोहरी जल आपूर्ति पर भी काम कर रही है। ताकि जल को साफ किया जा सके। सरकार जिला स्तर और राज्य स्तर पर निगरानी समितियाँ भी बनायेगी जो सतही पानी, जमीनी पानी और वर्षा जल के अधिकतम के समूचित उपयोग पर नियंत्रण रखेंगी। बिहार सरकार एक भूजल विनियामक प्राधिकरण भी स्थापित करेगी जो भूजल संरक्षण और उपयोग पर नियंत्रण रखेगी।
श्री चौबे ने कहा कि नीति का मुख्य उद्देश्य जल प्रबंधन और संरक्षण के साथ कुशल उपयोग को बढ़ावा देना है। क्योंकि बिहार का एक बड़ा हिस्सा पीने के पानी की कमी से जूझ रहा है। गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, मुंगेर, कैमुर, नवादा और भागलपुर के कई हिस्सों में गर्मी में पम्प, कुओं में पानी नहीं रह जाता है। मगर अब साफ पानी और सफाई की गारंटी के लिए आने वाले दिनों में कियोस्क काम करने लगें तो हैरत नहीं। इसके लिए हर प्रखंड में एक कियोस्क स्थापित करने की योजना पर सरकार काम कर रही है। दरअसल बिहार के लिए बन रही पेयजल और स्वच्छता नीति में यह परिकल्पना की गयी है। पेयजल और स्वच्छता को लेकर कोई परेशानी हो तो कियोस्क के माध्यम से लोग अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे और कार्रवाई के बारे में भी जानकारी हासिल कर सकेंगे। बल्कि लोग इसके माध्यम से पेयजल और स्वच्छता से संबंधित कार्यक्रमों के बारे में भी विस्तृत जानकारी हासिल कर सकेंगे।
मंत्री महोदय ने लोगों से अपील की है कि वे जल और स्वच्छता नीति पर अपने सुझाव जरुर दें। मसविदे में कहा गया है कि पेयजल और स्वच्छता के लिए एक समेकित नीति बनाई जाएगी और इससे संबंधित सभी सेवाओं को एकीकृत कर दिया जाएगा। यह देश में अपनी तरह का पहला प्रयोग होगा। साथ ही पेयजल और स्वच्छता के क्षेत्र में अकादमिक और तकनीकी संस्थाओं, एनजीआ॓, सीवीआ॓ की भागीदारी सुनिश्चित कराई जाएगी। इसके अलावा स्थाई पेयजल सुरक्षा के लिए पंचायत स्तर पर जल सुरक्षा योजना का निर्माण किया जाएगा और उसके आधार पर योजनाओं का वित्तीय पोषण किया जाएगा। इसके साथ ही रखाखाव-कौशल निर्माण के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे। आर्सेनिक, फ्लोराइड और लौह प्रबंधन के लिए विशेष कार्यदल गठित करने का भी प्रस्ताव है। वहीं इन अयस्कों से प्रभावित भू-जल वाले इलाकों में अगले पांच सालों में पाइप पेयजल आपूर्ति योजना के मार्फत इस समस्या के स्थाई समाधान की बात कही गई है। पेयजल और स्वच्छता नीति के मसविदे में कहा गया है कि लक्ष्यों के समयबद्ध प्राप्ति के लिए त्रिस्तरीय अनुश्रवण समिति का गठन किया जाएगा। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति 40 लीटर पेयजल मुहैया कराने की बात की गई है, जिसे कालांतर में बढ़ाकर 70 लीटर करने का लक्ष्य है। इसके अलावा महिलाओं और कमजोर वर्ग के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कराई जाएगी। पेयजल और स्वच्छता हर घर में पहुंचाने के लिए पंचायत स्तर पर एक व्यक्ति को नामित किया जाएगा, जिसे प्रारिश्रमिक देने का प्रावधान होगा।
नीति का पूरा ड्राफ्ट देखने के लिए अटैंचमेन्ट से डाउनलोड करें।
मसौदा के बारे में श्री चौबे ने स्पष्ट करते हुए कहा कि सरकार की नीति में पीने के पानी को शीर्ष प्राथमिकता होगी। सरकार दोहरी जल आपूर्ति पर भी काम कर रही है। ताकि जल को साफ किया जा सके। सरकार जिला स्तर और राज्य स्तर पर निगरानी समितियाँ भी बनायेगी जो सतही पानी, जमीनी पानी और वर्षा जल के अधिकतम के समूचित उपयोग पर नियंत्रण रखेंगी। बिहार सरकार एक भूजल विनियामक प्राधिकरण भी स्थापित करेगी जो भूजल संरक्षण और उपयोग पर नियंत्रण रखेगी।
श्री चौबे ने कहा कि नीति का मुख्य उद्देश्य जल प्रबंधन और संरक्षण के साथ कुशल उपयोग को बढ़ावा देना है। क्योंकि बिहार का एक बड़ा हिस्सा पीने के पानी की कमी से जूझ रहा है। गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, मुंगेर, कैमुर, नवादा और भागलपुर के कई हिस्सों में गर्मी में पम्प, कुओं में पानी नहीं रह जाता है। मगर अब साफ पानी और सफाई की गारंटी के लिए आने वाले दिनों में कियोस्क काम करने लगें तो हैरत नहीं। इसके लिए हर प्रखंड में एक कियोस्क स्थापित करने की योजना पर सरकार काम कर रही है। दरअसल बिहार के लिए बन रही पेयजल और स्वच्छता नीति में यह परिकल्पना की गयी है। पेयजल और स्वच्छता को लेकर कोई परेशानी हो तो कियोस्क के माध्यम से लोग अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे और कार्रवाई के बारे में भी जानकारी हासिल कर सकेंगे। बल्कि लोग इसके माध्यम से पेयजल और स्वच्छता से संबंधित कार्यक्रमों के बारे में भी विस्तृत जानकारी हासिल कर सकेंगे।
मंत्री महोदय ने लोगों से अपील की है कि वे जल और स्वच्छता नीति पर अपने सुझाव जरुर दें। मसविदे में कहा गया है कि पेयजल और स्वच्छता के लिए एक समेकित नीति बनाई जाएगी और इससे संबंधित सभी सेवाओं को एकीकृत कर दिया जाएगा। यह देश में अपनी तरह का पहला प्रयोग होगा। साथ ही पेयजल और स्वच्छता के क्षेत्र में अकादमिक और तकनीकी संस्थाओं, एनजीआ॓, सीवीआ॓ की भागीदारी सुनिश्चित कराई जाएगी। इसके अलावा स्थाई पेयजल सुरक्षा के लिए पंचायत स्तर पर जल सुरक्षा योजना का निर्माण किया जाएगा और उसके आधार पर योजनाओं का वित्तीय पोषण किया जाएगा। इसके साथ ही रखाखाव-कौशल निर्माण के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे। आर्सेनिक, फ्लोराइड और लौह प्रबंधन के लिए विशेष कार्यदल गठित करने का भी प्रस्ताव है। वहीं इन अयस्कों से प्रभावित भू-जल वाले इलाकों में अगले पांच सालों में पाइप पेयजल आपूर्ति योजना के मार्फत इस समस्या के स्थाई समाधान की बात कही गई है। पेयजल और स्वच्छता नीति के मसविदे में कहा गया है कि लक्ष्यों के समयबद्ध प्राप्ति के लिए त्रिस्तरीय अनुश्रवण समिति का गठन किया जाएगा। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति 40 लीटर पेयजल मुहैया कराने की बात की गई है, जिसे कालांतर में बढ़ाकर 70 लीटर करने का लक्ष्य है। इसके अलावा महिलाओं और कमजोर वर्ग के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कराई जाएगी। पेयजल और स्वच्छता हर घर में पहुंचाने के लिए पंचायत स्तर पर एक व्यक्ति को नामित किया जाएगा, जिसे प्रारिश्रमिक देने का प्रावधान होगा।
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