पांडरपुरी के ग्रामीण बना रहे खंडी नदी में बाँध

छत्तीसगढ़ के एक गांव में डेढ़ सौ महिला-पुरुषों ने उठाया बीड़ा


श्रमदान कर खंडी नदी में बांध बनाने जुटे पांडरपुरी के ग्रामीणश्रमदान कर खंडी नदी में बांध बनाने जुटे पांडरपुरी के ग्रामीणप्रशासन की लगातार उपेक्षा के बाद गांव की निस्तारी की समस्या को हल करने ग्राम पांडरपुरी के ग्रामीणों ने 150 फीट चौड़ी खंडी नदी में श्रम दान कर अस्थाई बाँध बनाने का बीड़ा उठाया। ग्रामीणों ने 6 जनवरी से बाँध बनाने की शुरुआत भी कर दी है। सीमेंट की खाली बोरियों में रेत भर कर बनाए जा रहे इस अस्थाई बाँध में कोई रकम नहीं लगेगी बल्कि पुरा निर्माण श्रमदान से ही संपन्न होगा। इसके लिए गांव के 150 से अधिक महिला पुरुष जुट कार्य में जुटे हैं।

ग्रामीण जीवन राम चेरिया, बंसुराम रावटे, ग्राम पटेल महारसिंह रावटे, शंकर नरेट, उदय रावटें, शत्रुबरसेल, गोकुल पटेल, दशरू पटेल, मनीराम खड़टे, कार्तिक भुआर्या, उमेंद्र पटेल, फूलकुवंर निषाद, बृजबाई रावटे, देवकुंवर रावटे, जगत्री भूआर्य, फूलकुवंर पटेल आदि ने बताया ग्राम पांडरपुरी ग्राम पंचायत कन्हारगांव का आश्रित गांव है जिसमें कुल 80 परिवार रहते हैं। गर्मी के दिनों में गांव में निस्तारी की समस्या उत्पन्न हो जाती है। गांव के दोनों तालाब ठंड के मौसम जाते-जाते ही सूख जाते हैं। इसके साथ-साथ ही गांव के किनारे से होकर बहने वाली खंडी नदी में बाँध नहीं होने तथा पहाड़ी नदी होने के कारण वह जल विहीन हो जाती है। जिससे पशुओं को पीलाने, नहलाने अलावा स्वयं के निस्तारी की समस्या उत्पन्न हो जाती है। यदि गांव के दोनों तालाबों में गहरीकरण करवाया जाए तो यह समस्या हल हो सकती है। लेकिन इसके लिए ग्राम पंचायत, ग्राम सभा सहित ग्राम सुराज अभियान में कई-कई बार आवेदन करने के बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो ग्रामीणों ने इस समस्या से निजात पाने के लिए स्वयं प्रयास करने का फैसला किया और बाँध बनाने में जुट गये हैं।

नदी का प्रवाह रोकने के लिए मजबूत दीवार जरूरी


ग्रामीणों ने बताया नदी में पानी का प्रवाह अभी कम हैं लेकिन इसे रोकने के लिए काफी मजबूत दीवार की आवश्यकता होगी। क्योंकि जब पानी का प्रवाह बंद हो जाएगा तो यहां अथाह जल एकत्र होगा। जिसे संभाले रखने की मजबूती आवश्यक है। इसके लिए सीमेंट की खाली बोरियों में रेत भरकर एक के ऊपर एक लगाकर 12-15 फीट चौड़ी व 10 फीट ऊंची दीवार बनाई जाएगी। नदी के एक किनारे से पानी निकलने का रास्ता छोड़ा जाएगा। जिससे बाँध में लबालब पानी भर जाने के बाद अतिरिक्त पानी प्रवाहित होता रहेगा। ग्रामीणों के अनुसार इसी तरह से पुरा गांव मील जुलकर जुटा रहेगा तो 4-5 दिनों में यह अस्थाई बांध पुरा हो जाएगा। जिससे ग्रामीणों की निस्तारी की समस्या तो हल होगी ही साथ ही आस-पास के कृषकों के लिए सिंचाई का साधन भी उपलब्ध होगा और क्षेत्र का वॉटर लेबल भी बढ़ जाएगा।

सब कर रहे सहयोग


ग्रामीणों के इस अभिनव प्रयास में सहयोग करने के लिए कुछ लोग आगे आये हैं। कन्हारगांव के अशोक यदु, रानवाही के द्वारका पटेल ने सीमेंट की खाली बोरियों का इंतजाम किया है। वहीं पूर्व जिला पंचायत सदस्य देवबत्ती रावटें जो इसी गांव की निवासी हैं बाँध बनाने के काम में पसीना बहा रही हैं। घमेला में रेती ढुलाना, बोरों में रेती भरना जैसे कार्य करके व ग्रामीणों को भी प्रोत्साहित कर रही हैं। इस काम के शुरू होने में वन प्रबंधन समिति पांडरपुरी और वन विभाग के अधिकारियों की अहम भूमिका रही। जिन्होंने बाँध बनाने के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया तथा आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई।

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