पानी सोखते चमचमाते होटल

पर्यावरण विभाग के अधिकारी के मुताबिक जल्द ही राजधानी के बाकी बचे अन्य होटलों को भी पानी की बर्बादी रोकने के लिए कदम उठाने के लिए नोटिस भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार इस मामले में किसी भी प्रकार की आनाकानी को बिल्कुल बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। जल संरक्षण के लिए जो भी संभव होगा, वो सब किया जाएगा क्योंकि गर्मियों में हर साल दिल्ली के लोगों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ती है। भीषण गर्मी के दौरान जल संकट न हो इसके लिए दिल्ली सरकार ने राजधानी के सभी पांच सितारा होटलों को पानी की खपत में कमी लाने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। सरकार की तरफ से साफ-साफ शब्दों में कहा गया है कि वह जलबोर्ड के पानी का उपयोग केवल और केवल पीने व भोजन बनाने में उपयोग करें। अन्य कामों के लिए दूषित जल को पुनः उपयोग में लाने लायक बनाने की सलाह दी गई है। दिल्ली सरकार ने इसके लिए सभी होटल प्रबंधकों को ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का निर्देश दिया है। दिल्ली सरकार की तरफ से इन होटलों को जल संरक्षण के लिए जून तक का समय दिया गया है। इस समयावधि के दौरान इन सबों से कई ‘ठोस कदम’ उठाने और सितंबर तक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए कहा गया है। पर्यावरण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक राजधानी के सभी 35 पांच सितारा होटलों को हलफनामा दायर कर उन उपायों के बारे में बताने को कहा गया है जो वे जल की खपत घटाने के लिए कर रहे हैं। उन्हें सितंबर तक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने को कहा गया है।

ग़ौरतलब है कि दिल्ली में पांच सितारा होटलों में प्रतिदिन करीब 1.4 करोड़ लीटर पानी की खपत करते हैं और इन होटलों से करीब एक करोड़ लीटर दूषित जल निकलता है। पर्यावरण विभाग के अधिकारी के मुताबिक होटल प्रबंधन अगर दूषित जल को ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए पुनः उपयोग में लाने लायक बना ले तो काफी हद दिल्ली में गर्मी के दौरान होने वाली पानी की कमी को कम किया जा सकता है। दिल्ली में इस समय पेयजल की औसत दैनिक मांग करीब 110 करोड़ गैलन की है और वर्तमान में दिल्ली जल बोर्ड पूरे शहर में करीब 80 करोड़ गैलन पेयजल की दैनिक आपूर्ति कर रहा है।

पर्यावरण विभाग के अधिकारी के मुताबिक जल्द ही राजधानी के बाकी बचे अन्य होटलों को भी पानी की बर्बादी रोकने के लिए कदम उठाने के लिए नोटिस भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार इस मामले में किसी भी प्रकार की आनाकानी को बिल्कुल बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। जल संरक्षण के लिए जो भी संभव होगा, वो सब किया जाएगा क्योंकि गर्मियों में हर साल दिल्ली के लोगों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ती है। बताया जाता है कि दिल्ली सरकार ने निर्देश का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का फैसला किया है। इसमें आर्थिक दंड भी शामिल होगा।

मेट्रो पर भी हुई है आरोपों की बारिश


दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) पर भी पानी बर्बादी के आरोप लगते रहे हैं। यही नहीं मेट्रो पर यमुना किनारे और अन्य हरे-भरे क्षेत्रों में मलबा डालने की आरोप लगता रहा है। अभी हाल में ही राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने केंद्र और दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) से एक याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें आरोप लगाया गया है कि वर्षा जल संग्रहण के लिए कदम नहीं उठाए जाने से हर साल 6.37 करोड़ लीटर जल बर्बाद हो रहा है। प्राधिकरण के पीठ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने पर्यावरण और वन मंत्रालय, केंद्रीय सतही जल प्राधिकरण, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारों को नोटिस जारी कर छह मई को होने वाली अगली सुनवाई पर जवाब देने के लिए कहा है। मेट्रो से इससे पहले भी जल संचयन को लेकर सवाल पूछे गए हैं। हालांकि विभिन्न मोर्चों पर मेट्रो प्रशासन ने साफ किया है कि उसके बाद के परियोजनाओं में वर्षा जल संचयन के उपाय किए गए हैं।

क्या है स्थिति


1. 1.4 करोड़ लीटर पानी की खपत प्रतिदिन होती है राजधानी के होटलों में
2. 01 करोड़ लीटर पानी इन्हीं होटलों में ही रोज होता है बर्बाद
3. 110 करोड़ गैलन पानी की दिल्ली में रोज़ाना औसत मांग है
4. 80 करोड़ गैलन पानी की ही आपूर्ति कर पा रहा है दिल्ली जल बोर्ड

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