पानी सहेजने वाले बन गए प्रेरणास्रोत

स्वप्रेरणा से पानी सहेजने में अव्वल धतूरिया गांव की जल संरचनाओं को देखने प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों के किसान पहुंच रहे हैं। ये किसान अब अपने क्षेत्र में भी पानी सहेजने के लिए मुहिम छेड़ेंगे। धतुरिया पानीदार लोग अब अन्य लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं।

जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर धतूरिया प्रदेश में एकमात्र गांव है जहां 100 से अधिक तालाब बने। मात्र 1298 की आबादी वाले गांव के किसानों ने पानी सहेजने की मिसाल कायम कर दी। यहां छोटे-छोटे किसान ने अपने आधे खेत में बड़ा तालाब बना रखा है। तालाबों वाले गांव की विशेषता मप्र सहित अन्य राज्यों को पता चली तो वे दल के रूप में गांव की जल संरचनाएं देखने पहुंचने लगे। सोमवार को महाशिवरात्रि होने के बावजूद मप्र के सीमा के निकट छतरपुर जिले से करीब सात गाँवों के 22 किसानों व अफसरों का दल धतूरिया व गोरावा में हुए जल संवर्धन के काम को देखने पहुंच गए। दल के लोगों ने किसानों से विस्तारपूर्वक जानकारी व इससे होने वाले लाभ एकत्रित किए।

ये आए छतरपुर से


सहायक संचालक डॉ. मोहम्मद अब्बास ने बताया कृषक प्रशिक्षण सह भ्रमण दल विखं बड़ामुलहरा जिला छतरपुर से आया। इनमें रामचरण विश्वकर्मा, लक्ष्मण कुशवाहा, हरिशंकर विश्वकर्मा मोली, माखनलाल दुबे मनगुवारपरियन, शत्रुहन लखनवा, भागीरथ दीक्षीत, गौरीशंकर नायक लखनवा, रमेश विश्वकर्मा केवलौड़ मुकेश, बिहारी, मोहन, सरजू, कन्हैयालाल सेन कम्मोदपुरा, अनिल दुबे मलवार, अजय, रमेश, ब्रजेश, मनोज, राजेंद्र सेंघपां, पप्पू वड़ामलहरा, अजमेरसिंह, रमेशचंद्र मिश्रा शामिल थे।

बेहतर है तालाब की पाल का उपयोग


मोली जिला छतरपुर के किसान लक्ष्मण कुशवाहा, हरिशंकर विश्वकर्मा ने कहा यहां किसानी ने अपने खेतों में जो तालाब बनाए हैं उनकी पाल की उपजाऊ मिट्टी का भी उपयोग किया है। इस पर उन्होंने तुअर लगा रही है। यह सार्थक पहल है, इसका फालोअप हम अपने गांव में करेंगे।

वास्तवमें है अवार्ड के हकदार


पानी पर काम कर रहे मंथन केंद्र बड़वानी के रेहमत भाई ने कहा काम तो हुआ है। प्रेरणा से नहीं लोगों की जरूरत से यह काम हुआ है। किसानों ने अपने लिए किया लेकिन वह प्रेरणा स्रोत बन गया है। ऐसे कामों को रोजगार गारंटी योजना से जोड़ा जाता है तो और अधिक प्रोत्साहन मिलेगा।

बड़वानी से आए 30-40 किसान


पानी का काम देखने के लिए तीन दिन पहले बड़वानी एसडीओ कृषि करणसिंह वर्मा के निर्देशन में 30-40 किसानों का दल धतुरिया पहुंचा। श्री वर्मा ने कहा धतुरिया गोरवा पंचायत क्षेत्र में पानी सहेजने के लिए वास्तव में अच्छे काम हुए हैं। इसे देखने के लिए दल आया गया। इस तरह के काम हमारे क्षेत्र में भी रहे हैं।

इसलिए पड़ी जरूरत


पांच साल पहले गांव में एक भी तालाब नहीं था। पेयजल संकट गहराता जा रहा था। पीली मिट्टी होने से ट्यूबवेल धड़ल्ले से फेल हो रहे थे। तब किसान राधेश्याम धन्नालाल पटेल ने अपने खेत में एक एकड़ में तालाब बनाया। इसके बाद गांव में जैसे तालाब बनाने की होड़ लग गई। पहले साल में 10, दूसरे में 20, तीसरे में 50, चौथे में 70 व 5वें साल में 105 तालाब बनकर तैयार हो गए। 120 किसानों में से 105 ने तालाब बना लिए। किसी को कृषि विभाग की ओर से अनुदान मिला तो किसी ने बगैर अनुदान के तालाब बनवा लिया।

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