सफलता - भारतीय वैज्ञानिकों ने ईजाद की किफायती तकनीक
नैनो कणों से बनाया जाएगा पाउच, सस्ते जोजोबा बीज का होगा प्रयोग
साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार हमारे देश के एक बड़े भाग में फ्लोराइड मिला भूजल कई गम्भीर बीमारियों का कारण बनता है। फ्लोराइड की थोड़ी सी मात्रा हड्डियों और दाँतों को विकसित करने का काम करती है, लेकिन इसकी मात्रा अधिक होने से फ्लोरोसिस होने का खतरा रहता है। फ्लोरोसिस से दाँतों की बीमारी, हड्डियों का कमजोर होना, थॉयराइड, किडनी आदि की परेशानियाँ होती हैं।
नई दिल्ली: पानी में फ्लोराइड कई बीमारियों का कारण बनता है। भारत में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ भूमिगत पानी में आर्सेनिक मिला होता है। उसे पीने से कई बीमारियाँ होती हैं। अब भारतीय वैज्ञानिकों ने ऐसा तरीका विकसित किया है, जिससे बहुत कम कीमत पर आसानी से पानी से फ्लोराइड हटाया जा सकेगा। इस तकनीक में टी-बैग का इस्तेमाल होने के कारण इसे टी-बैग तरीका कहा गया है।आसानी से उपलब्ध है जोजोबा इसलिये कीमत होगी कम : भारतीय वैज्ञानिकों ने इस नए तरीके में टी-बैग जैसे पाउच का प्रयोग किया है। यह पाउच जैविक रूप से उगाए गए जोजोबा बीज के संश्लेषित नैनों कणों से ढका होता है। जोजोबा बीज आसानी से उपलब्ध होने के कारण इसकी कीमत भी कम आएगी। यह बीज आसानी से फ्लोराइड को पानी से हटा देता है। जोजोबा आसानी से उपलब्ध है। इसमें प्रयोग होने वाले नैनो कण को जोजोबा बीज से तेल निकालने के बाद बचे बायोप्रोडक्ट से संश्लेषित किया जाता है। संश्लेषित करने के बाद नैनो कण पॉलीयूरीथेन झाग जैसी चीजों को सतह पर ले आता है। फोम शीट से लोपित नैनो कणों से बना पाउच पानी में फ्लोराइड को सतह पर खींच लाता है। और इसे अपने अन्दर सोख लेता है। पानी के शुद्धीकरण की इस विधि को अवशोषण कहा जाता है।
केवल तीन रुपये का एक टी-बैग
राजस्थान में वनस्पति विद्यापीठ के बायोसाइंस और बायोटेक्नोलॉजी विभाग की डॉ. सूफिया खान और सोनू कुमारी ने इस तकनीक को ईजाद किया है। उनके मुताबिक, ये किफायती और कुदरती तरीका है। एक पाउच बनाने में महज तीन रुपये का खर्च आता है। इसमें पाउच को पानी में उसी तरह डिप किया जाता है, जैसे टी-बैग को पानी या दूध में और फ्लोराइड हट जाता है।
इन बीमारियों से बच सकेंगे
साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार हमारे देश के एक बड़े भाग में फ्लोराइड मिला भूजल कई गम्भीर बीमारियों का कारण बनता है। फ्लोराइड की थोड़ी सी मात्रा हड्डियों और दाँतों को विकसित करने का काम करती है, लेकिन इसकी मात्रा अधिक होने से फ्लोरोसिस होने का खतरा रहता है। फ्लोरोसिस से दाँतों की बीमारी, हड्डियों का कमजोर होना, थॉयराइड, किडनी आदि की परेशानियाँ होती हैं।
(हिन्दी अनुवाद दैनिक जागरण, 22 अगस्त, 2017 से साभार)
New Delhi, August 24 (India Science Wire): A low-cost method to remove fluoride from drinking water with specially made teabag-like pouches has been developed by a team of Indian researchers.
The new method uses pouches covered with nanoparticles synthesized from organically-grown jojoba seeds to remove fluoride from water. Jojoba is easily available and nanoparticles used (iron and aluminum) are synthesized from waste byproducts of oil extraction process from jojoba seeds.
After synthesis, nanoparticles were soaked onto a foam material—polyurethane foam—wherein the nanoparticles get stuck to the surface of the foam. Infusion pouches or bags were then made from the nanoparticle-coated foam sheet. The nanoparticles on the pouches attract fluoride in the water and they too get stuck to the surface of the pouch. This process is commonly used water purification method called adsorption.
Researchers - Dr Suphiya Khan and Sonu Kumari from Department of Bioscience and Biotechnology at Banasthali Vidyapith in Rajasthan- say the method is both cost-effective and green. The estimated cost of each pouch is about Rs 3. All that one will need to do is dip the special pouch in water and it will remove fluoride from water. They have also tested the same method with infusion bags filled with tea as tea is known to accumulate a lot of fluoride.
Results of the fluoride analysis published in journal Scientific Reports show that after 80 minutes no more fluoride was collected as all the empty spaces on the surface were used up. When tested with pouches filled with tea, it was found that large amounts of fluoride got collected in black, green and jasmine tea samples tested, but black tea accumulated the highest amount.
While small amounts of fluoride are required for the development of bones and teeth, excess of its can cause fluorosis —a disease known to cause spotting of the teeth enamel, weak bones, thyroid and kidney problems. Fluoride-contaminated groundwater is a serious health issue in several parts of the country.
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