हरिद्वार, 29 जून (आईएएनएस)। गंगा समेत देश की विभिन्न नदियों पर आ रहे संकट और मुहल्लों से लेकर देशों के बीच बढ रहे जल विवादों के मद्देनजर अखिल विश्व गायत्री परिवार ने सृजन की दिशा में एक अनूठा कदम उठाया है। देश की चार हजार गायत्री शक्तिपीठों, प्रज्ञापीठों एवं मिशन के अन्य संस्थानों के तत्वावधान में लाखों गायत्री कार्यकर्ता माह में एक दिन जल उपवास रखकर स्थानीय प्राकृतिक जलस्रोतों के लिए स्वच्छता अभियान चलाएंगे।
जन जागृति के इस महाअभियान के अलावा नदियों की सुरक्षा और जल संरक्षण के वैचारिक पक्ष को मजबूत आधार देने के लिए एशिया के नोबल पुरस्कार कहे जाने वाले मैग्सेसे सम्मान से सम्मानित जलपुरुष राजेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में देव संस्कृति विश्वविद्यालय (देसंविवि) में एक परास्नातक पाठयक्रम आरंभ किया जाएगा।
यह घोषणा राजेंद्र सिंह से दो दौर की लम्बी वार्ता के बाद अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख और देव संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. प्रणव पण्डया ने आज की।
जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने गायत्री परिवार प्रमुख डा. पाण्डया, शांतिकुंज के व्यवस्थापक गौरीशंकर शर्मा और गायत्री परिवार के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से वार्ता के अवसर पर कहा कि हमारी तरह ही नदी का भी बचपन और तरूणाई होती है, जिसे संरक्षण की विशेष जरूरत होती है। गंगा समेत तमाम नदियों के उद्गम स्थल के निकट ही बांध बनाकर इसके बचपन और तरूणाई पर कुठाराघात किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सुरंगों में बंद गंगा अपनी प्रदूषणनाशिनी क्षमता खो देगी।
गायत्री परिवार के प्रमुख डा. पण्डया ने कहा, ''हमारी दृष्टि में गंगा गायत्री का ही साकार स्वरूप है। मां गंगा की अविरल धारा के संरक्षण के लिए हम नारों में नहीं, सृजन महायज्ञ में यकीन रखते हैं।'' उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में करोडों गायत्री उपासकों द्वारा एक दिन का उपवास और जलस्रोतों का स्वच्छता अभियान निश्चित ही जनजागृति की दिशा में एक अहम कदम होगा।
इसके अलावा अगले सत्र से राजेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में देसंविवि (देव संस्कृति विश्वविद्यालय) में एक परास्नातक डिप्लोमा पाठयक्रम आरंभ किया जाएगा, जिसमें नदियों के संरक्षण, जल दर्शन, जल संरक्षण की पारंपरिक एवं आधुनिक विधियों, जल विवादों के कारण और निवारण आदि पर शिक्षण दिया जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस
जन जागृति के इस महाअभियान के अलावा नदियों की सुरक्षा और जल संरक्षण के वैचारिक पक्ष को मजबूत आधार देने के लिए एशिया के नोबल पुरस्कार कहे जाने वाले मैग्सेसे सम्मान से सम्मानित जलपुरुष राजेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में देव संस्कृति विश्वविद्यालय (देसंविवि) में एक परास्नातक पाठयक्रम आरंभ किया जाएगा।
यह घोषणा राजेंद्र सिंह से दो दौर की लम्बी वार्ता के बाद अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख और देव संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. प्रणव पण्डया ने आज की।
जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने गायत्री परिवार प्रमुख डा. पाण्डया, शांतिकुंज के व्यवस्थापक गौरीशंकर शर्मा और गायत्री परिवार के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से वार्ता के अवसर पर कहा कि हमारी तरह ही नदी का भी बचपन और तरूणाई होती है, जिसे संरक्षण की विशेष जरूरत होती है। गंगा समेत तमाम नदियों के उद्गम स्थल के निकट ही बांध बनाकर इसके बचपन और तरूणाई पर कुठाराघात किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सुरंगों में बंद गंगा अपनी प्रदूषणनाशिनी क्षमता खो देगी।
गायत्री परिवार के प्रमुख डा. पण्डया ने कहा, ''हमारी दृष्टि में गंगा गायत्री का ही साकार स्वरूप है। मां गंगा की अविरल धारा के संरक्षण के लिए हम नारों में नहीं, सृजन महायज्ञ में यकीन रखते हैं।'' उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में करोडों गायत्री उपासकों द्वारा एक दिन का उपवास और जलस्रोतों का स्वच्छता अभियान निश्चित ही जनजागृति की दिशा में एक अहम कदम होगा।
इसके अलावा अगले सत्र से राजेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में देसंविवि (देव संस्कृति विश्वविद्यालय) में एक परास्नातक डिप्लोमा पाठयक्रम आरंभ किया जाएगा, जिसमें नदियों के संरक्षण, जल दर्शन, जल संरक्षण की पारंपरिक एवं आधुनिक विधियों, जल विवादों के कारण और निवारण आदि पर शिक्षण दिया जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस
Path Alias
/articles/paanai-para-paathayakarama-calaaegaa-daeva-sansakartai-vaisavavaidayaalaya
Post By: admin