पानी पर कविता

कितना निर्मल-तरल मन चाहिए
लिखने के लिए पानी पर कविता
कवि के भीतर
पानी भी होना चाहिए पूरम्पूर

पानी पर कविता लिखने के लिए
पानी की हर हलचल पर
लगाना होता है पूरा आँख-कान
जुबान को पथरा (ने) नहीं देना
कवि के लिए सतत चुनौती है

प्यास के भूगोल से तय होती है
पानी की कविता की गहराई
पानी से ही पता चलता है
कि पानी की कविता
कहाँ महीन-तरल है
और कहाँ है पानी की ही तरह
दुर्धर्ष!

पानी की कविता
एक ख़ास तरह के
जबान-ए-आब से बनती है!

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