झारखंड राज्य के लिए यह विडंबना है कि यहां खरीफ में भी मात्र 86 फीसदी जमीन पर खेती हो पाती है। सिंचाई सुविधा के अभाव के कारण 14 फीसदी यानी 19.73 लाख हेक्टेयर जमीन परती रह जाती है। रबी में तो यहां बमुश्किल 10 से 12 फीसदी जमीन पर ही खेती हो पाती है। जबकि हर क्षेत्र में नदियां, नाले और झरने प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, औसत बारिश भी 14 से 15 सौ मिमी होती है। ऐसे में अगर पंचायतें चाहें तो इस जल संसाधन को अपने प्रयास से अपने खेतों तक ले जा सकती हैं और अगर वे ऐसा करने में सफल रहीं तो उस इलाके में बंपर पैदावार के जरिये खुशहाली आने से कोई रोक नहीं पायेगा। ऐसे कायरें में किसानों की मदद के लिए भूमि संरक्षण निदेशालय की ओर से पानी पंचायत की योजना तैयार की गयी है।
यह योजना किसानों की सहभागिता होने की स्थिति में उन्हें सिंचाई के साधनों का निर्माण करने हेतु मदद करने के उद्देश्य से तैयार की गयी है। अगर किसी क्षेत्र के 12 किसान संगठित होकर समूह बना लें और वे किसी योजना की लागत राशि के 10 फीसदी अंशदान का वहन पैसे देकर या श्रमदान के जरिये करने को तैयार हो जायें तो सरकार बिरसा सिंचाई योजना के तहत गांव के नालों और नदियों पर पक्के चेक डैम, लूज बोल्डर चेक डैम, गार्ड वाल, तालाब आदि का निर्माण करा सकती है या पंप हाउस और लिफ्ट सिंचाई हेतु जल वितरण प्रणाली का चयन, निर्माण, संचालन और रखरखाव की व्यवस्था कर सकती है। जिससे 20-25 एकड़ भूमि की सिंचाई की व्यवस्था हो सकती है।
सभी लाभुकों की बैठक कर 5 सदस्यीय कार्यकारिणी का गठन किया जायेगा, जिसका कार्यकाल 2 साल होगा और वे दो कार्यकाल ही पूरा कर पायेंगे। समिति के दो प्रगतिशील, सक्रिय और साक्षर सदस्य को अध्यक्ष और सचिव सह कोषाध्यक्ष के रूप में चुना जायेगा। कार्यकारिणी में एक सदस्य भूमि संरक्षण पदाधिकारी या उनके द्वारा प्राधिकृत कोई अधिकारी या कर्मचारी होगा जो समिति को नियमित तौर पर मार्गदर्शन दिया करेगा। उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं होगा। स्वीकृत योजना के लागत का 10 फीसदी राशि या श्रमदान के तौर पर देना होगा। समिति लाभुक सदस्यों के लिए अंशदान और उपयोग शुल्क का निर्धारण करेगी, जिससे एक रिवॉल्विंग फंड तैयार किया जायेगा। पानी पंचायत का नाम और उसका मोहर भी होगा जिसका इस्तेमाल सचिव सह कोषाध्यक्ष द्वारा किया जायेगा।
कार्यक्षेत्र एवं सिंचित क्षेत्र का नक्शा
सदस्यों की सूची
परिसंपत्ति का विवरण
बैठक पंजी
लेखा पंजी, जिसमें आय और व्यय का विवरण
कार्यकारिणी की बैठक हर माह एक निश्चियत तारीख को होगी एवं साल में कम से कम दो बार सभी सदस्यों की बैठक अनिवार्य होगी
सिंचाई के लिए बनी योजना के आधार पर निर्माण कार्य करवाना। सिंचित क्षेत्र के लिए फसलों का चयन करना। इस दौरान वह ध्यान रखेगा कि कम पानी में उगायी जाने वाली फसलों को चिह्न्ति किया जाये और उपलब्ध पानी के आधार पर फसलों का सालाना कैलेंडर तैयार किया जाये। अगर डीजल की खपत हो रही है तो उसका हिसाब-किताब और सदस्यों से आवश्यक शुल्क की वसूली करना उसका काम होगा। योजना का रखरखाव और आवश्यकतानुसार मरम्मत भी करवाना होगा। विभाग द्वारा अनुदानित दर पर उपलब्ध बीज भी पानी पंचायत के जरिये ही वितरित कराये जायेंगे। इसके अलावा वह साल भर का हिसाब-किताब भूमि संरक्षण पदाधिकारी या भूमि संरक्षण सर्वे पदाधिकारी को मुहैया करायेगा।
क्या है पानी पंचायत
यह योजना किसानों की सहभागिता होने की स्थिति में उन्हें सिंचाई के साधनों का निर्माण करने हेतु मदद करने के उद्देश्य से तैयार की गयी है। अगर किसी क्षेत्र के 12 किसान संगठित होकर समूह बना लें और वे किसी योजना की लागत राशि के 10 फीसदी अंशदान का वहन पैसे देकर या श्रमदान के जरिये करने को तैयार हो जायें तो सरकार बिरसा सिंचाई योजना के तहत गांव के नालों और नदियों पर पक्के चेक डैम, लूज बोल्डर चेक डैम, गार्ड वाल, तालाब आदि का निर्माण करा सकती है या पंप हाउस और लिफ्ट सिंचाई हेतु जल वितरण प्रणाली का चयन, निर्माण, संचालन और रखरखाव की व्यवस्था कर सकती है। जिससे 20-25 एकड़ भूमि की सिंचाई की व्यवस्था हो सकती है।
ऐसे कर सकते हैं गठन
सभी लाभुकों की बैठक कर 5 सदस्यीय कार्यकारिणी का गठन किया जायेगा, जिसका कार्यकाल 2 साल होगा और वे दो कार्यकाल ही पूरा कर पायेंगे। समिति के दो प्रगतिशील, सक्रिय और साक्षर सदस्य को अध्यक्ष और सचिव सह कोषाध्यक्ष के रूप में चुना जायेगा। कार्यकारिणी में एक सदस्य भूमि संरक्षण पदाधिकारी या उनके द्वारा प्राधिकृत कोई अधिकारी या कर्मचारी होगा जो समिति को नियमित तौर पर मार्गदर्शन दिया करेगा। उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं होगा। स्वीकृत योजना के लागत का 10 फीसदी राशि या श्रमदान के तौर पर देना होगा। समिति लाभुक सदस्यों के लिए अंशदान और उपयोग शुल्क का निर्धारण करेगी, जिससे एक रिवॉल्विंग फंड तैयार किया जायेगा। पानी पंचायत का नाम और उसका मोहर भी होगा जिसका इस्तेमाल सचिव सह कोषाध्यक्ष द्वारा किया जायेगा।
पानी पंचायत के पास निम्न कागजात होंगे
कार्यक्षेत्र एवं सिंचित क्षेत्र का नक्शा
सदस्यों की सूची
परिसंपत्ति का विवरण
बैठक पंजी
लेखा पंजी, जिसमें आय और व्यय का विवरण
अंकेक्षण अगर हो तो
कार्यकारिणी की बैठक हर माह एक निश्चियत तारीख को होगी एवं साल में कम से कम दो बार सभी सदस्यों की बैठक अनिवार्य होगी
पानी पंचायत के कार्य
सिंचाई के लिए बनी योजना के आधार पर निर्माण कार्य करवाना। सिंचित क्षेत्र के लिए फसलों का चयन करना। इस दौरान वह ध्यान रखेगा कि कम पानी में उगायी जाने वाली फसलों को चिह्न्ति किया जाये और उपलब्ध पानी के आधार पर फसलों का सालाना कैलेंडर तैयार किया जाये। अगर डीजल की खपत हो रही है तो उसका हिसाब-किताब और सदस्यों से आवश्यक शुल्क की वसूली करना उसका काम होगा। योजना का रखरखाव और आवश्यकतानुसार मरम्मत भी करवाना होगा। विभाग द्वारा अनुदानित दर पर उपलब्ध बीज भी पानी पंचायत के जरिये ही वितरित कराये जायेंगे। इसके अलावा वह साल भर का हिसाब-किताब भूमि संरक्षण पदाधिकारी या भूमि संरक्षण सर्वे पदाधिकारी को मुहैया करायेगा।
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