पानी को ठंडा करते हुए उबालना

उद्देश्य : द्रव की सतह के ऊपर घटते दबाव के साथ क्वथनांक; बॉयलिंग प्वाइंट के घट जाने के तथ्य का प्रदर्शन।

उपकरण : एक हीटर, कसकर डाट लगने वाला एक शंक्वाकार फ्लास्क।

भूमिका : द्रव का क्वथनांक उसकी सतह के ऊपर के दबाव पर निर्भर करता है। दबाव जितना कम होगा क्वथनांक भी उतना ही कम होगा। इस तरह पानी के ऊपर की सतह के दबाव को घटाकर आप पानी को उसके सामान्य क्वथनांक से कहीं कम तापमान पर उबाल सकते हैं। इस प्रयोग में हम ठीक यही करने वाले हैं। यह बहुत रोचक है और अपने आस-पास सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है।

विधि : एक शंक्वाकार फ्लास्क में थोड़ा; मान लीजिए फ्लास्क के आयतन का आधाध्द पानी लें। फ्लास्क अच्छी गुणवत्ता वाला होना चाहिए। मैंने इस प्रयोग के लिए बोरोसिल फ्लास्कों का इस्तेमाल किया है। फ्लास्क को हीटर पर रख दें। उसे 5 मिनट तक उबलने दें और फिर हीटर को बंद कर दें। अब एक रूमाल द्वारा फ्लास्क को उसकी गर्दन से सावधानीपूर्वक पकड़ लें और जितनी जल्दी हो सके उसके मुंह पर डाट लगा दें।

पानी उबलना बंद कर देता है क्योंकि अब वह हीटर पर नहीं रखा है। फ्लास्क पर, खास तौर पर उसके खाली हिस्से पर थोड़ा ठंडा पानी डालें। फ्लास्क में पानी उबलने लगता है। करीब एक मिनट तक रुकें। पानी का उबलना बंद हो जाता है। फ्लास्क पर फिर एक बार ठंडा पानी डालें। फ्लास्क के अंदर रखा पानी फिर से उबलने लगता है।

फ्लास्क पर ठंडा पानी डालने पर पानी क्यों उबलने लगता है? जब शुरू में आपने हीटर पर पानी को उबाला था उस समय फ्लास्क में डाट नहीं लगी थी। उबालने से बनी वाष्प ने वायु को हटा दिया था और फ्लास्क में पासनी के ऊपर अधिकांश रूप से केवल वाष्प ही बची रह गई थी। इस समय आपने डाट को कसकर लगा दिया था जिससे फ्लास्क में वायु के प्रवेश करने की संभावना समाप्त हो गई थी।

इस समय तक पानी थोड़ा-सा ठंडा हो गया है और उसके उबलने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। उबलने वाले तापमान ; क्वथनांक पर भी वह तभी उबलता है जब उसे ऊष्मा उपलब्ध कराई जाती है जिसका उपयोग जल को वाष्प में बदलने में होता है। इस समय आपने ठंडा पानी फ्लास्क पर डाला। ठंडे पानी से उत्पन्न शीतलन के कारण वाष्प जल के रूप में संघनित हो जाती है। इससे फ्लास्क के अंदर का दबाव बहुत कम हो गया। ऐसी कम दबाव की स्थिति में पानी का क्वथनांक काफी कम है और पानी का मौजूदा तापमान इस नए क्वथनांक से काफी अधिक है। अत: पानी उबलने लगता है और वाष्प में बदल जाता है। इस वाष्प के कारण अंदर का दबाव फिर बढ़ जाता है। तदनुरूप, पानी का क्वथनांक बढ़ जाता है और एक अवस्था में पहुंचकर पानी उबलना बंद कर देता है। आप फिर से ठंडा पानी डालते हैं। इस प्रक्रिया की पुनरावृत्तिा होती है और पानी उबलने लगता है।

दुर्घटनाओं का खयाल रखें। हीटर अच्छी गुणवत्ता वाला होना चाहिए। और आपको इस बात का खयाल रखना चाहिए कि हीटर को चालू करने के बाद उसे छूने पर बिजली का झटका न लगे। गर्म पानी इस्तेमाल करते समय पूरी सावधानी बरतें। फ्लास्क को केवल उसकी गर्दन से एक काफी मोटे कपड़े ;रूमालध्द से ही पकड़ें। डाट लगाते समय फ्लास्क एक ठोस सतह पर टिका होना चाहिए। हालांकि आप कई बार फ्लास्क पर ठंडा पानी डालते हैं, इसके बावजूद उसके नीचे का हिस्सा गर्म रहता है। उसे यूं ही वहां से पकड़ने की चेष्ठा न करें।

प्रयोग पूरा हो जाने के बाद आप डाट को निकालना चाहेंगे। यह सबसे अधिक कठिन कार्य है। चूंकि फ्लास्क के अंदर का दबाव, वायुमंडलीय दबाव की तुलना में काफी कम रहता है। डाट आसानी से नहीं निकलती हे। यदि हाथ से खींचने पर डाट नहीं निकलती है तो फ्लास्क को थोड़ा सा गर्म कर उसे निकाल लें।
 

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