पानी को तरसेंगे 15 लाख लोग

लखनऊ, 3 अप्रैल : शायद आपको मालूम नहीं होगा कि 18 मार्च को आपके नल की धार पतली क्यों थी? हम आपको बता दें कि इस दिन गोमती का जलस्तर 1.8 फीट नीचे चला गया था। ऐसा एक दिन नहीं हुआ, बीते माह रुक-रुक कर यह समस्या बनी रही। तीस मार्च को नदी का जलस्तर न्यूनतम से एक फुट नीचे था। मतलब न्यूनतम जलस्तर 346.7 फीट होना चाहिए लेकिन यह था 344.9 फीट। गोमती की इस दशा से जलकल विभाग को कच्चा पानी नहीं मिल पा रहा है और शहर की मांग के हिसाब से जलापूर्ति प्रभावित हो रही है। पुराने शहर मेें तो हाहाकार मच जाता है, जहां सिर्फ गोमती का ही पानी जलापूर्ति का साधन है। करीब 15 लाख शहरवासियों की प्यास बुझाने वाली गोमती के गिरते जलस्तर से उत्पन्न पेयजल की भयावह स्थिति से जलकल विभाग ने सिंचाई विभाग समेत जिलाधिकारी को भी सतर्क करते हुए तत्काल सौ क्यूसेक पानी गोमती में छोड़ने की माग की है।

करीब 250 नलकूपों के अलावा जलकल विभाग आधे शहर में जलापूर्ति के लिए गोमती के कच्चे पानी की भी मदद लेता है। हर दिन 250 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) नदी से कच्चा पानी लेकर उसका शोधन बालागंज जलकल और ऐशबाग जलकल में किया जाता है। इसके बाद सुबह व शाम को जलापूर्ति की जाती है।

यहां छा सकता है संकट


बालागंज, ठाकुरगंज चौक, सआदतगंज, कश्मीरी मोहल्ला, हैदरगंज, नक्खास राजाजीपुरम, चारबाग, हुसैनगंज, लालकुआं, लाटूश रोड, अमीनाबाद, रकाबगंज, यहियागंज, नाका, राजेंद्र नगर, कैसरबाग, लालबाग, हजरतगंज, नरही, बटलर पैलेस, निशातगंज, डालीगंज, जियामऊ समेत अन्य आसपास के इलाके

1. गोमती से लिया जाता है 250 एमएलडी पानी
2. 250 नलकूपों से भी होती है जलापूर्ति

खतरा


1. गोमती का जलस्तर 1.8 फीट नीचे गिरा
2. जलकल विभाग ने अलर्ट घोषित किया

गऊघाट पंपिंग स्टेशन पर गोमती नदी का जलस्तर (होना चाहिए 346.7 फीट)


मार्च

जलस्तर (फीट में)

2,29

345.8

3,10

345.6

4,5,7

345.9

8,9,12

345.5

24,27

345.3

24,27

345.3

11

345.7

18

344.9

13

345.2

 



‘गोमती का जलस्तर निरंतर गिरता जा रहा है। जल में प्रदूषण की भी मात्रा बढ़ रही है। गोमती बैराज के पास सिंचाई विभाग हर दिन एक घंटा बैराज खोलता है लेकिन गऊघाट पम्पिंग स्टेशन को पर्याप्त मात्रा में कच्चा पानी नहीं मिल पा रहा। जलापूर्ति के बाद न्यूनतम जलस्तर 346.7 फीट होना चाहिए, लेकिन अक्सर यह 344.6 फीट तक ही पहुंच पाता है। इससे शहर की जलापूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बरसात होने तक कम से कम 100 क्यूसेक पानी शारदा नहर से छोड़ा जाना जरूरी हो गया है, नहीं हो शहर के आधे हिस्से में पानी का संकट गहरा सकता है।

सचिव जलकल विभाग ’

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