देश में हर तरफ से सूखे की मार की खबरें लगातार सुनाई दे रही हैं। एक तरफ बुंदेलखण्ड है तो दूसरी ओर मराठवाड़ा। आए दिन किसानों की आत्महत्याओं या फिर पलायन की खबरें मिल रही हैं। स्थिति भयावह होती जा रही है। सरकार भी अपने स्तर पर सूखे से निपटने के यथा-सम्भव प्रयास भी कर रही है। फिर भी जल संकट इतना गहरा गया है कि सभी प्रयास ढाक के दो पात की तरह विफल हो रहे हैं। इस संकट से उबरने के लिये अकेली सरकारें ही प्रयास नहीं कर सकतीे। सबको अपनी क्षमता के अनुसार इस यज्ञ में आहूति देनी होगी। देश में नए लातूर बनने से रोकने के लिये हर संभव तरीके से यथाशक्ति प्रयास करने होंगे। दैनिक भास्कर द्वारा शुरु किये गए जल सत्याग्रह अभियान के तहत देश में संकट की गंभीरता और पानी बचाने के कुछ सरल प्रयासों एवं उपायों को यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है।
देश का पानी सूख रहा है। धरती पर भी और धरती के नीचे भी। 12 राज्यों में तो अकाल जैसे हालात हो रहे हैं। मराठवाड़ा के परभणी कस्बे में पानी के लिये झगड़ा न हो इसलिये अप्रैल के पहले हफ्ते में धारा 144 लगा दी गई। लातूर में ट्रेन से पानी पहुँचाया जा रहा है। मराठवाड़ा के ही कई क्षेत्रों में सूखे गड्ढों में पानी की बूँदें तलाशी जा रही हैं। मप्र के कई गाँवों में गहरी गुफाओं में एक-एक मटका पानी ढूँढ़ा जा रहा है। दूसरी ओर दक्षिण में कावेरी नदी का उद्गम स्थल ताल कावेरी तक सूख चुका है। छत्तीसगढ़ के गाँवों में तो महिलाएँ नदी में बालू खोदकर, मीलों पैदल चलकर आधा घड़ा पानी जुटा पा रही हैं। सौराष्ट्र के राजकोट, जामनगर और अमरेली जिलों के गाँवों में 7 से 18 दिन के अन्तराल पर पानी दिया जा रहा है। ये वो बातें हैं जो सामने आई हैं। कई गाँवों में तो इससे भी भयावह स्थिति है। एक रिपोर्ट बताती है कि 2040 तक देश में पीने का पानी खत्म हो जाएगा। अजीब लग रहा है न? लेकिन यही सच्चाई है। केन्द्र की रिपोर्ट भी कह रही है कि देश के 91 बड़े जल भंडारों में सिर्फ 22% पानी बचा है। यह कुल 34.08 अरब घन मीटर के बराबर बैठता है। हर भारतीय औसतन 90 लीटर पानी हर दिन उपयोग करता है। लातूर में 5 लाख लीटर पानी ट्रेन से भेजा गया था। किसी छोटे शहर की आबादी 5 से 10 लाख होती है। हर व्यक्ति यहाँ कम से कम 1 लीटर पानी तो बर्बाद करता ही होगा। चाहे शेविंग हो या ब्रश। या गाड़ी धोने में। यानी जितना पानी एक छोटा शहर रोज बर्बाद कर देता है, उतना पानी एक शहर की प्यास बुझाने को ट्रेन से भेजना पड़ रहा है। हम चेते नहीं तो कल हमारे शहर को भी यही दिन देखना होगा।
वर्ल्ड वॉच इंस्टिट्यूट की वाइस प्रेसिडेंट सेंट्रा पोस्टल कहती हैं- पानी को पानी की तरह बहाना बंद करना होगा। यदि समाज पानी को एक दुर्लभ वस्तु नहीं मानेगा, तो आने वाले समय में पानी हम सबके लिये दुर्लभ हो जाएगा। इस स्थिति को अगर कोई संभाल सकता है तो सिर्फ हम। क्योंकि हम पानी बना नहीं सकते, सिर्फ बचा सकते हैं।
देश के 91 जलभण्डारों में सिर्फ 22% पानी बचा |
नलगोंडा (तेलंगाना) : पिछली बार बच्चा गिर गया था, अभी चार महीने का गर्भ है, पर पानी तो ढोना पड़ेगा ना... |
अरुणा का बच्चा पिछले साल भी नहीं बचा था। इस बार चार महीने की गर्भवती है। डॉक्टर ने वजन उठाने से मना किया है। पर वह सुबह होते ही निकल पड़ती है। तीन किमी दूर कुएँ से करीब बीस किलो पानी सिर पर रखकर लौट आती है। रोज, सुबह-शाम। |
बुन्देलखण्ड (यूपी) : यहाँ बहू नहीं मिलती, मैं भी शादी कर दूर जाना चाहती हूँ, उस गाँव जहाँ पानी आता हो.. |
16 साल की कविता पानी भरने आई है। कुँए में गंदा पानी ही बचा है। पर बर्तन धो लेती है। कहती है- ‘अब तो यहाँ लड़कों की शादी भी नहीं हो रही। कौन करेगा शादी? मैं भी परेशान हो चुकी हूँ। जल्दी से शादी कर यहाँ से दूर जाना चाहती हूँ, जहाँ पानी आता हो।’ |
बीड़ (महाराष्ट्र) : यहाँ खाली कुओं में बाल्टी नहीं बच्चे डालकर निकालना पड़ता है पानी.. |
12 साल की प्रियंका को रस्सी से झूलकर कुएँ मेें जाते देखना डरावना है। पर प्रियंका को इसकी आदत पड़ चुकी है। कुआँ 50 से 60 फुट गहरा है। इतनी मेहनत कर प्रियंका एक वक्त में कुछ मटके पानी निकाल पाती है। |
पानी को पानी की तरह बहाने का ही नतीजा है कि देश के 12 राज्य एक-एक बूँद पानी को तरस रहे हैं। केन्द्र सरकार खुद मान रही है कि देश की एक चौथाई यानी 33 करोड़ की आबादी सूखे की चपेट में है। जलसंकट की ये बोलती तस्वीरें पिछले 20-22 दिनों के दौरान देशभर से जुटाई गई हैं, जो पूरी स्थिति बयाँ कर रही हैं। हमारे सामने अब एक ही रास्ता है-पानी चाहिए तो अभी से पानी बचाइए...
झारखंड
10 साल में धरती का पानी खत्म हो जाएगा
झारखंड जब राज्य बना था तो वहाँ 75 हजार कुएँ थे। अब सिर्फ 10 हजार में पानी बचा है। भूजल स्तर 1500 फीट तक गिर चुका है। 15 साल में 18 मीटर तक जलस्तर गिरा है। भूगर्भ विभाग ने तो चेतावनी दे दी है कि महज 10 साल में जमीन के भीतर का पानी खत्म हो जाएगा। राजधानी राँची को पानी पिलाने वाले हटिया डैम में सिर्फ 20 दिन का पानी बचा है। पुलिस की रखवाली में पानी का बँटवारा हो रहा है।
मध्यप्रदेश
सूखाग्रस्त घोषित हो चुके 51 में 40 जिले
51 में से 40 जिले सूखा ग्रस्त हैं। टीकमगढ़, सागर, पन्ना, छतरपुर, दमोह की हालत सबसे खराब है। यहाँ 3 से 4 किमी चलकर पानी लाना पड़ता है। तालाबों की सुरक्षा में निजी गार्ड तक लगाए गए हैं।
राजस्थान
15 हजार गाँव टैंकरों के सहारे
राज्य के 33 में से 19 जिले सूखे हैं। 15 हजार गाँवों में तो टैंकरों से पानी पहुँचाया जा रहा है। भीलवाड़ा को पानी पहुँचाने के लिये तो अभी से ही पानी की ट्रेन चलने लगी है। पहले मई से चलती थी।
गुजरात
सौराष्ट्र के कई जिलों में 7 से 18 दिन बाद मिल रहा पीने का पानी
राज्य के 33 में से 14 जिले प्रभावित। सौराष्ट्र के राजकोट, जामनगर, अमरेली सहित कई जिलों में 7 से 18 दिन के अन्तराल में पानी पहुँच रहा है। नदी, तालाब सूख चुके हैं। टैंकरों की मदद ली जा रही है। तीसरे साल भी फसल बर्बाद हो चुकी है।
महाराष्ट्र
लातूर में ट्रेन से पानी, राज्य के 20 जिलों में सूखा
20 जिलों में सूखा है। 90 लाख किसानों के पास फसल के लिये पानी नहीं है। हफ्ते भर पहले लातूर को 5 लाख लीटर पानी ट्रेन से पहुँचाया गया। महाराष्ट्र में पहली बार ऐसा हुआ है।
छत्तीसगढ़
राज्य के 27 में से 25 जिले सूखाग्रस्त
राज्य के 27 में से 25 जिले सूखाग्रस्त हैं। इनमें से पाँच जिले बालोद, बेमेतरा, कवर्धा, राजनांदगाँव और बलरामपुर की हालत बहुत खराब है। यहाँ गाँवों में भी टैंकर से पानी पहुँचाया जा रहा है।
आंध्रप्रदेश
भूजल स्तर दो गुना से ज्यादा नीचे जा चुका है
सूखे का तीसरा साल। तेलंगाना के बाद गर्मी से सबसे ज्यादा मौत इस राज्य में हो चुकी है। 13 जिलों में धरती के भीतर का जलस्तर दो गुनी गहराई में पहुँच चुका है। इसलिए कुएँ और ही नलकूप काम कर रहे।
कुछ प्रेरक प्रसंग
नलों को सही कर बूँद-बूँद पानी बचा रहे हैं आबिद
पहले अपने चर्चित कॉमिक किरदारों से लोगों का दिल जीता। अब लोगों को पानी बचाने की नजीर पेश करे रहे हैं। ये हैं मशहूर कार्टूनिस्ट और चित्रकार आबिद सुरती। वे मुंबई में टपकते नलों को ठीक करते हुए देखे जा सकते हैं। एक-एक बूँद बचाने के लिये उन्होंने 'ड्रॉप डेड' नाम से एक संस्था भी बनाई है। वे बताते हैं 'जब कभी वे दोस्त से मिलने उनके घर जाते और एक भी नल टपकता देखते तो उन्हें बहुत बुरा लगता।’ महीने भर बाद जाने पर भी नल का वही हाल रहता। दोस्त बताते कि इतने छोटे से काम के लिये कोई प्लंबर नहीं आना चाहता। इसके बाद से ही उन्होंने ये मुहिम शुरू कर दी थी।
तीन घंटे में 1 लीटर पानी जमाकर बताया बूँद-बूँद का महत्त्व
पानी की हर बूँद का महत्त्व समझाने के लिये उत्कृष्ट विद्यालय के शिक्षक लोकेंद्र सिंह चौहान ने सामान्य सा लेकिन महत्त्वपूर्ण प्रयोग किया। वे तीन घंटे तक नल के सामने बैठे रहे और पानी की बूँदों का आकलन किया।
एक मिनट में कुल 45 बूँद गिरी और इस तरह तीन घंटे में जमा हुआ एक लीटर पानी। यानी 24 घंटे में 8 लीटर, 30 दिन में 240 लीटर और 365 दिन में 2920 लीटर पानी। प्रयोग का उद्देश्य विद्यार्थियोंं को केवल इतना बताना था कि घर में नल खराब होने से कितने लीटर पानी व्यर्थ बह जाता है। इसी प्रयोग को 8 विद्यार्थियोंं ने भी अपने घर पर किया। हालाँकि उनके प्रयोग में बूँदों का आकार और उनके गिरने की गति भिन्न-भिन्न थी लेकिन परिणाम एक ही था।
एक व्यक्ति की 41 दिन की जरूरत पूरी
प्रयोग में जो आकलन किया गया उसके अनुसार साल भर में एक नल से 2920 लीटर पानी व्यर्थ बह जाता है। एक व्यक्ति को रोज की जरूरतें पूरी करने के लिये रोजाना औसतन 70 लीटर पानी चाहिए। इस लिहाज से 2920 लीटर पानी से 41 दिन की जरूरत पूरी की जा सकती है।
बच्चों से कराएँ प्रयोग ताकि समझ में आए मोल
लोकेंद्रसिंह का कहना है कि पानी का मोल समझाने के लिये घर में बच्चों से यह प्रयोग कराना चाहिए। ताकि वे भविष्य के लिये पानी को सहेज सकें। घर में यदि नल से पानी टपक रहा है तो उसे दुरुस्त कराएँ। बच्चों को अभी से पानी का महत्त्व समझाएँगे तो वो इसके इस्तेमाल में भी सतर्क होंगे। जहाँ पानी का बेजा इस्तेमाल हो रहा है, उसके खिलाफ आवाज उठाएँगे।
बापू ने एक लोटे पानी से बताया कि कितना जरूरी है हमारे लिये पानी बचाना
महात्मागाँधी इलाहाबाद गए थे। मेजबानी जवाहर लाल नेहरू कर रहे थे। उनके घर आनंद भवन में ही ठहरे थे। एक सुबह हाथ-मुँह धोने के लिये बापू के सामने एक लोटा पानी लाकर रखा गया। उठाते समय लोटा हाथ से छूट गया और सारा पानी ढुलक गया। इस पर बापू अफसोस जताने लगे, तो वहीं खड़े नेहरू ने कहा- 'बापू आप इलाहाबाद में हैं। संगम की नगरी। आप एक लोटे पानी का पछतावा क्यों कर रहे हैं? दूसरा मँगवा लेते हैं।' इस पर बापू ने कहा-
'यहाँ बहुत पानी है इसका मतलब यह नहीं कि सब मेरा है। सबको सिर्फ अपने हिस्से का पानी इस्तेमाल करना चाहिए। दूसरे का नहीं।'
घर में पानी बचाने के तरीके
9 तरीके घर में पानी बचाने के
1. बाथरुम में लीकेज रोकें तो महीने में बचेगा 250 लीटर
घर का 75% पानी बाथरुम में खर्च होता है। मामूली लीकेज से ही हर महीने 250 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। स्टडी के मुताबिक लीकेज में एक नल से हर मिनट 45 बूँद पानी टपकता है। यानी तीन घंटे में 1 लीटर से ज्यादा पानी बह जाता है।
2. ब्रश के समय नल बंद कर बचेंगे 700 लीटर
ब्रश करते समय वॉश बेसिन का नल खुला है तो एक बार में 4 से 5 लीटर पानी बह जाता है। यानी महीने में 150 लीटर। चार लोगों के परिवार में 600 से 700 लीटर पानी ऐसे ही बर्बाद हो जाता है।
3. आरओ मशीन है तो साल में 14 हजार लीटर पानी बर्बाद हो रहा है, इस पानी का इस्तेमाल करें
घर में लगे आरओ मशीन से 1 लीटर पानी निकालने में 3 से 4 लीटर तक पानी बार्बाद हो जाता है। यानी 60% से 75% पानी की बर्बादी। इस हिसाब से अगर घर में रोज 10 लीटर पानी खपत हो रहा है तो 30 से 40 लीटर पानी हम बिना इस्तेमाल किए फेंक देते हैं। यानी महीने में 1200 लीटर और साल में 14,400 लीटर। इसका इस्तेमाल पेड़-पौधों को सींचने में, टॉयलट और गाड़ी धोने में किया जा सकता है।
4. टॉयलेट लीक तो पाँच हजार लीटर पानी की बर्बादी
अक्सर टॉयलेट टैंक लीक करता रहता है। इसे रोक लिया तो 5 हजार लीटर पानी हर महीने बच जाएगा। फ्लश के बदले बाल्टी का इस्तेमाल कर रोज करीब सौ से सवा सौ लीटर पानी बचा सकते हैं।
5. वाशिंग मशीन का पूरा इस्तेमाल पानी बचाएगा
कपड़े दो जोड़ी धोएँ या 10 जोड़ी, पानी उतना ही लगता है। इसलिए वॉशिंग मशीन तभी यूज करें जब बहुत से कपड़े धोने हों। इससे हर महीने करीब 4500 लीटर पानी बच सकता है।
6. शावर की जगह बाल्टी का इस्तेमाल कर बचा सकते हैं 80% पानी
नहाने में शॉवर का इस्तेमाल करें। एक बाल्टी पानी से नहाने लगें तो नहाने में इस्तेमाल पानी का 80% बच जाएगा। देश की आबादी का 20% भी ऐसा करे तो रोजाना 625 करोड़ लीटर पानी बचेगा।
7. बर्तन धोने में रोज बचा सकते हैं 20 ली. पानी
नल के नीचे बर्तन धोने के बदले अगर बाल्टी या टब से पानी लेकर धोने से चार लोगों के परिवार में रोजाना करीब 20 से 25 लीटर पानी बच जाता है। बस आदत बदलने की बात है।
8. नल बंद कर शेविंग करें, 200 ली. बचेंगे
शेविंग करते समय नल खुला छोड़ने से 5 से 7 ली. पानी बर्बाद होता है। इसके बजाय मग में पानी लेकर शेविंग करें। ऐसा करने से एक महीने में करीब 200 ली. पानी बचाया जा सकता है।
9. पाइप से कार धोएंगे तो एक बार में डेढ़ सौ लीटर पानी खर्च होगा जबकि बाल्टी से धोने पर 20 लीटर
पाइप से कार धोने में एक बार में डेढ़ सौ लीटर पानी खर्च होता है। जबकि बाल्टी में पानी लेकर कार साफ करें, तो महज 20 लीटर खर्च होगा। यानी हर बार आप करीब 130 लीटर पानी बचा सकते हैं।
पानी बचाना सामाजिक जिम्मेदारी भी
फिल्टर प्लाण्ट से लेकर घरों तक पहुँचाने में 40% पानी बर्बाद हो जाता है, सरकारों को होता है करोड़ों का नुकसान
1. शहरों में और अब सूखाग्रस्त इलाकों के गाँवों में घरों तक पानी पहुँचाने का काम स्थानीय निकायों के जिम्मे है। लेकिन पुरानी पाइपलाइन और टेक्नोलॉजी के कारण 30% से 40% तक पानी पहुँचाने के दौरान बर्बाद हो जाता है।
2. दिल्ली जैसे शहर में लीकेज के कारण रोज 35 करोड़ लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। इससे सालाना जल बोर्ड को 1000 करोड़ रु. का नुकसान होता है। इसे ठीक कर लिया जाए तो 40 लाख लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है।
इतने खतरनाक हो चुके हैं हालात
2.65 लाख गाँव ऐसे जिनके पास सुरक्षित पेयजल नहीं। आजादी के समय ऐसे 225 गाँव थे।
5 साल का पानी होता था देश के पास 40 वर्ष पहले तक। अब एक साल का भी नहीं बचा।
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