बस भाड़े और बिजली की दरों का करंट झेल चुके दिल्ली वालों को नए साल में पानी का झटका झेलना होगा। मुख्यमंत्री और दिल्ली जल बोर्ड की चेयरपर्सन शीला दीक्षित ने पानी की बढ़ी हुई दरों का ऐलान करते हुए पानी के मीटर न लगाने वालों को कड़ी चेतावनी दी है। उनका कहना है कि 31 दिसंबर तक पानी का मीटर नहीं लगाने वालों के खिलाफ दिल्ली जल बोर्ड कड़ी कार्रवाई करेगा। उन्होंने मीटरों की जांच के लिए तीन मजिस्ट्रेट नियुक्त करने का भी ऐलान किया। एनबीटी ने मंगलवार के अंक में नई दरों का स्लैब प्रकाशित किया था।
पानी की बढ़ी दरों का ऐलान करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि अब तक दिल्ली में छह हजार लीटर तक पानी का उपयोग फ्री होता था लेकिन अब इसके लिए भी उपभोक्ताओं को बिल देना होगा। उन्होंने कहा कि जल बोर्ड चाहता है कि उपभोक्ता जितने पानी का इस्तेमाल कर, वह उतना ही बिल दे। इसके लिए मीटर लगाने का अभियान भी चलाया गया लेकिन यह ज्यादा कामयाब नहीं हुआ। अब तय किया गया है कि जिन घरों में पानी के मीटर नहीं लगे हैं, वे लोग अपने मीटर लगवा लें। अगर लोग जल बोर्ड का मीटर नहीं चाहते तो बीआईएस मार्का या आईएसओ मार्का मीटर लेकर लगा सकते हैं। 31 दिसंबर तक जो लोग मीटर नहीं लगाते, उनके साथ जल बोर्ड को वैसा व्यवहार करना पड़ेगा, जैसा वह नहीं करना चाहता। उन्होंने ऐलान किया कि मीटरों की जांच के लिए मजिस्ट्रेट भी नियुक्त किए जाएंगे, जो मीटर न लगाने वाले उपभोक्ताओं पर कार्रवाई कर सकें।
उन्होंने सफाई दी कि बोर्ड ने पिछले 5 साल में पहली बार दरें बढ़ाई हैं। वह भी इसलिए क्योंकि नए वेतनमान का बोझ भी जल बोर्ड पर पड़ा है और बिजली की दरों का भी। हालांकि दरें बढ़ाने के बावजूद दिल्ली सरकार को जल बोर्ड की सब्सिडी जारी रखनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि दस साल में जल बोर्ड का नेटवर्क सात हजार किमी से बढ़कर 11 हजार किमी हो गया है। वाटर ट्रीटमेंट की क्षमता भी दो हजार से बढ़कर 36 सौ मिलियन लीटर डेली हो गई है। उपभोक्ताओं की तादाद 10 लाख से बढ़कर 18 लाख हो गई है। बोर्ड का कहना है कि बिना मीटर वाले उपभोक्ता इसके अलावा हैं।
पानी की बचत के लिए
मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी बचाने के लिए जल बोर्ड ने खुद भी कई कदम उठाए हैं। वॉटर प्लांटों पर रिसाइकलिंग प्लांट लगाकर पानी को रिसाइकल करने का काम शुरू किया गया है। हैदरपुर में रिसाइकलिंग प्लांट लग चुका है जबकि भगीरथी में इस तरह का प्लांट अगले साल जनवरी में चालू हो जाएगा। इससे दिल्ली में 220 एमएलडी अतिरिक्त पानी मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि बिजली की तर्ज पर ही पानी के लिए भी बल्क मीटर लगाए जाएंगे। फिलहाल 391 में से 305 मीटर लगा दिए गए हैं। इन मीटरों से पता चलेगा कि उस एरिया में जितना पानी सप्लाई किया गया, उतनी पेमेंट मिली या नहीं। इससे यह भी पता चल सकेगा कि कहीं जल बोर्ड के अंडरग्राउंड टैंकों में ही रिसाव तो नहीं हो रहा।
खर्च कम करने की कवायद
सेंट्रल मॉनीटरिंग स्टेशन भी विकसित किए जा रहे हैं ताकि पानी के फ्लो, पेशर और क्वॉलिटी पर नजर रखी जा सके। उन्होंने कहा कि जल बोर्ड को सालाना लगभग एक हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही थी। अब दाम बढ़ने के बाद यह सब्सिडी लगभग सात सौ करोड़ रुपये ही रह जाएगी। उनका कहना है कि 10 साल पहले जल बोर्ड में 28 हजार कर्मचारी थे, जो अब कम होकर 21 हजार हो गए हैं। इसके अलावा औसतन हर एक हजार वॉटर कनेक्शन पर पहले जहां 18 कर्मचारी थे, वहीं अब उनकी तादाद कम होकर 11 रह गई है। इसके अलावा, जल बोर्ड एनजीर् ऑडिट भी करा रहा है ताकि बिजली से होने वाले नुकसान को रोका जा सके। अभी बोर्ड को बिजली के बिल के रूप में 400 करोड़ रुपये अदा करने पड़ते हैं। अब जल बोर्ड ने प्राइवेट बिजली कंपनी एनडीपीएल के साथ मिलकर एनडीपीएल वाले क्षेत्र में ही एक लाख उपभोक्ताओं के मीटरों की रीडिंग और बिलों के लिए समझौता किया है।
प्राइवेट कंपनियों की मदद लेने पर विचार
दिल्ली जल बोर्ड पानी की लीकेज रोकने के लिए अब प्राइवेट कंपनियों की मदद लेने पर विचार कर रहा है। जल बोर्ड के सीईओ रमेश नेगी के मुताबिक हालांकि अभी इस बारे में कोई औपचारिक फैसला नहीं हुआ है लेकिन बोर्ड इस बात पर गंभीरता से विचार कर रहा है। उनका कहना है कि अगर यह काम किसी कंपनी को सौंपा जाता है तो वह पानी की लीकेज का पता लगाएगी यानी कहीं पानी का रिसाव या फिर पानी की चोरी भी इसके दायरे में आ सकते हैं। इससे जल बोर्ड को जो बचत होगी, उसका कुछ हिस्सा इस कंपनी को दिया जा सकता है। उनका कहना है कि इस मामले में कई और पहलुओं को भी ध्यान में रखा जाएगा।
नई दरें
10,000 लीटर की खपत पर पहले 52 रुपये, अब 82 रुपये
20,000 लीटर की खपत पर पहले 82 रुपये, अब 180 रुपये
30,000 लीटर की खपत पर पहले 187 रुपये, अब 470 रुपये
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