पानी के संकट का स्थाई समाधान नहीं हैं टैंकर और जेनरेटर

alternative water tank
alternative water tank

गर्मी आते ही देहरादून में पानी का संकट सामने आने लगा है। देहरादून जिले में पानी की सप्लाई ठीक तरह से नहीं हो पा रही है जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पानी की समस्या को ठीक करने के लिए कुछ क्षेत्रों को चिन्ह्रित किया गया है। पूरे देहरादून जिले में 311 संवेदनशील क्षेत्र चुने गये हैं। जिसमें दून अनुरक्षण खंड में सबसे ज्यादा पानी की किल्लत है। यहां संवेदनशील क्षेत्रों की संख्या है 171 है, दूसरे नंबर पर रायपुर है जहां 41 संवेदनशील क्षेत्र पाये गये। इसी सूची में आगे पिट्ठुवाला और मसूरी भी हैं। पानी की समस्या से निपटने के लिये जल संस्थान ने इमरजेंसी बजट का इंतजाम किया है।

इमरजेंसी बजट क्या है?

जिस प्रकार सरकार अपने काम, आय-व्यय का लेखा-जोखा बजट से करती है। उसी प्रकार हर संस्थान का एक बजट बनता है और उसी से वे अपने काम करते हैं। कभी-कभी अचानक आई समस्या व संकट से निपटने के लिए अतिरिक्त बजट बनाकर रखा जाता है। जिसे जरूरत पड़ने पर ही उपयोग किया जाता है। ऐसे बजट को इमरजेंसी बजट कहते हैं।

देहरादून में पानी का संकट होने के कारण 311 संवेदनशील क्षेत्र के लिए 83 लाख रुपये का इमरजेंसी बजट का इंतजाम किया है। हालांकि, ये बजट राशि तभी रिलीज होगी जब इसकी जरूरत होगी। पूरे राज्य में पानी का संकट सामने आ रहा है। इसके लिये जल संस्थान मुख्यालय द्वारा पूरे प्रदेश के लिये अलग से 9 करोड़ 97 लाख के बजट की व्यवस्था की गई है। पानी की किल्लत को दूर करने के लिये कुछ अस्थायी व्यवस्था भी की जा रही है। जिसमें लोगों तक पानी के टैंकर के जरिये पानी की सप्लाई की जायेगी। इसके लिये विभाग ने 196 टैंकरों को किराये पर लिया है।

अस्थाई समाधान

पानी की बड़ी समस्या बिजली कटौती के कारण भी सामने आ रही है। बिजली आती रहे इसलिये 76 जनरेटर्स का भी इंतजाम किया है। इसके बाद भी विभाग की लापरवाही साफ नजर आ रही है। जल संस्थान ने नियम बना रखा है कि गर्मियों में नये कनेक्शन नहीं दिए जाएंगे और न ही नई लाइनें डाली जाएंगी। ताकि गर्मियों में पानी की सप्लाई न रुके और लोगों को पानी की किल्लत का सामना न करना पड़े। लेकिन देहरादून में ही पेयजल निगम इस नियम की धज्जियां उड़ा रहा है। पिछले कुछ दिनों से जगह-जगह पर नई पाइप लाइन डाली जा रही है जिसके लिये पुरानी पाइप लाइन हटाई गई और पानी की सप्लाई बंद कर दी गई है।

पेयजल निगम को अमृत योजना के तहत गर्मियों से पहले पुरानी लाइन हटाकर, नई पाइप लाइन डाल देनी थी। तब केन्द्र से बजट न मिलने पर काम पूरा नहीं हो पाया और 6 महीने का समय और बढ़ा दिया गया। केन्द्र से बजट रिलीज होने पर पेयजल निगम अब उस काम को पूरा कर रहा है। पुरानी लाइन को हटाकर नई लाइनें भी बदलीं जा रही हैं और टूटी हुई पाइप लाइन को भी बदला जा रहा है। 

लोगों में नाराजगी: जेसीबी का किया जा रहा उपयोग

पुरानी लाइनों के फटने की शिकायत तो आ ही रही है, नई लाइनों के फटने की भी शिकायत आ रही है। पाइप लाइन फटने पर लोगों का कहना है कि पेयजल निगम को मैन्युअली काम कराना चाहिए जबकि वो जेसीबी से काम करा रहे हैं। यदि मैन्युअली काम कराया  जाता तो पाइप लाइनों के फटने की दिक्कत नहीं आती। जल संस्थान के सीजीएम एसके शर्मा ने बताया कि जल संस्थान की ओर से गर्मियों की पूरी तैयारी कर ली गई है। समय-समय पर आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किये जा रहे हैं। देहरादून में पेयजल की 67 योजनायें चल रही हैं इसके बावजूद गर्मियों में पानी की किल्लत सामने आ जाती है। टैंकर और जनरेटरर्स तो सिर्फ अस्थायी समाधान है, इस संकट से निपटने के लिये कुछ स्थायी समाधान भी खोजने होंगे।

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