पानी के प्रति सचेत करने को जल एवं कृषि गोष्ठी का आयोजन


पश्चिम चम्पारण के जिला मुख्यालय बेतिया से 20 किमी सुदूर दियारा क्षेत्र के तेल्हुआ बीन टोली में जल एवं कृषि की समस्याओं पर गोष्ठी आयोजित का गयी। कार्यक्रम मेघपाईन अभियान की पहल पर किया गया। 8 अप्रैल 2010 को हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता पंचायत राज दक्षिण तेल्हुआ की मुखिया श्री मति लालझरी देवी ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सीडीपीओ कृष्ण मुखर्जी ने कहा कि पानी की समस्या हमारे देश के लिए ही नहीं पूरे विश्व के लिए गंभीर समस्या बनती जा रही है। आने वाले दिनों की संभावित स्थिति पर गौर करने की जरूरत है।

दक्षिण तेल्हुआ के बीन टोली में आयोजित जल एवं कृषि गोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रखंड प्रमुख अरुणा देवी ने कहा कि जीवन बचाने के लिए वर्षा का पानी संग्रह कर पीये। कुंआ के उड़ाही, कर शुद्ध जल पीयें। मटका फिल्टर खरीदकर या बनवा कर अपने अपने घरों में लगवायें तथा आयरन व आर्सैनिक व वैक्टिरिया मुक्त पानी पींये।

मेघपाईन अभियान के बृजभूषण झा ने कहा कि आज भूजल का स्तर नीचे गिरता जा रहा है। खेती महंगी होती जा रही है। मेघ पाईन सहरसा के पवन, श्यामकुमार पटना के प्रदीप, बृज किशोर, सूनिला, प्रभावती आदि ने जल ही जीवन है को विस्तार से समझाते हुए अपनी बातें रखीं। कार्यक्रम में श्यामपुर कोतराहां पंचायत तथा द0 तेल्हुआ पंचायत के करीब 200 लोगों ने भाग लिया जिसमें पंचायत प्रतिनिधि - सरपंच मदन भगत, पंचायत समिति सदस्य असेसर पटेल व अन्य वार्डसदस्य तथा गांव विकास समिति सदस्य, अध्यक्ष, सचिव, शिक्षक, आंगनवाडी सेविका, सहायिका, आशा से जुड़े लोग व गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। कार्यक्रम मेघपाईन अभियान दिउलिया, जगदीशपुर के बैनर के नीचे संपन्न हुआ।

गंडक नदी के किनारे बसा हुआ यह गांव प्रतिवर्ष बाढ़ से प्रभावित रहता है। बाढ़ प्रभावित होने के वजह से, पेयजल का संकट बना रहता है। बाढ़ के समय तो लोग बाढ़ का दूषित पानी पीते हैं जिससे अस्वस्थ्य रहते हैं। बाढ़ के बाद चापाकलों पर निर्भर होते हैं जो आयरन व आर्सेनिक से प्रभावित हैं।

कार्यक्रम आयोजक गोष्ठी के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए कहते हैं कि पहला उद्देश्य है शुद्ध व स्वच्छ पेयजल के लिए वर्षाजल और कुंआ जल के उपयोग को बढ़ावा देना, दूसरा है, फायेदंमद शौचालय (इकोसैन) से निकले हुए मल-मूत्र को खाद के रूप में उपयोग करना, तीसरा जैविक खेती, श्री विधि से धान की खेती तथा पानी फिल्टर का उपयोग जिससे आयरन, आर्सेनिक और वैक्टीरिया से मुक्त पानी पीने को मिले।

 

 

कार्यक्रम की झलकियां


पानी फिल्टर का प्रदर्शन -

गोष्ठी में फिल्टर उत्पादन केन्द्र से निर्मित 15 पानी फिल्टर तथा 11 जलकोठी का भव्य प्रदर्शन किया गया। विशेष रूप से आयरनयुक्त चापाकल के पानी का जलतारा कीट से जांचा गया तथा फिर नवनिर्मित पानी फिल्टर में उसी चापाकल के पानी को डालकर निकले हुए पानी का जांच किया गया तो सभी उपस्थित लोग आश्चर्य में पड़ गए कि बिना फिल्टर वाला पानी आयरन से भरा हुआ था जिसमें तीन मिलीग्राम प्रतिलीटर आयरन की मात्रा पायी गयी तथा फिल्टर वाला पानी में आयरन की मात्रा बिल्कुल नहीं था।

पानी फिल्टर के स्थानीय तकनीक आधारित होने की जानकारी सभी को दिया गया। यह फिल्टर बांस ,सीमेंट, बालू, से बनाया गया था। जिसमें मात्र 80 लीटर पानी क्षमता है । फिल्टर के अंदर बालू, ईट का टुकड़ा , लकड़ी का कोयला एवं नेट को डालकर स्थानीय फिल्टर को सस्ता व टिकाउपन के लिए सिर्फ 600 रूपया मूल्य निधारित किया गया था। इस फिल्टर में नीचले भाग के टंकी में 10 लीटर पानी हमेशा फिल्टर हो कर आयरन व वैक्टीरिया मुक्त पानी रहता है। इसमें 3 स्तर बालू, एक स्तर लकड़ी कोयला, तथा एक स्तर ईंट-गिटी डाला गया है।

पानी फिल्टर उत्पादन केन्द्र का उद्घाटन -

मेघ पाइन अभियान प. चम्पारण टीम ने एक विजनश मॉडल पानी फिल्टर उत्पादन केन्द्र को विकसित किया है जिसके लिए एक उत्पादन केन्द्र मौजे टोला बीन टोली द तेल्हुआ पंचायत में रखा गया है। इस उत्पादन केन्द्र का उधाटन इसी गोष्ठी में फीता काटकर प्रखण्ड प्रमुख अरूणा देवी, बालविकास परियोजना पदाधिकारी कृष्णा मुखर्जी व मुखिया लालझरी देवी ने किया।

कृषि में जैविक खाद व फायदेमंद शौचालय का उपयोग -

मानव मूत्र में अच्छे उर्वरक होते हैं, जिसके उपयोग से फसल अच्छी होती है। हरिजन टोला मे फागु राम एवं प्रेम राम के घर पर बनाया गया फायदेमंद शौचालय पर प्रकाश डाला गया।

प्रस्तुति:- विनय कुमार, जिला कार्यक्रम समन्वयक, मेघ पाईन अभियान, पश्चिम चम्पारण

 

 

 

 

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