दुनिया के नक्शे पर एक छोटा सा देश इजरायल जिसका क्षेत्रफल मात्र 20770 वर्ग किमी है। जी हां, इतना छोटा देश है कि भारत के क्षेत्रफल का मात्र 0.63 प्रतिशत है। इतना ही नहीं इजरायल के पूरे क्षेत्रफल का मात्र 2 प्रतिशत ही पानी से युक्त है। जबकि भारत में 9.5 प्रतिशत से ज्यादा इलाका पानी से युक्त है। वहां का भौगोलिक क्षेत्र एवं वातावरण इस प्रकार है कि उसकी तुलना भारत के सबसे कम पानी वाले इलाकों से की जा सकती है। भारत में वर्षा का सलाना औसत 715 मिमी है जबकि इजराइल में वर्षा का औसत मात्र 500 से 700 मिमी के बीच ही है। इसके बावजूद वहां भारत जैसी पानी की समस्या नहीं है। आखिर क्यों?
यही बात बताया इजरायल के नेशनल सीवरेज अथॉरिटी के चीफ इंजिनियर डा. गिओरा एलन ने। अपने भारत दौरे के दौरान मुंबई में 6 अगस्त 2009 को जल संरक्षण पर आयोजित एक संगोष्ठी में शिरकत करते हुए उन्होंने बताया कि इजरायल में पानी दुर्लभ है। उनका देश शुष्क क्षेत्र में पड़ता है, जबकि पानी के स्रोत लगातार बढ़ती जरूरत के हिसाब से अपर्याप्त हैं। डा. एलन के मुताबिक किसी भी देश के लिए जल एक प्रमुख राष्ट्रीय स्रोत होने के साथ सामाजिक आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण स्रोत होता है। लेकिन जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के चलते भविष्य में जल की उपलब्धता और भी प्रभावित होने वाली है।
इससे निपटने के लिए इजरायल ने कई छोटे-बड़े उपाय किए हैं, जिनमें से कुछ राष्ट्रीय स्तर पर तो कुछ स्थानीय स्तर पर किए गए हैं। कम पानी में काम चलाने के लिए देश के लगभग हर विभाग ने दिशानिर्देश बनाए हैं। इजरायल के विभिन्न नगर निकायों के ऊपर जल के दुरूपयोग व प्रदूषण पर कड़ी नजर रखने का जिम्मा है। ड्रेनेज की सफाई के लिए टैक्स लगाने की व्यवस्था है। फैक्ट्रियों में लवणों का उपयोग सीमित मात्रा में ही किया जा सकता है। सिंचाई में भी रिसाइकिल किए जल के उपयोग का निर्देश है। इतना ही नहीं इजरायल में सिंचाई में उपयोग किया जाने वाला 75 प्रतिशत पानी का फिर से इस्तेमाल होता है। पानी के कड़े प्रबंधन के बदौलत ही इजरायल अपनी आवश्यकता का 93 प्रतिशत खाद्यान्न खुद ही उपजाता है। जल स्रोतों के संरक्षण के लिए सरकार ने कड़े नियम बनाए हैं। इस प्रकार कुछ ही जगहों पर समुद्र तटों, नदियों व झीलों में तैरने की इजाजत है।
इस तरह आतंकी हमलों में निपटने में दुनिया के लिए उदाहरण बन चुका इजरायल आज पानी बचाने एवं सही उपयोग करने के मामले में भी मिसाल बन चुका है।
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