पानी

पानी है तो धरती पर संगीत हैः
झील-झरनों-नदियों-समुद्र का,
बूँद का-घूँट का!

पानी है तो बानी है
पदार्थ हैं इसलिए कि पानी है
और गूँगे नहीं हैं रंग पानी है
इसीलिए पृथ्वी में घूमने का बल है

पानी भी जब पानी माँग ले
तो समझो कीच-कालिख की
गिरफ़्त में है वक़्त

जि़न्दगानी को जो नोच-खाय
तो जानो उसके आँख का पानी मर गया!

भर गया जो गला
सुन कर चीख-पुकार
वह पानी है!

पानी जो दौड़-दौड़ कर
पृथ्वी का चेहरा
सँवारता रहता है!

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