पैसे से नहीं साफ होगी यमुना

Yamuna cleaning
Yamuna cleaning

अब दिल्ली सरकार ने यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये 6000 करोड़ रुपए की योजना बनाई है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ करोड़ों रुपए का बजट बनाने और उसे खर्च करने से ही यमुना साफ हो जाएगी। अतीत के अनुभव को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि पैसे से यमुना को साफ नहीं किया जा सकता है। दिल्ली सरकार के इस योजना में यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने और इसके आसपास के क्षेत्र का सौन्दर्यीकरण करने पर लगभग 6 हजार करोड़ रुपए की लागत आएगी।

यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने का अभियान लम्बे समय से चल रहा है। अपने पूरे बहाव क्षेत्र में यमुना दिल्ली में सबसे अधिक प्रदूषित है। दिल्ली की सीमा शुरू होने के बाद से ही यमुना गन्दी होने लगती है। वजीराबाद से लेकर ओखला बैराज तक यमुना गन्दे नाले में तब्दील हो गई है।

सामाजिक और पर्यावरण कार्यकर्ता यमुना को साफ करने के लिये जितना आवाज उठाते हैं, सरकार के बजट में यमुना साफ करने का रुपया बढ़ता जाता है। अभी यमुना को साफ करने के लिये कई योजनाएँ और परियोजनाएँ बन चुकी हैं। इसमें हजारों करोड़ रुपए पानी की तरह बहाए भी जा चुके हैं लेकिन यमुना है कि प्रदूषण मुक्त होने का नाम ही नहीं ले रही है। अब दिल्ली सरकार ने यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये 6000 करोड़ रुपए की योजना बनाई है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ करोड़ों रुपए का बजट बनाने और उसे खर्च करने से ही यमुना साफ हो जाएगी।

अतीत के अनुभव को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि पैसे से यमुना को साफ नहीं किया जा सकता है। दिल्ली सरकार के इस योजना में यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने और इसके आसपास के क्षेत्र का सौन्दर्यीकरण करने पर लगभग 6 हजार करोड़ रुपए की लागत आएगी। दिल्ली सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिये केन्द्र सरकार से मदद माँगी है। दिल्ली सरकार के जल संसाधन मंत्री कपिल मिश्रा कहते हैं कि यमुना की सफाई और इसके आसपास होने वाले विकास के लिये केन्द्र सरकार पर्याप्त सहयोग करेगा।

दिल्ली सरकार के यमुना को साफ करने की इस योजना को देखकर कुछ सम्भावना बनती है कि शायद इस बार यमुना कुछ साफ हो सकेगी। इसका कारण यह है कि सरकार ने इस बार यमुना को गन्दा करने वाले नालों को ध्यान में रखकर योजना बनाई है। दिल्ली के सारे गन्दे नाले यमुना में गिरते हैं। लम्बे समय से गन्दे पानी को साफ करके यमुना में डालने की बात होती रही है। अब सरकार का ध्यान भी इस तरफ गया है। कपिल मिश्रा कहते हैं कि इस छह हजार करोड़ रुपए की राशि से नजफगढ़ इंटरसेप्टर परियोजना, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, यमुना किनारे सौन्दर्यीकरण जैसे महत्त्वपूर्ण काम को पूरा किया जाएगा।

दिल्ली सरकार यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के बाबत केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती और केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भी सहयोग माँगा है, दोनों मंत्रियों ने सहयोग का भरोसा दिया है। इस योजना के तहत दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में 15 नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाए जा रहे हैं और 130 किलोमीटर लम्बा सीवर की बड़ी लाइन बिछाई जाएगी। इस योजना के जरिए अनधिकृत कॉलोनियों से निकलने वाले गन्दे पानी को शोधित करने के बाद ही यमुना में डाला जाएगा।

दिल्ली में लोगों को साफ-सुथरा पानी मिले, इसके लिये यमुना को स्वच्छ करने के हर तरीके पर विचार किया जा रहा है। केन्द्र सरकार ने अटल मिशन के तहत दिल्ली के पेयजल और सीवेज सिस्टम परियोजनाओं के लिये 266 करोड़ रुपए मंजूर किये हैं। इससे पहले इसी मिशन के तहत केन्द्र सरकार 223 करोड़ रुपए मंजूर कर चुकी है। इस तरह से दिल्ली के बुनियादी ढाँचा के विकास के लिये अब अटल मिशन के तहत कुल 489 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत हो चुकी है।

शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यह पूरी 489 करोड़ रुपए की राशि केन्द्र सरकार ही देगी। इसमें से 215 करोड़ रुपए पेयजल लाइनों को दुरुस्त करके पेयजल सप्लाई बढ़ाने और 254 करोड़ रुपए सीवेज परियोजनाओं के लिये रखे गए हैं। इसी तरह से ड्रेनेज के लिये आठ करोड़ और ओपन स्पेस डेवलप करने के लिये 12 करोड़ रुपए की राशि रखी गई है।

मंत्रालय को इस रकम के लिये जो खाका भेजा गया है, उसके मुताबिक इस रकम में से पूर्वी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में पेयजल से जुड़े पाँच प्रोजेक्ट के लिये 102 करोड़ रुपए मिलेंगे। उत्तरी नगर निगम के लिये 95 करोड़ रुपए सीवेज प्रोजेक्ट के लिये होंगे। दक्षिणी नगर निगम इलाके में सीवेज के लिये 55 करोड़ रुपए रखे गए हैं।

दिल्ली में सीवेज और पेयजल की समस्या लम्बे समय से बनी हुई है। एक तरह दोनों समस्याएँ एक दूसरे की पूरक हैं। दिल्ली में सीवेज का गन्दा पानी बिना शोधित हुए यमुना में गिरता है। जिससे यमुना का पानी दूषित हो रहा है। यमुना का पानी दूषित होकर पीने लायक नहीं रह गया है। दूसरी तरफ दिल्ली के झील, तालाब, जलाशय और छोटी नदियाँ घरों से निकलने वाले कचरा और सीवेज के गन्दे पानी से पहले ही तबाह हो चुके हैं। घरों से निकलने वाले ठोस कचरा और गन्दे पानी को यदि तालाबों, जलाशयों और नदियों में गिरने से बचाया जाये तो पेयजल की इतनी किल्लत दिल्ली को न झेलना पड़े, इसके साथ ही यमुना के प्रदूषण का स्तर भी इतना न बढ़े।

दिल्ली शहर और ग्रामीण इलाकों के गन्दे पानी को शोधित करके शहर की कई जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। सिचाईंं, मोटरगाड़ी साफ करने के लिये शोधित पानी का उपयोग किया जा सकता है। अभी दिल्ली क्या अधिकांश शहरों में पेयजल को आपूर्ति होने वाले पानी से ही गैराज आदि में गाडि़यों को धोने का काम किया जाता है।

घरों में बागवानी के शौकीन भी पेयजल से ही उसको सींचते है। पानी को लेकर जब तक हम संवेदनशील रवैया नहीं अपनाएँगे, तब तक हम जलाशयों, तालाबों और नदियों के महत्त्व को नहीं समझ सकते हैं। पानी को लेकर हमें अपने विचार एवं व्यवहार को बदलना होगा। तब जाकर हम नदियों को प्रदूषण मुक्त और हर व्यक्ति को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करा सकेंगे। नदियों को साफ करने की योजना तभी कारगर हो सकेगी।

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Post By: RuralWater
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