पैसा नहीं, पानी बहाना होगा...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से पहला वादा किया है गंगा को साफ करने का। आने वाले पांच साल राष्ट्रीय नदी को साफ करने को लगेंगे। लेकिन एक्सपर्ट कह रहे हैं कि सिर्फ पैसा बहाने से नदियां बच जातीं तो यह काम पहले ही हो चुका होता।

गंगा की सफाई ने एक बार फिर पूरे राष्ट्र का ध्यान इसकी ओर खींचा है। चर्चाएं चल रही हैं कि गंगा को बचाने की कवायद युद्धस्तर पर शुरू की जानी चाहिए। लेकिन गंगा इकलौती नदी नहीं है, जिसे साफ कर संरक्षित किए जाने की जरूरत है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने पिछले साल ही एक रिपोर्ट जारी कर बताया था कि देश की 445 बड़ी-छोटी नदियों में से आधी से ज्यादा प्रदूषित हैं।

इन सभी में प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि इनका पानी पीने क्या नहाने योग्य भी नहीं बचा है। यमुना में ऑक्सीजन न के बराबर है, इसलिए एक्सपर्ट्स ने इसको डेड यानी मृत घोषित कर दिया है। गोमती और चंबल भी देश की प्रदूषित नदियों में हैं। नर्मदा, ताप्ती, शिप्रा, महानदी, इंद्रावती, कालीसिंध, माही, वर्धा, मीठी जैसी नदियां भी लगातार प्रदूषित हो रही हैं।

इस बारे में जल संरक्षणकर्ता अनुपम मिश्र कहते हैं, 'नर्मदा के कुछ हिस्सों को छोड़ दें तो देश की लगभग सभी नदियां कम-ज्यादा प्रदूषित हो चुकी हैं। सरकार का ध्यान बहुत पहले गंगा फिर यमुना पर भी गया था और देश की हर नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए कानून भी बना था। लेकिन हुआ कुछ नहीं। अब फिर गंगा पर ध्यान गया है। लेकिन सिर्फ ध्यान जाने से कुछ नहीं होने वाला। नदियों की सफाई, उनमें पैसा बहाने से नहीं, पानी बहाने से होगी।'

वे आगे कहते हैं कि आज हर नदी का पानी उद्योग, खेती और पेयजल के लिए निचोड़ा जा रहा है और उसमें वापस इन तीनों की गंदगी मिलाई जा रही है। इस तरह प्रदूषित हुई नदियां न तंत्र (मशीनों से), न मंत्र से साफ हो सकेंगी। इनमें दूध नहीं, पानी बहाना है।

सामाजिक कार्यकर्ता संदीप नाईक अभी छत्तीसगढ़ के दौरे से लौटे हैं। वे बताते हैं कि एक समय इस प्रदेश की पहचान रही महानदी अब बुरी हालत में है। यही हाल प्रदेश की एक अन्य नदी इंद्रावती का भी है। यदि जल्दी ध्यान नहीं दिया गया तो ये इतिहास बन जाएंगी, जैसे इंदौर की खान नदी तो अब सिर्फ किस्से-कहानियों में सिमट गई है।

इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट की जरूरत : अंशुमन


गंगा के अलावा किन नदियों की सफाई जरूरी है?
-गंगा, यमुना देश की प्रदूषित नदियों में से है। इनके अलावा आंध्र प्रदेश में मूसी, हरियाणा में झज्जर, मध्य प्रदेश में चंबल, खान, गुजरात में साबरमती, दमनगंगा, हिमाचल में सुखना, महाराष्ट्र में भीमा, गोदावरी जैसी बड़ी नदियों को साफ करना जरूरी है। यह सफाई जरूरी है ताकि लोगों को पीने के लिए साफ पानी मिले और बायोडायर्सिटी बनी रहे।

नदियों की सफाई से क्या होगा?
नदी जहां से बहना शुरू करती है और जहां तक उसका विस्तार है, उसके आसपास का पूरा क्षेत्र उसके पानी पर निर्भर है। फिर जाहे पीने का पानी हो, कृषि में सिंचाई के उपयोग आने वाला पानी या फिर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के लिए जरूरी पानी। यदि नदी का पानी साफ नहीं है तो इसका सीधा असर कृषि और उद्योग पर भी पड़ेगा, जो देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

नदियों की सफाई किस तरह से की जा सकती है?
सबसे पहले बिना ट्रीटमेंट के नदी में बहाए जाने वाले सीवेज को रोकना होगा। गंगा और यमुना के दूषित होने का मुख्य कारण यही है। इस सीवेज में घरों से निकला कजरा व सीवेज और इंडस्ट्रियल वेस्टवाटर शामिल है। इसके लिए एक इंटीग्रेटेड रिवर बेसिन मैनेजमेंट तैयार करना होगा, जिसके तहत नदी में ट्रीटमेंट के बाद सीवेज मिलाने, उसकी निर्धारित मात्रा तय करना आदि के लिए स्पष्ट निर्देश हों। सबसे जरूरी, जवाबदेही तय करके नदी का प्रदूषण रोकना होगा। इसके लिए पैनल्टी और इंसेटिव्स लगाए जा सकते हैं। जो नदी को गंदा कर रहे हैं, उन्हें हर्जाना भरना पड़े और जो उसके संरक्षण में जुटे हैं, उन्हें इंसेटिव देकर प्रोत्साहित किया जाए।

नदियों की सफाई से क्या-क्या चीजें बेहतर होंगी?
नदी की सेहत सुधरेगी। सतह के साथ-साथ भूजल स्तर गुणवत्ता में सुधार होगा। और ईको-सिस्टम बेहतर होगा। जलजनित रोग जो पिछले सालों में बढ़े हैं, कम होंगे। आम आदमी की जेब पर पानी से होने वाली बीमारी के इलाज का खर्च भार घटेगा। विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके जलीय जंतुओं के साथ अन्य जंतु भी फायदे में रहेंगे। (अंशुमन,एसोसिएट डायरेक्टर, वाटर रिसॉर्सेज 'टेरी', द एनर्जी एंड रिसॉर्सेज इंस्टीट्यूट)

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Post By: pankajbagwan
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