![पैन वाष्पीकरण मीटर, Pc-constructor](/sites/default/files/styles/node_lead_image/public/2023-05/pan-evaporation.jpg?itok=vY5Ba2yI)
प्रस्तावना
जब वर्षा और मृदा में संचित नमी फसलों की पैदावार बढ़ाने स्थिर करने के लिये पर्याप्त नहीं होती है तब फसलों की जल की माँग को पूरा करने के लिये सिंचाई बहुत ही आवश्यक है। कृषि उद्देश्यों के लिये जल संसाधनों की उपलब्धता तेजी से घट रही है क्योंकि अन्य क्षेत्रों में प्रतिस्पधायें दिन-प्रतिदिन बढ़ती हो जा रही है। हमारे देश में वर्ष 20025 और वर्ष 2050 तक सतह जल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता क्रमश: 1401 घन मीटर और1191 घन मीटर हो जाएगी जो वर्ष 1991 में 2300 घन मीटर थी (कुमार एट आल 2005)। यह अनुमान लगाया गया है कि मीठे पानी के संसाधनों को बढ़ाने की गुंजाइश कम हो रही है अतः ताजे जल की उपलब्धता की घटने की समस्या को हल करने के लिये जल के उपयोग की दक्षतापूर्वक बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है। सिंचाई के जल का अनुचित उपयोग उदाहरण के लिये जैसे जल का अतिरिक्त उपयोग जल, ऊर्जा और श्रम में अपव्यय का कारण बन जाता है जिससे मृदा वातन, पौधों के जड़ क्षेत्र से पोषक तत्वों की मात्रा में कमी आ जाती है जिसके परिणामस्वरूप फसलों की उपज प्रभावित होती है। इसी प्रकार सिचाई के जल की कमी पौधों में जल और पोषक तत्व तनाव के द्वारा उपन पर प्रभाव डालती है। इस संदर्भ में उपलब्ध जल संसाधनों का प्रभावी उपयोग करने के लिये वैज्ञानिक सिचाई के समय का निर्धारण किसानों को बहुत सहायता कर सकता है एक ऐसा उपकरण जो वाष्पीकरण को मापने के साथ-साथ मौसम के कारकों के प्रभाव को भी एकीकृत करता हो सिंचाई समय के निर्धारण के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है। संयुक्त राज्य अमेरिका मौसम ब्यूरो (USWB) का वाष्पीकरण पैन जल की विशिष्ट खुली सतह से वाष्पीकरण माप पर सौर विकिरण, तापमान, हवा की गति और उमस का सामूहिक प्रभाव प्रदान करता है। अन्य पैन के मुकाबले इसके बेहतर प्रदर्शन के चलते इस पैन की आज भी पूरे विश्व में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है
![संयुक्त राज्य अमेरिका मौसम ज्यूरो (IISWB) का चाकर पैन](/sites/default/files/inline-images/Evaporation%20and%20its%20Methods%20of%20Measurement%20-.png)
सिंचाई जल संचयी पैन वाष्पीकरण (IW/CPE) अनुपात
यह दृष्टिकोण निश्चित सिंचाई जल की मात्रा और संचयी पैन वाष्पीकरण की मात्रा के अनुपात पर आधारित था जिसको खेत स्तर पर अधिक प्रायोगिक माना गया है (प्राइटर एट आल, 1974) उन्होनें गेहूँ की फसल में सिचाई के समय का निर्धारण करने के लिये इस तकनीक को उपयोग में साने का प्रयास किया और यह निष्कर्ष निकाला कि उपज में बिना किसी हानि के सिंचाई जल की गहराई / संचित पैन वाष्पीकरण (IW/CPE) अनुपात के आधार पर सिंचाई के समय निर्धारण के अनुसार सिंचाई के जल का उचित उपयोग करना एक बहुत ही व्यावहारिक तरीका है। भारत में विभिन्न फसलों में सिंचाई के समय के निर्धारण के लिये IW/CPE अनुपात (यूएसडब्ल्यूबी क्लास ए पैन का उपयोग कर) के प्रयोग को कई अनुसन्धानों के साहित्य में वर्णित किया गया है। फिलहाल वाष्पीकरण पैन को अधिक लागत, बड़े आकार, रखरखाव और दैनिक माप में मुश्किल आदि इसकी व्यावहारिक उपयोगिता के लिये किसानों के स्तर पर कुछ कमियां है इसलिये इस उपकरण को और अधिक व्यावहारिक बनाने के लिये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छोटे आकार के वाष्पीकरण मीटरों को विकसित करने के लिये कई प्रयास किये गये हैं।
![पैन वाष्पीकरण](/sites/default/files/inline-images/%E0%A4%AA%E0%A5%88%E0%A4%A8%20%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3.png)
![निर्धारण बाल्टी](/sites/default/files/inline-images/%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%80.png)
छोटे आकार के वाष्पीकरण मीटर के साथ प्रयोग
शर्मा एट अल, 1975 ने अलग-अलग रंगों (काला, एल्यूमीनियम और सफेद) के साथ मेष स्क्रीन सहित कवर किये गये वाष्पीकरण मीटर (10.3 सेमी व्यास और 14.3 सेमी की ऊँचाई के साथ प्लास्टिक का पैन) का उपयोग किया पैन वाष्पीकरण मीटर को रिम के नीचे से 1.5 सेंटीमीटर तक जल से भर दिया गया और इसको भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में फसल की ऊंचाई और फसल को ऊँचाई से 30 सेंटीमीटर ऊपर तक गेहूं के खेत में रखा गया। उन्होंने इस उपकरण के वापीकरण आँकड़ों, यूएसडब्ल्यूबी क्लास-ए पैन और गेहूँ के खेत में वास्तविक वाष्पोत्सर्जन (ET) जो कि मृदा की नमी के रिकॉर्ड प्राप्त हुआ था की तुलना एक साथ की गयी इस अनुसंधान के परिणामों ने बताया कि दोनों एल्यूमीनियम और सफेद रंग के वाष्पीकरण मीटर जो कि फसल की ऊँचाई तक रखे गये थे ने मृदा में नमी की कमी द्वारा आकलित वास्तविक वाष्पोत्सर्जन (ET) के साथ सबसे अच्छा संबंध दर्शाया है।
![मिनी वाष्पीकरण पैन](/sites/default/files/inline-images/%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20%E0%A4%AA%E0%A5%88%E0%A4%A8.png)
टॉरस (1998) ने कोलंबिया में सफेद बेलनाकार प्लास्टिक की बाल्टी (0.30 मीटर व्यास और 0.40 मीटर ऊँचाई ) उपकरण का उपयोग करके गन्ने की फसल में सिंचाई के समय के निर्धारण के लिये प्रयोग किया। बाल्टी से प्राप्त वाष्पीकरण का मूल्य क्लास-ए पैन वाष्पीकरण मीटर से प्राप्त मूल्य की तुलना 9% अधिक था। उन्होंने चार सिचाई के समय निर्धारण के उपचारों अर्थात् किसानों के अनुभव पर आधारित वाणिज्यिक सिंचाई, दैनिक जल संतुलन गणना, जल बजट की दो बार साप्ताहिक गणना और कैलिब्रेटेड प्लास्टिक की बाल्टी के साथ खेत में परीक्षण भी किया। इस प्रयोग के परिणाम में 12% अधिक गन्ना और चीनी उपज प्राप्त हुई और किसान वाणिज्यिक सिंचाई उपचार की तुलना में चार सिचाइयों को छोड़ सकता है। उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि केलिब्रेसन के बाद शेड्यूलर बाल्टी का अलग-अलग फसलों में सिंचाई के जल को बचाने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है और कम जल के साथ अधिक उपज प्राप्त करने के लिये भी इसको उपयोग में लिया जा सकता है।
![यूजीए इजी सिंचाई निर्धारक](/sites/default/files/inline-images/%E0%A4%AF%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%8F%20%E0%A4%87%E0%A4%9C%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%88%20%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%95.png)
ऑस्ट्रेलिया में क्वींसलैंड राज्य के बरडेकीन और बुंडावर्ग जिलों में, एक छोटे पैन वाष्पीकरण मीटर (200 लीटर की क्षमता वाले प्लास्टिक ड्रम का आधा भाग) का गन्ने की फसल में सिंचाई के समय का निर्धारण के लिये इस्तेमाल किया गया (होल्डन एट आल, 1997)। यह पद्धति समय संचयी वाष्पीकरण पर आधारित है जहाँ इस तकनीक में दर्ज की गई अधिकतम दर 50% से डंठल विकास दर में गिरावट और मिनी पैन से वाष्पीकृत जल की गहराई जो मृदा में नमी की कमी को दर्शाती है। उन्होंने देखा कि छोटे पैन वाष्पोकरण मीटर द्वारा दर्ज वाष्पीकरण यूएसडब्ल्यूबी क्लास ए पैन से 15% अधिक था बरडेकीन और बुंडावर्ग जिलों के मिनी पैन उपयोगकताओं की जल उपयोग दक्षता में क्रमश: 0.5 टन / मिलीलीटर (7.8-8.3 टन/ मिलीलीटर) और 0.9 टन/ मिलीलीटर (9.6-10.5 टन / मिलीलीटर) की वृद्धि प्राप्त हुई। उन्होंने बताया कि जहाँ सिंचाई के समय के निर्धारण के अन्य उपकरण विफल हो गये हों ऐसी स्थिति में कुछ कारकों जैसे आसानी समझने व उपयोग करने में आसान आदि ने गया की फसल में सिचाई के समय का निर्धारण करने के लिये मिनी पैन को सफलतापूर्वक अपनाने के लिये प्रेरित किया। शेनन औरराइन (1996) ने बताया कि गैर उपयोगकर्ताओं की तुलना में गन्ने की फसल में सिंचाई के समय का निर्धारण करने के लिये पैन वाष्पीकरण मीटर के उपयोग से 10 से 47% तक जल के उपयोग को बचाया जा सकता है।
थॉमस एट अल (2004) ने अमेरीका के जॉर्जिया विश्वविद्यालय के टिफ्टन कैम्पस में एक साधारण, कम लागत और कम आकार वाले पैन सिचाई निर्धारक (अंजीर 5) की डिजाइन बनाई जिसको यूजीए ईएएसवाई (यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया इथेपोरेसन बेस्ट एक्यूमिलेटर फॉर स्प्रिंकलर एनहांस्ड यील्ड) नाम दिया गया। यह पैन सिंचाई निर्धारक 65 लीटर क्षमता के साथ गेल्वेनाइजा लोहे से बनाया गया था। शीर्ष का व्यास, तल का व्यास और पैन वाष्पीकरण मीटर की ऊँचाई क्रमश: 61 सेमी, 52 सेमी और 28 सेमी रखी गई थी। इस सिंचाई निर्धारक का वजन लगभग 2.5 किलोग्राम था। उन्होंने इसको अधिक दूरी वाली फसलों के साथ छिड़काव सिंचाई के प्रयोगों के तहत इस्तेमाल किया और उन्होंने बताया कि इस इकाई ने टिफ्टन को दोमट रेतीली मृदा में अच्छा प्रदर्शन दिखाया।
![चाइनीज 20 सेमी पैन](/sites/default/files/inline-images/%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%9C%2020%20%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%AE%E0%A5%80%20%E0%A4%AA%E0%A5%88%E0%A4%A8.png)
चीन में वाष्पीकरण को मापने के उद्देश्य के लिये चीनी पैन (20 सेमी व्यास वाला स्टेनलेस स्टील से बना पैन, मोटाई 5 मिमी. गहराई 11 सेमी, वजन 2 किलोग्राम, स्टेनलेस स्टील धातु के स्क्रीन से ढका हुआ) का इस्तेमाल किया गया। और यह बताया गया कि इस 20 सेमी पैन के बहुत फायदे है जैसे कि इस छोटा आकार परिवहन में आसानी, कम लागत और माप में आसानी (लियू व कांग 2007) आदि चीन में कई शोधकर्ताओं ने बहुत सी फसलों हेतु सतही, ड्रिप और छिड़काव जैसी विभिन्न सिंचाई विधियों में सिंचाई के समय के निर्धारण के लिये इस 20 सेमी पैन का प्रयोग किया। इन अध्ययनों के परिणामों से पता चला कि चीनी पैन से मापा गया वाष्पीकरण लाइसीमीटर के उपयोग से मापे गये वास्तविक वाष्पोत्सर्जन (ET) के लगभग समान ही था और इसे सिंचाई जल की उपयोग दक्षता को बढ़ाने के लिये सिचाई के समय के निर्धारण के प्रयोजन हेतु आसानी से किसानों द्वारा उपयोग में लिया जा सकता है।
निष्कर्ष
आने वाले दिनों में सिचाई जल का दक्ष प्रयोग एवं प्रति जल बूंद के उपयोग से अधिक फसल उत्पादन प्राप्त करना बहुत ही अनिवार्य हो गया है क्योंकि जल की उपलब्धता और इसकी गुणवत्ता दिन-प्रतिदिन कम होती ही जा रही है। यद्यपि सिंचाई के समय के निर्धारण के लिये बहुत सी कई वैज्ञानिक पद्धतियाँ/ उपकरण उपलब्ध है लेकिन तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता के कारण किसानों के स्तर पर यह सब असफल ही रहे हैं। हालांकि, उपर्युक्त प्रयोगों के परिणामों से यह समझा जा सकता है कि किसानों के लिये छोटे आकार के वाष्पीकरण मटर का उपयोग बहुत ही आसान है ताकि उपज में बिना किसी हानि के जल की बचत करने के लिये उनके खेतों में वैज्ञानिक आधार पर सिंचाई समय के निर्धारण को अपनाया जा सके।
संदर्भ
- होल्डन, जे. आर. हसी, बी. और सैनन, ई.एल. 1997. ऑस्ट्रेलियाई गन्ना उत्पादकों द्वारा दक्ष टिकाऊ सिंचाई पद्धतियों को अपनाने में वृद्धि। एसआरडीसी परियोजना बीएस 127एस को अंतिम रिपोर्ट (जल की जाँच) बीएसईएस प्रकाशन, पृष्ठ 32 । कुमार, आर., सिंह, आर. डी. और शर्मा, के. डी. 2005. भारत के जल संसाधन करंट साइंस, 89 (5) 794-811
- लियू, है-जून और कांग, वाई, 2007. उत्तरी चीन के मैदानों में 20 सेंटीमीटर आकार के मानक पैन का उपयोग करते हुए सर्दियों के मौसम की गेहूं की फसल में सिंचाई समय का निर्धारण इरीगेसन साइंस, 25:149-1591
- परिहार, एस.एस., खड्डा, के. एल. संधू, के.एस. और संधू बी. एस. 1976 शौतकालीन गेहूँ में पैन वाष्पीकरण और वृद्धि अवस्थाओं के आधार पर सिंचाई के स्तरों की तुलना एग्रोनोमी जर्नल, 68: 650-6531 शर्मा, एच.सी., दास्ताने, एन.जी. और सिंह, एन. पी. 1975. खेत की फसलों से वाष्पोत्सर्जन (ET) के संबंध में केन वाष्पीकरण पर अध्ययन। इंडियन जर्नल ऑफ एग्रोनोमी 20 (2) 147-152
- थॉमस, डी.एल., हैरिसन, के. ए. और हुक, जे.ई. 2004 यूजीए पैन के साथ छिड़काव सिंचाई के समय का निर्धारण प्रदर्शन विशेषतायें।
- एप्लाइड इंजीनियरिंग एंड एग्रीकल्चर, 20 (4) : 439-445।
- टॉरस, जे. एस. 1998. गन्ने की फसल में सिचाई के उपयुक्त समय के निर्धारण के लिये एक सरल विजुअल एड एग्रीकल्चरल वाटर मेनेजमेंट, 38177-83
/articles/paaina-vaasapaikarana-maitara-saincaai-kae-upayaukata-samaya-kae-nairadhaarana-haetau-eka