ओखला में कचरे से बिजली बनाने के संयंत्र का मामला फिर गरमाया

आंदोलन से उकताए लोगों ने मुख्यमंत्री का दरवाज़ा खटखटाया


नई दिल्ली, 12 जनवरी। ओखला में कचरे से बिजली बनाने के संयंत्र से पीड़ित इलाके के बाशिंदे, पर्यावरणविद व कचरा बीनने वालों ने अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दरवाजा खटखटाया है। अपनी समस्या के समाधान के लिए इन लोगों ने लंबे समय तक आंदोलन किया लेकिन इनकी सुनवाई नहीं हुई। कचरा संयंत्र बदस्तूर चालू है। इलाके में कचरे के जलने से विषैला धुंआ तो निकलता है इलाके में फैली इसकी राख से लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ़ है। चीनी तकनीक पर आधारित इस संयंत्र की बड़ी खामी यह भी है कि इस तकनीक को अभी मानक आधारित मंजूर ही नहीं मिली है। यह ही नहीं इसके स्थापना में कचरा निपटान के नियमों व सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी लगभग अनदेखी की गई है।

इस संयंत्र से जहां सुखदेव विहार, ओखला सहित आसपास के हजारों लोगों की सेहत पर खराब असर पड़ रहा है। वहीं इस संयंत्र को वन्य जीव संरक्षण कानून के तहत भी मंजूरी नहीं मिली है। जबकि यह संयंत्र ओखला पक्षी अभ्यारण्य से महज 1.7 किलोमीटर की ही दूरी पर है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लिखे पत्र में आंदोलनकारियों ने बताया है कि मैसर्स जिंदल अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की ओर से स्थापित इस इकाई का इलाके के लोग शुरू से ही विरोध करते आ रहे हैं। इस मामले में सुखदेव विहार रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से अदालत में मामला भी दायर किया गया है। इसे कोर्ट ने हरित अधिकरण में भेज दिया था। अधिकरण में इस मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को होनी है।

कई बार इलाके के बाशिंदों व पर्यावरण के जानकारों ने इस मामले में सरकार का ध्यान खींचने की कोशिश की। धरने प्रदर्शनों का दौर भी चला लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। संयंत्र न केवल बनकर तैयार हुआ बल्कि इसको तमाम विरोध के बावजूद चालू भी कर दिया गया। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की उदासीनता से आहत इलाके के लोगों ने अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दरवाज़ा खटखटाया है।

पिछले पांच जनवरी को भी इलाके के लोगों ने फिर मार्च निकाला। इसके जरिए आम आदमी पार्ट के स्थानीय विधाक पद के उम्मीदवार धरमवीर सिंह का ध्यान खींचा गया कि वे चुनाव में किए वादे के तहत लोगों की सेहत के लिए मुसीबत बने इस इलाई से निजात दिलाएं।

टॉक्सिक वाच अलायंस की ओर से मुख्यमंत्री से यह भी मांग की गई है कि इस मामले की जांच कराई जाए कि किन वजहों व किन परिस्थितियों के चलते फर्जी जनसुनवाई करके इस इकाई को मंजूरी दी गई व लोगों को गुमराह करने वाले तथ्य इस संयंत्र की पर्यावरण मूल्यांकन समिति की रपट में दिए गए।

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