ओजोन परत के छिद्र के सिकुड़ने के क्या हैं मायने

ओजोन परत के छिद्र के सिकुड़ने के क्या हैं मायने
ओजोन परत के छिद्र के सिकुड़ने के क्या हैं मायने

इस साल सितंबर-अक्टूबर के दौरान अंटार्कटिका के ऊपरी वायुमंडल में ओजोन के छेद में रिकाॅर्ड स्तर पर कमी देखी गई। हालाकि, वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि यह कमी ओजोन परम में सुधार आने की वजह से नहीं, बल्कि समपात मंडल के तापमान में बढ़ोतरी की वजह से आई है। गर्म वातावरण में ध्रुवीय समतापमंडलीय बादल कम बनते हैं और इसकी वजह से ओजोन परत को कम नुकसान पहुंचता है।

पृथ्वी को सूरज के उच्च आवृत्ति के पराबैंगनी प्रकाश से बचाने वाली ओजोन परत धरती पर जीवन के लिए आवश्यक है। इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। दुनियाभर के वैज्ञनिक ओजोन परत की निगरानी कर रहे हैं। इसी क्रम में नासा और अमेरिका की नेशनल ओशनिक एंड एटमाॅस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में बताया कि 1982 के बाद से इस वर्ष सितंबर और अक्टूबर के दौरान अंटार्कटिक के ऊपर ओजोन परत का छिद्र सबसे छोटे आकार तक सिकुड़ गया। हालाकि वैज्ञानिकों ने इसे राहत की बात नहीं बताया है।

ओजोन पर में छेद के आकार में उतार चढ़ाव आता रहता है और दक्षिणी गोलार्ध में सबसे ठंडे महीनों के दौरान सितंबर के अंत से अक्टूबर के शुरू तक सबसे बड़ा होता है। उपग्रहों से पता चलता है कि आठ सितंबर को ओजोनपरत का छिद्र 1.64 करोड़ वर्ग किलोमीटर का हो गया था और फिर सितंबर और अक्टूबर के दौरान इसमें एक करोर्ड वर्ग किलोमीटर की कमी आ गई और यह 64 लाख वर्ग किलोमीटर का रह गया। नासा ने इसे दक्षिणी गोलार्ध के लिए बड़ी खबर बताया है। हालाकि यह भी बताया गया कि ओजो परत में सुधार के बावजूद ग्रीन हाउस गैसों में कमी नहीं हो रही है।

गौरतलब है कि मार्च 2018 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दावा किया था कि ओजोन परत का छेद वर्ष 2000 से लेकर 2018 तक 40 लाख वर्ग किलोमीटर सिकुड़ा है। 

क्या है ओजोन छिद्र

ओजोन गैसे आॅक्सीजन के तीन परमाणुयों से मिलकर बनी होती है और स्वाभाविक रूप से कम मात्रा में होती है। वायुमंडल में लगभग 10 किलोमीटर से 40 किलोमीटर के बीच इसकी परत रहती है। ओजोन परत हमारे लिए एक सनस्क्रीन की तरह काम करती है। यह परत सूर्य के उच्च आवृत्ति के प्रकाश की 93 से 99 प्रतिशत मात्रा अवशोषित कर लेती है। पृथ्वी के वायुमंडल की 91 फीसद से अधिक ओजोन गैस यहां मौजूद है। वहीं, दूसरी ओर जमीनी स्तर पर ओजोन खतरनाक होती है और प्रदूषण का कारण बनती है। इससे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारी होने का खतरा रहता है। ओजोन परत में छेद के लिए क्लोरोफ्लोरो कार्बन यानी सीएफसी गैस को भी जिम्मेदार माना जाता है।

इस वर्ष छिद्र छोटा कैसे हो गया ?

नासा के अनुसार ओजोन परत के नष्ट होने की मुख्य वजह ध्रुवीय समतापमंडलीय बादल (पोलर स्टार्टोस्फेरिक क्लाउड) होते हैं। ये 15000 से 25000 मीटर की ऊंचाई के बीच होते हैं। इस वर्ष अंटार्कटिक के ऊपरी वायुमंडल में मौसम का पैटर्न असामान्य रहा है। गर्म वातावरण में ध्रुवीय समतापमंडलीय बादल कम बनते हैं और वे ओजोन परत को कम नुकसान पहुंचा पाते हैं।

किस तरह पहुंचता है नुकसान

पृथ्वी पर निर्मित रासायनिक गैसें ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती हैं। हर बार ठंड में अंटार्कटिका के ऊपरी वायुमंडल में ओजोन परत का छेद बड़ा हो जाता है। यह उस क्षेत्र में मौजूद विशेष मौसम संबंधी और रासायनिक स्थितियों के कारण होता है।

ओजोन पर में नहीं हो रहा सुधार

नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि छेद का सिकुड़ना दक्षिणी गोलार्ध में ओजोन के लिए बहुत अच्छी खबर है, लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि इसका मतलब यह नहीं कि ओाजोन परत में तेजी से सुधार हो रहा है। छेद के सिकुड़ने की मुख्य वजह गर्म समताप मंडल का तापमान है।
 

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Post By: Shivendra
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