खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) होने वाला बिहार का पहला जिला सीतामढ़ी अब चरणबद्ध तरीके से प्लास्टिक मुक्त भी होगा। सीतामढ़ी को इसी वर्ष 17 जुलाई को ओडीएफ घोषित किया गया था। जिले में प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध लगाने का काम स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के साथ ही लोहिया स्वच्छता योजना के तहत शुरू किया गया है। इसका नारा है ‘स्वच्छ सीतामढ़ी-सुन्दर सीतामढ़ी’।
प्लास्टिक पर चरणबद्ध ढंग से प्रतिबन्ध की शुरुआत बिहार ग्रामीण आजीविका संवर्धन सोसायटी (जीविका) ने सीतामढ़ी जिला प्रशासन के सहयोग से शुरू किया है। इसके पहले चरण की घोषणा 15 अगस्त 2018 को की गई थी। इसके तहत प्लास्टिक की सभी किस्म की (हैंडल वाली और बिना हत्थे की) थैलियों, डिस्पोजेबल बर्तनों, बगैर बुनाई की पोलीप्रोपीन बोरियों, खाने के डिब्बों, पैकिंग सामग्री और बोतलों को प्रतिबन्धित किया गया है।
जिला प्रशासन ने 15 अगस्त को प्रतिबन्ध की शुरुआत करते हुये 10 लाख सूती थैलियों का वितरण किया। इन थैलियों को जीविका परियोजना के विभिन्न स्वयं सहायता समूहों की ग्रामीण महिला उद्यमियों ने तैयार किया था। जीविका के जिला परियोजना प्रबन्धक ने कहा, “प्लास्टिक-मुक्त सीतामढ़ी अभियान से हमारे भोजन चक्र में माइक्रो प्लास्टिक की मौजूदगी में कमी आने के साथ ही ग्रामीण महिला उद्यमियों का हौसला भी बढ़ेगा। यह जीविका द्वारा हाल में शुरू किये गये ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम में भी सहायक होगा। इतना ही नहीं यह महिला सशक्तीकरण के सामाजिक उद्देश्य को पूरा करने में उत्प्रेरक का काम भी करेगा।”
देश के कई राज्यों में प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध के लिये मुहीम छेड़ी गयी है। महाराष्ट्र ने 23 जून, 2018 को प्लास्टिक पर सख्त प्रतिबन्ध लगाया और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जुर्माने का प्रावधान भी किया है। सीतामढ़ी में भी उल्लंघन करने वालों पर 500 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। यहाँ दवाओं की पैकिंग, ठोस कचरे के निस्तारण, उत्पादन और निर्यात तथा कृषि के लिये कम्पोस्टेबल थैलियों में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक को प्रतिबन्ध से बाहर रखा गया है। सीतामढ़ी को इस साल के अन्त तक देश का पहला पूरी तरह प्लास्टिक मुक्त जिला बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
प्लास्टिक हमारे जीवनचक्र का हिस्सा बन चुका है। हर कोई पानी और भोजन के जरिए माइक्रो प्लास्टिक ग्रहण कर रहा है। अपघटित होने में 100 साल से भी ज्यादा समय लेने वाला यह प्लास्टिक हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहा है। प्लास्टिक सिर्फ एक प्रमुख प्रदूषक ही नहीं है इससे जमीन की उर्वराशक्ति भी घटती है। यह मिट्टी पर एक सतह बनाकर पानी को उसके अन्दर जाने से रोकता है जिससे मिट्टी के पानी सोखने की क्षमता का ह्रास होता है। भूजल के स्तर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध लगाने के साथ ही इस बात के उपाय भी किये गए हैं कि इससे सीतामढ़ी जिले के निवासियों को कोई असुविधा नहीं हो।
जिला प्रशासन ने एक और अनूठा कदम उठाते हुए बस पड़ाव, रेलवे स्टेशन, शॉपिंग मॉल, बाजार और सरकारी कार्यालय जैसे सार्वजनिक स्थलों पर साफ पेयजल के लिये पानी का एटीएम लगाने का फैसला किया है। इनके लिये धनराशि, कम्पनियों के सामुदायिक जिम्मेदारी कोष, यूनिसेफ जैसे विकास के साझीदारों के अतिरिक्त सीतामढ़ी के विभिन्न विभागों द्वारा मुहैया करायी जाएगी। पानी के एटीएम से सीतामढ़ी जिले के निवासियों को सुरक्षित और किफायती दर पर पेयजल उपलब्ध कराया जा सकेगा। इस तरह की मशीनें लगाने का फैसला पानी से होने वाले रोगों के प्रसार को देखते हुए किया गया है। जिले के ओडीएफ होने के बाद अतिसार के मामलों में काफी कमी आयी है। पानी के एटीएम लगने से इनमें और भी गिरावट की संभावना है।
सीतामढ़ी जिला बिहार में स्वच्छता की मिसाल बन रहा है। यह नीति आयोग के आकांक्षापूर्ण जिले के लिस्ट में शामिल हो चुका है।
22 जुलाई को ओडीएफ-प्लस अभियान धमाकेदार अन्दाज में शुरू किया गया। इस अवसर पर रिकॉर्ड 22 लाख लोगों ने हाथ धोने के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। सीतामढ़ी जिला, स्वच्छता अभियान के दौरान हासिल किये गए रफ्तार को ओडीएफ प्लस गतिविधियों में बनाए रखने के लिये प्रयासरत है। जिला प्रशासन को उम्मीद है कि सीतामढ़ी को स्वच्छ सर्वेक्षण (ग्रामीण) 2018 में अच्छी रैंकिंग प्राप्त होगी।
प्लास्टिक पर चरणबद्ध ढंग से प्रतिबन्ध की शुरुआत बिहार ग्रामीण आजीविका संवर्धन सोसायटी (जीविका) ने सीतामढ़ी जिला प्रशासन के सहयोग से शुरू किया है। इसके पहले चरण की घोषणा 15 अगस्त 2018 को की गई थी। इसके तहत प्लास्टिक की सभी किस्म की (हैंडल वाली और बिना हत्थे की) थैलियों, डिस्पोजेबल बर्तनों, बगैर बुनाई की पोलीप्रोपीन बोरियों, खाने के डिब्बों, पैकिंग सामग्री और बोतलों को प्रतिबन्धित किया गया है।
जिला प्रशासन ने 15 अगस्त को प्रतिबन्ध की शुरुआत करते हुये 10 लाख सूती थैलियों का वितरण किया। इन थैलियों को जीविका परियोजना के विभिन्न स्वयं सहायता समूहों की ग्रामीण महिला उद्यमियों ने तैयार किया था। जीविका के जिला परियोजना प्रबन्धक ने कहा, “प्लास्टिक-मुक्त सीतामढ़ी अभियान से हमारे भोजन चक्र में माइक्रो प्लास्टिक की मौजूदगी में कमी आने के साथ ही ग्रामीण महिला उद्यमियों का हौसला भी बढ़ेगा। यह जीविका द्वारा हाल में शुरू किये गये ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम में भी सहायक होगा। इतना ही नहीं यह महिला सशक्तीकरण के सामाजिक उद्देश्य को पूरा करने में उत्प्रेरक का काम भी करेगा।”
देश के कई राज्यों में प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध के लिये मुहीम छेड़ी गयी है। महाराष्ट्र ने 23 जून, 2018 को प्लास्टिक पर सख्त प्रतिबन्ध लगाया और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जुर्माने का प्रावधान भी किया है। सीतामढ़ी में भी उल्लंघन करने वालों पर 500 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। यहाँ दवाओं की पैकिंग, ठोस कचरे के निस्तारण, उत्पादन और निर्यात तथा कृषि के लिये कम्पोस्टेबल थैलियों में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक को प्रतिबन्ध से बाहर रखा गया है। सीतामढ़ी को इस साल के अन्त तक देश का पहला पूरी तरह प्लास्टिक मुक्त जिला बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
प्लास्टिक हमारे जीवनचक्र का हिस्सा बन चुका है। हर कोई पानी और भोजन के जरिए माइक्रो प्लास्टिक ग्रहण कर रहा है। अपघटित होने में 100 साल से भी ज्यादा समय लेने वाला यह प्लास्टिक हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहा है। प्लास्टिक सिर्फ एक प्रमुख प्रदूषक ही नहीं है इससे जमीन की उर्वराशक्ति भी घटती है। यह मिट्टी पर एक सतह बनाकर पानी को उसके अन्दर जाने से रोकता है जिससे मिट्टी के पानी सोखने की क्षमता का ह्रास होता है। भूजल के स्तर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध लगाने के साथ ही इस बात के उपाय भी किये गए हैं कि इससे सीतामढ़ी जिले के निवासियों को कोई असुविधा नहीं हो।
जिला प्रशासन ने एक और अनूठा कदम उठाते हुए बस पड़ाव, रेलवे स्टेशन, शॉपिंग मॉल, बाजार और सरकारी कार्यालय जैसे सार्वजनिक स्थलों पर साफ पेयजल के लिये पानी का एटीएम लगाने का फैसला किया है। इनके लिये धनराशि, कम्पनियों के सामुदायिक जिम्मेदारी कोष, यूनिसेफ जैसे विकास के साझीदारों के अतिरिक्त सीतामढ़ी के विभिन्न विभागों द्वारा मुहैया करायी जाएगी। पानी के एटीएम से सीतामढ़ी जिले के निवासियों को सुरक्षित और किफायती दर पर पेयजल उपलब्ध कराया जा सकेगा। इस तरह की मशीनें लगाने का फैसला पानी से होने वाले रोगों के प्रसार को देखते हुए किया गया है। जिले के ओडीएफ होने के बाद अतिसार के मामलों में काफी कमी आयी है। पानी के एटीएम लगने से इनमें और भी गिरावट की संभावना है।
सीतामढ़ी जिला बिहार में स्वच्छता की मिसाल बन रहा है। यह नीति आयोग के आकांक्षापूर्ण जिले के लिस्ट में शामिल हो चुका है।
22 जुलाई को ओडीएफ-प्लस अभियान धमाकेदार अन्दाज में शुरू किया गया। इस अवसर पर रिकॉर्ड 22 लाख लोगों ने हाथ धोने के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। सीतामढ़ी जिला, स्वच्छता अभियान के दौरान हासिल किये गए रफ्तार को ओडीएफ प्लस गतिविधियों में बनाए रखने के लिये प्रयासरत है। जिला प्रशासन को उम्मीद है कि सीतामढ़ी को स्वच्छ सर्वेक्षण (ग्रामीण) 2018 में अच्छी रैंकिंग प्राप्त होगी।
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