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संभवतः विश्व में ऐसा पहली बार हुआ है कि न्यूजीलैंड की एक नदी को मनुष्य जितना ही कानूनी अधिकार दिया गया है। इसके लिये पार्लियामेंट में बाकायदा एक कानून पास हुआ है।
इस नदी को यह अधिकार दिलाने के लिये न्यूजीलैंड के नॉर्थ आइलैंड के वांगानूई की स्थानीय जनजाति ने 140 साल से कानूनी लड़ाई लड़ी। इस जनजाति के लिये वांगानूई नदी पुरखा है। 145 किलोमीटर लंबी यह नदी न्यूजीलैंड की तीसरी सबसे बड़ी नदी है।
वांगानूई रीवर सेटलमेंट पास कर जब नदी को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया जा रहा था, तो वहाँ मौजूद जनजाति समुदाय के सैकड़ों प्रतिनिधियों की आँखों में खुशी के आँसू आ गये। जनजाति समुदाय की ओर से इस मामले को लेकर काम करने वाले जेरार्ड अल्बर्ट ने कहा, “हमने इस नदी का मामला इसलिए उठाया क्योंकि हम इसे अपना पुरखा मानते हैं और यह हमेशा हमारे साथ रही है।”
उन्होंने आगे कहा, “हमने इसके लिये लड़ाई इसलिये लड़ी ताकि दूसरे लोग हमारे नजरिये से नदी को जान सकें। पिछले 100 साल से नदी को पारंपरिक मॉडल के आधार पर मालिकाना व प्रबंधन के नजरिये से नदी के साथ व्यवहार करने की जगह उसे जीवित हस्ती मानते हुए उसके साथ व्यवहार करना सही तरीका है।”
नदी को मिली इस नयी पहचान के बाद इसको अपशब्द कहने या नुकसान पहुँचाने पर वैसी ही कानूनी कार्रवाई होगी जैसी कार्रवाई जनजाति को अपशब्द कहने या नुकसान पहुँचाने पर होती है क्योंकि नदी को अब जीवित हस्ती मान लिया गया है।
नदी को लेकर हुए वैतांगी समझौते के मंत्री क्रिस फिन्लेसन ने कहा कि इस फैसले के साथ ही न्यूजीलैंड के इतिहास में चले सबसे लंबे मुकदमे का अंत हो गया। उन्होंने एक बयान में कहा, “वांगानूई की अब अपनी कानूनी पहचान होगी और इसे एक वैध व्यक्ति के जितना ही अधिकार, कार्य व दायित्व मिलेगा।” उन्होंने आगे कहा कि नदी को वैधानिक पहचान देना अद्वितीय है।
![The Whanganui River Photo Ian Trafford Tourism New Zealand](https://c1.staticflickr.com/5/4283/34731449623_b6fb57677e.jpg)
अल्बर्ट ने कहा कि माओरी जनजाति खुद को धरती का हिस्सा मानते हैं। और पहाड़ों, नदियों और समुद्रों को भी खुद के परिवारीजन ही मानते हैं।
उन्होंने कहा कि नये कानून ने इस जनजाति के नजरिये को स्वीकृति दी है। और यह न्यूजीलैंड की दूसरी जनजातियों के सामने एक नजीर बनकर उन्हें वांगनूई के पदचिन्हों पर चलने को प्रेरित करेगा।
अल्बर्ट ने कहा, हम ब्रह्मांड की उत्पत्ति में अपने वंशानुक्रम देख सकते हैं अतः हम खुद को प्राकृतिक विश्व का मालिक न मानकर, हम अपने आपको प्रकृति का हिस्से मानते हैं। हम शुरुआती दौर में जिस तरह रहना चाहते थे, अब भी उसी तरह रहना चाहते हैं और यह नदी का विकास विरोधी या अर्थव्यवस्था विरोधी इस्तेमाल नहीं है।
नदी को लेकर हुए इस समझौते के तहत नदी की हालत सुधारने के लिये 80 मिलियन डॉलर और कानूनी तंत्र तैयार करने के लिये अतिरिक्त 1 मिलियन डॉलर मंजूर किये गये हैं।
अनुवाद - उमेश कुमार राय
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