नसकट पनहीं बतकट जोय जो पहिलौंठी बिटिया होय।
पातर खेत बौरहा भाय, घाघ कहै दुख कहां समाय।।
शब्दार्थ- पनहीं-जूता। जोय-पत्नी। पहिलौंठी-पहले पहल। बौरहा-सनकी, पागल।
भावार्थ- जूता नस काटने वाला हो, पत्नी बात काटने वाली हो और पहली संतान पुत्री हो, खेत इतना पतला हो कि उसमें हल चलाते न बने अथवा बुवाई में बीज दूर-दूर जमें हों और भाई सनकी हो तो घाघ कहते हैं कि ऐसे में दुःख की कोई सीमा नहीं है।
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