नर्मदा समग्र दल ने किया नर्मदा सर्वेक्षण
अशोकनगर । नर्मदा तट पर स्थित वन संपदा में औषधीय महत्व की जडी-बूटियों का अकूत भंडार है। यहां की वन संपदा में ऐसी कई जडी-बूटियां हैं, जो असाध्य रोगों के इलाज के लिए बेहद कारगर हैं, लेकिन इनके बारे में संपूर्ण जानकारी न होने से जरूरतमंदों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह तथ्य हाल ही नर्मदा तटीय इलाकों पर किए गए एक सर्वेक्षण के दौरान सामने आए हैं। नर्मदा समग्र विकास के लिए मप्र जन अभियान परिषद के एक दल को नर्मदा व उसके तटों के गहन सर्वेक्षण के लिए भेजा गया था। सर्वेक्षण कर लौटे दल ने यह तथ्य उजागर किए हैं। जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक मनोज गुजरे की अगुआई में अशोकनगर जिले की दो स्वयंसेवी संस्थाओं को नर्मदा सर्वेक्षण के लिए भोपाल भेजा गया था। 15 दिसंबर से शुरू हुए सर्वे के दौरान दल ने यहां करीब 8 दिनों तक 75-8॰ किमी दूरी पैदल तय कर नर्मदा के घाटों, तट, इसके आस-पास के जंगल एवं यहां के जनजीवन की पडताल की।
सर्वेक्षण के दौरान नर्मदा के तटों पर जगह-जगह बेशकीमती रंगीन चट्टान व अमूल्य पत्थर मिले, जिनका उपयोग देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने में किया जाता है। इस दौरान नर्मदा के प्राकृतिक सौंदर्य से की जा रही खिलवाड का नजारा भी देखने मिला। प्रशासन के ध्यान न देने से यहां लोगों द्वारा बडे पैमाने पर अवैध उत्खनन करने से भूमि का कटाव हो रहा है। दल ने नर्मदा नदी के किनारे से लगभग 1 किमी की परिधि में बसे 31 गांवों का भी सर्वे किया। सर्वे में पाया गया कि गांवों में बेतहाशा गरीबी पैर पसारे हुए है। यहां रहने वाले लोग मजदूर वर्ग के हैं, जो मेहनत मजदूरी कर दो जून की रोटी कमा रहे हैं।जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक मनोज गुजरे ने बताया कि नर्मदा समग्र विकास के लिए अभी पर्याप्त शोध की जरूरत है। नर्मदा को बचाने बेहतर क्रियान्वयन के साथ ही इस दिशा में स्वप्रेरणा से पहल करना भी जरूरी है। तभी नर्मदा के वजूद को बचाया जा सकता है। उनका मानना है कि अशोकनगर जिले में बहने वाली नदियों के अस्तित्व को बचाने के लिए इनके सर्वेक्षण की योजना भी बननी चाहिए।
साभार – राज एक्सप्रेस
अशोकनगर । नर्मदा तट पर स्थित वन संपदा में औषधीय महत्व की जडी-बूटियों का अकूत भंडार है। यहां की वन संपदा में ऐसी कई जडी-बूटियां हैं, जो असाध्य रोगों के इलाज के लिए बेहद कारगर हैं, लेकिन इनके बारे में संपूर्ण जानकारी न होने से जरूरतमंदों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह तथ्य हाल ही नर्मदा तटीय इलाकों पर किए गए एक सर्वेक्षण के दौरान सामने आए हैं। नर्मदा समग्र विकास के लिए मप्र जन अभियान परिषद के एक दल को नर्मदा व उसके तटों के गहन सर्वेक्षण के लिए भेजा गया था। सर्वेक्षण कर लौटे दल ने यह तथ्य उजागर किए हैं। जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक मनोज गुजरे की अगुआई में अशोकनगर जिले की दो स्वयंसेवी संस्थाओं को नर्मदा सर्वेक्षण के लिए भोपाल भेजा गया था। 15 दिसंबर से शुरू हुए सर्वे के दौरान दल ने यहां करीब 8 दिनों तक 75-8॰ किमी दूरी पैदल तय कर नर्मदा के घाटों, तट, इसके आस-पास के जंगल एवं यहां के जनजीवन की पडताल की।
सर्वेक्षण के दौरान नर्मदा के तटों पर जगह-जगह बेशकीमती रंगीन चट्टान व अमूल्य पत्थर मिले, जिनका उपयोग देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने में किया जाता है। इस दौरान नर्मदा के प्राकृतिक सौंदर्य से की जा रही खिलवाड का नजारा भी देखने मिला। प्रशासन के ध्यान न देने से यहां लोगों द्वारा बडे पैमाने पर अवैध उत्खनन करने से भूमि का कटाव हो रहा है। दल ने नर्मदा नदी के किनारे से लगभग 1 किमी की परिधि में बसे 31 गांवों का भी सर्वे किया। सर्वे में पाया गया कि गांवों में बेतहाशा गरीबी पैर पसारे हुए है। यहां रहने वाले लोग मजदूर वर्ग के हैं, जो मेहनत मजदूरी कर दो जून की रोटी कमा रहे हैं।जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक मनोज गुजरे ने बताया कि नर्मदा समग्र विकास के लिए अभी पर्याप्त शोध की जरूरत है। नर्मदा को बचाने बेहतर क्रियान्वयन के साथ ही इस दिशा में स्वप्रेरणा से पहल करना भी जरूरी है। तभी नर्मदा के वजूद को बचाया जा सकता है। उनका मानना है कि अशोकनगर जिले में बहने वाली नदियों के अस्तित्व को बचाने के लिए इनके सर्वेक्षण की योजना भी बननी चाहिए।
साभार – राज एक्सप्रेस
Path Alias
/articles/naramadaa-saravaekasana
Post By: admin