नमामि गंगे मिशन अधर में, सरकार ने माना गंगा मैली

528 करोड़ प्रावधान रखा गया था पिछले साल के बजट में
91.75 लाख रुपए ही खर्च किये जा सके गंगा की सफाई पर


.नई दिल्ली, 6 अगस्त (विशेष संवाददाता) : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बहुत ही महत्त्वाकांक्षी गंगा मिशन अभियान पूरी तरह अधर में लटक चुका है। गंगा तटीय क्षेत्रों की राज्य सरकारों से समन्वय व सहयोग के अभाव का यही हाल रहा तो अभी नमामि गंगे योजना के काम को गति पकड़ने में कई बरस लगेंगे। गंगा सफाई की सुस्त चाल के बारे में अब मोदी सरकार में जल व गंगा सफाई मिशन की मंत्री उमा भारती ने भी हाथ खड़े कर दिये हैं।

साल भर पहले गंगा सफाई मिशन के लिये मोदी सरकार ने न केवल अलग विभाग गठित किया था बल्कि गंगोत्री से गंगा सागर तक मिशन गंगा सफाई के लिये 20 हजार करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया था। गंगा की स्वच्छता के लिये विशाल गंगा तटीय क्षेत्रों में लोगों में जागरुकता पैदा करने व उन्हें गंगा की सफाई के प्रति शिक्षित करने के मिशन पर 528 करोड़ रुपए खर्च करने का एलान हुआ था। मोदी सरकार में सम्बन्धित मंत्री उमा भारती ने लोकसभा में स्वीकार किया कि गंगा सफाई जागरुकता मिशन के लिये पिछले साल बजट में 528 करोड़ का प्रावधान रखा गया था लेकिन उसमें से मात्र 91.75 लाख रुपए ही खर्च किये जा सके। हालांकि सरकार अभी भी मिशन गंगा स्वच्छता का ठीकरा पिछली सरकारों पर डालने में कोई हिचक नहीं कर रही है। उमा भारती ने इस मामले में आलोचनाओं का जवाब देने के लिये यह तुर्रा भी याद दिलाया कि गंगा मिशन पर काम विगत 29 बरसों से चल रहा है तथा इस काम में अब तक कुल 3000 करोड़ रुपए का बजट स्वाहा हो चुका है।

नमामि गंगा मिशन में पहले यह तय हुआ था कि कुल बजट का 30 प्रतिशत हिस्सा वे राज्य सरकारें वहन करेंगी जहाँ से गंगा बहते हुए निकलती है लेकिन अब केन्द्र सरकार फैसला ले चुकी है कि गंगा की स्वच्छता पर सौ फीसदी बजट केन्द्र सरकार के खाते से जाएगा। गोरखपुर से भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ के सवाल के जवाब में मंत्री उमा भारती ने बताया कि गंगा की निर्मलता और पर्यावरणीय पक्षों को लेकर एक तीन सदस्यीय कमेटी अपनी रिपोर्ट जल्दी देगी, उसमें गंगा के किनारे औद्योगिक इकाइयों का मैला कुचैला पानी गंगा में गिराने से रोकने व गंगा व यमुना पर बाँधों को बनाने की परिपाटी पर पूर्ण विराम लगाने के बाबत सुझाव व दिशा निर्देश होंगे। गौरतलब है कि कुछ माह पहले मंत्री उमा भारती ने इस बात पर जोर दिया था कि गंगा में गिरने वाले मैले और करीब 3200 फ़ैक्टरियों के औद्योगिक कचरे के असर व वायु की स्वच्छता जाँचने के लिये जल व वायु उपकरणों के जरिए ऑनलाइन जानकारी हासिल की जाएगी लेकिन यह योजना सिर्फ जुबानी कसरत साबित हुई।

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