नीर फाउंडेशन द्वारा नई दिल्ली स्थित कारमेल कान्वेंट स्कूल में बच्चों को जल साक्षर बनाने के उददेश्य से एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की। इसमें स्कूल के करीब 400 बच्चों ने भाग लिया।
कार्यशाला के प्रारम्भ में बच्चों को संस्था के समन्वयक विनय प्रधान ने जल संरक्षण का एक प्रजेंटेशन दिया जिसके माध्यम से पानी के महत्व को समझाया गया।
इसके बाद नीर फाउंडेशन के निदेशक रमन त्यागी ने वर्तमान में पूरे देश व दुनिया में पानी का संकट पैदा हो रहा है। इसके लिए आवश्यक है कि सभी मिलकर प्रयास करें और इस समस्या को दूर करें। पानी की कमी के साथ-साथ उसका प्रदूषण भी गंभीर समस्या बन चुका है। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में सब कुछ है लेकिन अपना साफ पानी नहीं है तभी ये शहर दूसरे राज्यों या शहरों पर पानी की आपूर्ति के लिए निर्भर हैं जबकि अगर दिल्ली में ही वर्षा के तमाम जल को संरक्षित किया जाए तो दिल्ली को दूसरे राज्यों से पानी लेने की आवश्यकता नहीं होगी। लेकिन हम अभी इन मुददों पर जागृत नहीं हैं जोकि एक गंभीर संकेत है।
कार्यशाला में वर्ल्ड वॉटर मानिटिरिंग डे 2012 के कार्यक्रम को भी प्रारम्भ किया गया। इसमें बच्चों को किट के माध्यम से वॉटर टैस्टिंग करना सिखाया। इसमें पीएच, टरबिडिटी, तापमान व डीओ के परीक्षण बच्चों को सिखाए गए। स्कूल को चार किट भी संस्था की ओर से दी गईं। इन किट के माध्यम से स्कूल के बच्चे 200 नमूनों का परीक्षण कर सकते हैं।
इसके बाद सभी बच्चों ने धरती को बचाने अर्थात जैव-विविधता को बचाने का संकल्प लिया और सभी ने एक-एक शपथ पत्र भरा कि वे पर्यावरण की रक्षा करेंगे। इसी के साथ सभी बच्चों ने जल संरक्षण पर अपने सुझाव भी लिखित में दिए।
संस्था वर्ष 2012 में करीब 200 स्कूलों में इस प्रकार के कार्यक्रम करने जा रही है।
कार्यशाला के प्रारम्भ में बच्चों को संस्था के समन्वयक विनय प्रधान ने जल संरक्षण का एक प्रजेंटेशन दिया जिसके माध्यम से पानी के महत्व को समझाया गया।
इसके बाद नीर फाउंडेशन के निदेशक रमन त्यागी ने वर्तमान में पूरे देश व दुनिया में पानी का संकट पैदा हो रहा है। इसके लिए आवश्यक है कि सभी मिलकर प्रयास करें और इस समस्या को दूर करें। पानी की कमी के साथ-साथ उसका प्रदूषण भी गंभीर समस्या बन चुका है। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में सब कुछ है लेकिन अपना साफ पानी नहीं है तभी ये शहर दूसरे राज्यों या शहरों पर पानी की आपूर्ति के लिए निर्भर हैं जबकि अगर दिल्ली में ही वर्षा के तमाम जल को संरक्षित किया जाए तो दिल्ली को दूसरे राज्यों से पानी लेने की आवश्यकता नहीं होगी। लेकिन हम अभी इन मुददों पर जागृत नहीं हैं जोकि एक गंभीर संकेत है।
कार्यशाला में वर्ल्ड वॉटर मानिटिरिंग डे 2012 के कार्यक्रम को भी प्रारम्भ किया गया। इसमें बच्चों को किट के माध्यम से वॉटर टैस्टिंग करना सिखाया। इसमें पीएच, टरबिडिटी, तापमान व डीओ के परीक्षण बच्चों को सिखाए गए। स्कूल को चार किट भी संस्था की ओर से दी गईं। इन किट के माध्यम से स्कूल के बच्चे 200 नमूनों का परीक्षण कर सकते हैं।
इसके बाद सभी बच्चों ने धरती को बचाने अर्थात जैव-विविधता को बचाने का संकल्प लिया और सभी ने एक-एक शपथ पत्र भरा कि वे पर्यावरण की रक्षा करेंगे। इसी के साथ सभी बच्चों ने जल संरक्षण पर अपने सुझाव भी लिखित में दिए।
संस्था वर्ष 2012 में करीब 200 स्कूलों में इस प्रकार के कार्यक्रम करने जा रही है।
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