नेपाल के साथ सीमा विवाद दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। हाल ही में नेपाल की कैबिनेट ने नेपाल के नए नक्शे को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद अब लग रहा है कि ये विवाद खत्म होने की जगह और बढ़ेगा। इस बीच कुछ दिन पहले बिहार के सीतामढ़ी जिले के एक व्यक्ति पर नेपाल पुलिस ने गोली मार दी थी और एक अन्य को बंधक बना लिया था। बाद में उसे छोड़ा गया।
नेपाल के साथ सीमा विवाद के गहराने से बिहार को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है, क्योंकि बिहार में बाढ़ नेपाल से होकर बिहार आनेवाली नदियों से आती है। ऐसे में अगर नेपाल सरकार सीमा विवाद के मद्देनजर बिहार सरकार से बारिश और नदियों के जलस्तर को लेकर सूचनाए साझा नहीं करती है या नदियों से पानी छोड़ती है, तो बिहार मे भारी तबाही आ सकती है।
जानकारों की मानें, तो नेपाल सरकार ने अभी से ही असहयोगात्मक रवैया अपनाना शुरू कर दिया है। नेपाल से आने वाली लालबकेया नदी के दाहिने हिस्से के तटबंध पर पिलर नं. 346 और 347 के बीच बांध को मजबूत करने के काम को नेपाल सरकार ने रोक दिया है। तटबंध को मजबूत करने का काम बिहार सरकार की तरफ से किया जा रहा था। बताया जा रहा है कि नेपाल के रौताहाट जिले के चीफ डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर वासुदेव उक्त स्थान पर पहुंचे और बिहार जलसंसधान विभाग के एक्जिक्यूटिव इंजीनियर को काम बंद करने को कहा।
एक्जिक्यूटिव इंजीनियर रणवीर प्रसाद के मुताबिक, इस जगह पर तटबंध की मरम्मत का काम 2019 में भी हुआ था, लेकिन उस वक्त कोई व्यवधान नहीं डाला गया था। उधर, नेपाल की तरफ से कहा गया है कि जहां मरम्मत का काम किया जा रहा था, वह ‘नो मैंस लैंड’ है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि मार्च में मरम्मत को लेकर प्लान तैयार किया गया था और जगह की मापी की गई थी, लेकिन तब तक किसी तरह का कोई विवाद नहीं था।
गौरतलब हो कि नेपाल से तीन नदियां बिहार आती हैं – कोसी, कमला और लालबकेया। इन तीन नदियों से ही बिहार में कमोबेश हर साल बाढ़ आती है। इन नदियों के तटबंधों के कमजोर हिस्सों की बिहार सरकार मरम्मत कराती है, ताकि बाढ़ का कहर कम किया जा सके। अगर ये काम न हो, तो बिहार में बाढ़ का प्रकोप और बढ़ जाएगा।
कुछ दिन पहले बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने भी नेपाल सरकार बाढ़ नियंत्रम के लिए अपने हिस्से में जरूरी मरम्मत कार्य नहीं करने दे रही है जबकि लंबे अरसे से हर साल इन जगहों पर मरम्मत कार्य होते रहे हैं।
संजय झा ने कहा, “बिहार के लाखों लोगों को संकट में डालते हुए इस साल मरम्मत कार्य में बड़े स्तर पर व्यवधान डाला जा रहा है। कोसी, कमला और लालबकेया नदी में कई ऐसे क्रिटिकल प्वाइंट्स हैं, जहां मरम्मत कार्य किया जाना है ताकि बाढ़ का प्रकोप कम किया जा सके।”
जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों की मानें, तो नेपाल की तरफ कम से कम 17 ऐसे क्रिटिकल प्वाइंट्स हैं, जहां भू-स्खलन रोकने के लिए मरम्मत किया जाना है। इन प्वाइंट्स पर मरम्मत कार्य नेपाल सरकार द्वारा या तो रोक दिया गया है या व्यवधान के चलते काम बहुत धीमी गति से हो रहा है।
सोमवार को मंत्री संजय झा ने ये भी कहा कि वाल्मीकिनगर के गंडक बराज के करीब 36 गेट हैं जिनमें 18 गेट नेपाल की तरफ हैं। नेपाल ने इन गेटों में बैरियर लगा रखा है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा, “बाढ़ के वक्त बिहार सरकार ही नेपाल की तरफ तटबंध की मरम्मत किया करती है, लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा है कि नेपाल की तरफ मैटेरियल नहीं ले जाने दिया जा रहा है और काम भी नहीं करने दिया जा रहा। अगर काम नहीं हुआ, तो बिहार के ज्यादातर हिस्से डूब जाएंगे। इसको लेकर मैं जल्द ही केंद्र सरकार को पत्र लिख रहा हूं।”
सामाजिक कार्यकर्ता और नदियों को लेकर आंदोलन करने वाले अनिल प्रकाश ने कहा कि भारत-नेपाल सीमा विवाद का भारत पर जो असर होगा, सो होगा ही ही, लेकिन बिहार को ज्यादा नुकसान हो सकता है। सरकार को चाहिए कि वह नेपाल सरकार के साथ बातचीत कर विवाद सुलझा ले।
उन्होंने कहा, “बिहार सरकार को खुद भी पहल करने की जरूरत है क्योंकि बिहार और नेपाल के बीच बेटी-रोटी का संबंध है। अभी बाढ़ का मौसम है, ऐसे में जरूरी है कि दोनों के बीच बातचीत कर समाधान निकाला जाए, ताकि बाढ़ रोकने के लिए जरूरी कार्य सम्पन्न हो सके।”
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