बिजनेश स्टैंडर्ड/कुमार नरोत्तम/नई दिल्ली : बाढ़ की विभीषिका से बिहार परेशान है। जाहिर सी बात है कि बाढ़ की बेकाबू स्थिति से मुख्यमंत्री सचिवालय भी हलकान है। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब नेपाल में ऊंचे बांध बनाकर इस समस्या का स्थायी हल तलाशने की कवायद में जुटे हैं। मुख्यमंत्री सचिवालय के एक अधिकारी ने बताया कि यदि नेपाल में बांध बनाए जाते हैं तो इससे बिजली भी मिलेगी और नेपाल के तराई क्षेत्रों में सिंचाई की समस्या भी हल हो जाएगी।
पूर्वी नेपाल की सप्तकोशी बहुद्देश्यीय परियोजना से बिहार के बाढ़ की समस्याओं को सुलझाया जा सकता है, लेकिन यह क्रांति राष्ट्रीय मोर्चा (माओवादी से संबद्ध) के विरोध के कारण खटाई में पड़ गया है। मालूम हो कि नेपाल के साथ कई पनबिजली परियोजनाओं में बहुत सारी भारतीय कंपनियों ने रुचि दिखाई है।
नेपाल में टाटा ग्रुप सहित 10 भारतीय कंपनियां तीसरे बिजली परियोजना को हासिल करने की होड़ में शामिल है। जीएमआर ग्रुप ने तो 300 अपर कर्णाली पनबिजली परियोजना हासिल भी कर ली है। इसके साथ सतलज जल विद्युत निगम ने 402 अरुण-3 प्रोजेक्ट पर कब्जा जमाया है। इन परियोजनाओं से यह आशा की जा सकती है नेपाल में ऊंचे बांध का निर्माण हो सकता है। पिछले सप्ताह नीतीश कुमार ने बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों के दौरे के पश्चात मुख्यमंत्री ने नेपाल की सीमा रेखा के नजदीक बीरपुर (सुपौल जिला) के स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की।
इस बैठक में कोशी प्रमंडल के आयुक्त यू के नंदा सहित मधेपुरा, सुपौल, सहरसा और अररिया जिले के जिला मजिस्ट्रेट भी शामिल हुए। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि बाढ़ की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी सुरक्षा उपायों पर काम किया जा रहा है, हालांकि स्र्थाई समाधान तो नेपाल में बांध बनाकर ही निकाला जा सकता है। लेकिन कुल मिलाकर स्थिति यह है कि बिहार में बाढ़ की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं आ रहा है। राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि बाढ़ से कटिहार, नालंदा, वैशाली, पटना, मुजफ्फरपुर, सुपौल, सहरसा आदि जिलों के 540 गांवों के 4 लाख लोग प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बाढ़ से 775 घर पूरी तरह से तबाह हो गए और इससे लगभग 40 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। केंद्रीय मुख्यमंत्री सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बाढ़ के स्थायी समाधान के लिए राज्य सरकार काम कर रही है। इस बाबत नेपाल पर ऊंचे बांध बनाए जाने की दिशा में होने वाली बातचीत भी शामिल है। हालांकि नेपाल के साथ इस प्रकार का कोई समझौता केंद्रीय हस्तक्षेप के बगैर संभव नही है। इस संबंध में केंद्र से भी बातचीत की जाएगी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार इस मसले को काफी गंभीरता से ले रही है। संभव है कि इस संबंध में एक उच्च स्तरीय समिति प्रधानमंत्री से मिलकर नेपाल के साथ मामले की गंभीरता को लेकर बात करे।
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