भोपाल. मप्र राज्य जैवविविधता बोर्ड द्वारा बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के लिम्नोलॉजी विभाग को नदियों और तालाबों के रूप में उपलब्ध जलराशि का डिजिटलाइजेशन करने का प्रोजेक्ट दिया गया है। प्रोजेक्ट के तहत विभाग द्वारा भोपाल सहित प्रदेशभर की वाटर बॉडीज का डिजिटल प्रारूप तैयार करने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है जो दिसंबर तक पूरा हो जाएगा।
इसमें प्रमुख रूप से उपलब्ध जल की भौगोलिक स्थिति, उसका जलग्रहण क्षेत्र, जल की वैज्ञानिक स्थिति सहित अन्य जानकारियां एकत्रित की जाएंगी। डिजिटल प्रारूप में एकत्रित होने वाली जानकारी को कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (सीबीडी) के मापदंडों पर परखा जाएगा। विभाग द्वारा जुटाई गई संपूर्ण जानकारी इंटरनेट पर तो उपलब्ध होगी ही इन्हें सीडी में भी उपलब्ध कराया जाएगा।
बनाने का उद्देश्य : प्रोजेक्ट के तहत जलराशि से जुड़ी जानकारी एकत्रित करने का उद्देश्य इन वाटर बॉडीज को अलग-अलग कारणों से होने वाले नुकसान का आकलन करना और नुकसान से बचाते हुए उनका बेहतर रखरखाव करना है। प्रोजेक्ट के तहत भोपाल के बड़ा तालाब, हलाली डेम, बेतवा नदी के साथ ही चंबल, सोन, केन, ताप्ती और नर्मदा नदी की जानकारी एकत्रित कर ली गई है। जानकारी डिजिटल फार्मेट में उपलब्ध है जिसे कैटेगरी वाइज तैयार किया जा रहा है।
क्या होगा शामिल : प्रोजेक्ट के तहत नदियों और तालाबों में मौजूद जलीय जैवविविधता की जानकारी, उनके प्राकृतिक रहवास, वर्तमान स्थिति, अलग-अलग प्रजातियों पर विलुप्त होने के खतरे की आशंका का अध्ययन किया जा रहा है। प्रोजेक्ट रिपोर्ट के आधार पर तय किया जाएगा कि संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने और उनके रखरखाव के लिए क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं। इसी तरह नदियों और तालाबों की लोकेशन, भौगोलिक स्थिति, जलग्रहण क्षेत्र, रसायनिक गुणवत्ता, प्रदूषण, तापमान, पानी में मौजूद ऑक्सीजन पानी की गुणवत्ता सहित बड़े पक्षियों के जल क्षेत्र में आने की जानकारी एकत्रित की जा रही है।
किसके लिए उपयोगी : विभाग के लेक्चरर डॉ. विपिन व्यास ने बताया कि नदियों और तालाबों की विस्तृत जानकारी शासकीय और अशासकीय संस्थाओं, शोधार्थियों, वैज्ञानिकों के लिए उपयोगी है। जानकारी विभाग के सॉफ्टवेयर के अनुसार तैयार की जा रही है।
इसमें प्रमुख रूप से उपलब्ध जल की भौगोलिक स्थिति, उसका जलग्रहण क्षेत्र, जल की वैज्ञानिक स्थिति सहित अन्य जानकारियां एकत्रित की जाएंगी। डिजिटल प्रारूप में एकत्रित होने वाली जानकारी को कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (सीबीडी) के मापदंडों पर परखा जाएगा। विभाग द्वारा जुटाई गई संपूर्ण जानकारी इंटरनेट पर तो उपलब्ध होगी ही इन्हें सीडी में भी उपलब्ध कराया जाएगा।
बनाने का उद्देश्य : प्रोजेक्ट के तहत जलराशि से जुड़ी जानकारी एकत्रित करने का उद्देश्य इन वाटर बॉडीज को अलग-अलग कारणों से होने वाले नुकसान का आकलन करना और नुकसान से बचाते हुए उनका बेहतर रखरखाव करना है। प्रोजेक्ट के तहत भोपाल के बड़ा तालाब, हलाली डेम, बेतवा नदी के साथ ही चंबल, सोन, केन, ताप्ती और नर्मदा नदी की जानकारी एकत्रित कर ली गई है। जानकारी डिजिटल फार्मेट में उपलब्ध है जिसे कैटेगरी वाइज तैयार किया जा रहा है।
क्या होगा शामिल : प्रोजेक्ट के तहत नदियों और तालाबों में मौजूद जलीय जैवविविधता की जानकारी, उनके प्राकृतिक रहवास, वर्तमान स्थिति, अलग-अलग प्रजातियों पर विलुप्त होने के खतरे की आशंका का अध्ययन किया जा रहा है। प्रोजेक्ट रिपोर्ट के आधार पर तय किया जाएगा कि संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने और उनके रखरखाव के लिए क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं। इसी तरह नदियों और तालाबों की लोकेशन, भौगोलिक स्थिति, जलग्रहण क्षेत्र, रसायनिक गुणवत्ता, प्रदूषण, तापमान, पानी में मौजूद ऑक्सीजन पानी की गुणवत्ता सहित बड़े पक्षियों के जल क्षेत्र में आने की जानकारी एकत्रित की जा रही है।
किसके लिए उपयोगी : विभाग के लेक्चरर डॉ. विपिन व्यास ने बताया कि नदियों और तालाबों की विस्तृत जानकारी शासकीय और अशासकीय संस्थाओं, शोधार्थियों, वैज्ञानिकों के लिए उपयोगी है। जानकारी विभाग के सॉफ्टवेयर के अनुसार तैयार की जा रही है।
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