नदियों को आपस में जोड़ने की केंद्र सरकार की कवायद पर जोर

नई दिल्ली. संसदीय कार्य एवं जल संसाधन मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा है कि देश की नदियों को जोड़ने की व्यवहार्यता का व्यापक आकलन के पश्चात यह निर्णय लिया गया कि प्रायद्वीपीय नदियों पर जोर देते हुए नदी को जोड़ने संबंधी कार्यक्रम को जारी रखा जाए। संबंधित राज्य सरकारों के बीच सहमति के आधार पर उनकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआरएस) तैयार करने के लिए प्राथमिकता संपर्कों के रूप में प्रायद्वीपीय घटक के अंतर्गत पाचं संपर्कों नामत: 1. केन-बेतवा, 2. पारबती-काली सिंध-चम्बल, 3. दमनगंगा-पिंजाल, 4. पार ताप्ती -नर्मदा और 5. गोदावरी (पोलावरम)-कृष्णा (विजयवाड़ा) की पहचान की गई थी। केन-बेतवा परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना की सूची में शामिल किया गया है और यह 90 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता की पात्र है।

आज लोकसभा में एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इसके अलावा एनडब्ल्यूडीए ने दूसरे दो प्राथमिकता संपर्कों नामत: पार- तापी-नर्मदा और दमनगंगा-पिंजाल की डीपीआरएस की तैयारी प्रारंभ कर दी है और जिसे दिसम्बर 2011 तक पूरा कर लिए जाने की योजना है।

उन्होंने बताया कि गोदावरी (पोलावरम)-कृष्णा (विजयवाड़ा) संपर्क आंध्र प्रदेश की पोलावरम परियोजना का हिस्सा है । योजना आयोग ने पोलावरम परियोजना का निवेश की स्वीकृति दे दी है और आंध्र प्रदेश सरकार ने उसके प्रस्ताव के अनुसार संपर्क घटक सहित परियोजना का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया है । इसके अतिरिक्त संबंधित राज्यों ने पारबती-कालीसिंध-चंबल संपर्क परियोजना की डीपीआर प्रारंभ करने के लिए सहमति नहीं दी है।

उन्होंने बताया कि नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी परियोजनाओं की डीपीआर तैयार करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों के बीच सहमति बनाने के उद्देश्य से अध्यक्ष, केन्द्रीय जल आयोग की अध्यक्षता में एक सहमति दल का गठन किया गया है। भारत के संविधान के तहत जल राज्य का विषय हे और संबंधित राज्य सरकारें जल संसाधन मंत्रालय की तकनीकी सलाहकार समिति से टेक्नो-आर्थिक स्वीकृति और योजना आयोग के निवेश से स्वीकृति प्राप्त करने के पश्चात नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी परियोजनाओं का कार्य प्रारंभ करती हैं।

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