विश्व जल दिवस के अवसर पर विशेष रेडियो श्रृंखला “जल है तो कल है” इंडिया वाटर पोर्टल प्रस्तुत कर रहा है। यह कार्यक्रम वन वर्ल्ड साउथ इंडिया के सहयोग से प्रस्तुत किया जा रहा है। 21 मार्च को प्रसारित कार्यक्रम की मेहमान रहे साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रीवर्स एंड पीपल से जुड़े वैज्ञानिक हिमांशु ठक्कर जी।
यह कार्यक्रम एआईआर एफएम रेनबो इंडिया (102.6 मेगाहर्टज) पर रोजाना 18-23 मार्च, 2010 तक समय 3:45- 4:00 शाम तक प्रसारित हुआ। आप यह कार्यक्रम यहां भी सुन सुन सकते हैं।
कार्यक्रम आप यहां से डाउनलोड कर सकते हैं
उनसे बातचीत के जो मुद्दे रहे -
क्या भारत में उपलब्ध जल संसाधनों का समुचित उपयोग हो पा रहा है यदि नहीं तो कैसे किया जाये?
भारत की प्रमुख नदियों में साल दर साल जल प्रवाह में कमी आ रही है क्या कारण है? इनका निराकरण क्या हो सकता है?
सरकार नदियों के जल को रोककर बनाये जाने वाली ऊर्जा को स्वच्छ ऊर्जा कहती है ऐसा कहना कितना उचित है?
कहा जाता है कि जल विद्युत पीक आवर में विद्युत उत्पादन के उपयुक्त स्रोत हैं क्या भारत में जल विद्युत परियोजनाएं इस उद्देश्य को पूरा करती है?
भारत में जल विद्युत परियोजनाओं का कार्य प्रदर्शन कितना सफल रहा है? सुनने में आता है कि जल विद्युत से भी प्रदूषण फैलता है वह प्रदूषण किस प्रकार होता है? क्या इसका कोई वैज्ञानिक आधार है?
भारत में नियोजन के 60 वर्ष बीत जाने के बाद भी भारत की अधिकांश खेती वर्षा पर ही क्यों निर्भर है?
आजादी के बाद से आज तक भारत में बड़ी सिंचाई परियोजनाओं का कार्य प्रदर्शन कैसा रहा है? सुनने में आता है कि भूजल भारत की जीवनरेखा है लेकिन भूजल स्रोतों में बहुत तेजी से कमी आ रही है इस समस्या को कैसे हल किया जा सकता है?
मानसून के समय भारत की कई नदियों में जबरदस्त बाढ़ आती है और काफी जान माल का नुकसान होता है इनसे निपटने के मौजूदा तरीके असफल हो चुके हैं फिर इसका हल क्या है?
इन सबके बारे में आप उनका उत्तर सुन सकते हैं। सुनें उनसे बातचीत
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