नाटा खोटा बेंचि के, चारि धुरंधर लेहु।
आपन काम निकारि के, औरहु मँगनी देहु।।
भावार्थ- घाघ कहते हैं कि हे किसान! छोटे-मोटे बैल बेंच कर चार बड़े-बड़े बैल खरीद लो। उनसे अपनी भी खेती हो जायेगी और दूसरों को भी उधार दे सकोगे।
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