झील के जल की विशेषता
जल प्रकृति में क्षारीय है (पीएच मान- 8.0- 9.0)। झील के आस-पास के जलग्रहण बेसिन से प्रवाह मिलता है जिसमें पहाड़ी ढलान और स्प्रिंग्स शामिल हैं।
पम्पिंग सिस्टम नैनीताल- पानी की आपूर्ति पम्पिंग की एक जटिल प्रणाली पर आधारित है। वसंत के स्रोत से, एक्यू पाइपलाइन तल्ली वितरण (Free distribution) के लिये मुख्य रूप से सार्वजनिक स्टैंडपोस्टों के लिये जाती है। झील के किनारे ट्यूबवेल से, पानी एक जलीय जलाशय में पंप किया जाता है। नैनीताल में 100 वर्ष पुरानी पाइपयुक्त पानी की आपूर्ति (supply) है, जो कि कुमाऊं क्षेत्र में सबसे पुरानी है। पहले समय में स्टीम इंजन द्वारा स्प्रिंग्स से पानी खींचा जाता था (मुख्य वसंत: पर्दा धार)। 1914 में डीजल इंजन स्थापित किए गए थे। 1955 में, बढ़ती आबादी के कारण बढ़ती हुई पानी की मांग को पूरा करने के लिये spring के अलावा पंप द्वारा पानी की आपूर्ति के लिये प्रावधान किया गया था।
1985 में पीने के पानी के लिये, झील के उत्तर-पश्चिम की ओर एक उपचार संयंत्र में एक Roughning filter और दो pressure sand filters (प्रत्येक 1 एमएल / दिन) स्थापित किए गए थे। इसके बाद, 1990 और 2005 के बीच, नैनीताल झील के आस-पास झील के पानी से पाँच tubewell (संख्या 1-5) स्थापित किए गए थे। इन tubewell की गहराई 22.60 से लेकर 33.35 मीटर थी। क्रमशः 2006 में, छठा और सातवां tubewell 36.7 और 35.9 मी. गहराई में शुरू किया गया था। वर्तमान में, 24.1 एमएल / दिन, पानी ट्यूबवेलों से खींचा जाता है, और उसके बाद गुरुत्वाकर्षण पंप द्वारा आपूर्ति के लिये उच्च स्थानों पर स्थित जलाशयों तक पहुँचाया जाता है।
झील के catchment area में surface drainage के साथ folds और fractures है जो इन क्षेत्रों में झील की ओर भूजल का संचलन करते हैं। नैनीताल झील तथा सूखाताल (एक सूखी झील) अन्य प्रसिद्ध झील ऊँचाई पर स्थित है। सूखाताल झील से नैनीताल झील में कोई भी प्रवाह नहीं है जिस वजह से सूखाताल झील में fault के कारण अधिकांश पानी भूमिगत नमी के माध्यम से लुप्त हो जाता है। उपसतह प्रवाह और बहिर्वाह (ट्यूबलवेल से संयुक्त पंपिंग और पारस्परिक स्प्रिंग्स के माध्यम से बहिर्वाह) प्रमुख प्रक्रियाएँ हैं। वाष्पीकरण (evaporation) नुकसान, झील की सतह के क्षेत्र में प्रत्यक्ष वर्षा और नालियों के माध्यम से प्रवाह छोटे घटक हैं। नैनीताल शहर की जल आपूर्ति और झील की सतह से बाष्पीकरण (evaporation) के नुकसान को पूरा करने के लिये डाउनस्ट्रीम साइड पर स्प्रिंग्स के माध्यम से उपसतह बहिर्वाह (subsurface outflow) तैयार किये गये है।
पानी का स्रोत - नैनीताल झील की परिधि में स्थित बोरवेलों के माध्यम से पानी का उपयोग किया जा रहा है। अब नैनीताल शहर के लिये ट्यूबवेल पानी का मुख्य स्रोत है, जहाँ से इसकी कुल आपूर्ति का लगभग 93% हिस्सा मिलता है, शेष 7% या लगभग 1 एमएलडी सतह के स्रोत से खींचा जाता है।
जल गुणवत्ता- एक वैज्ञानिक अध्ययन यह दर्शाता है कि झील के लिये खुले नाले झील के जलग्रहण से विषाक्त पदार्थों (Toxic substances) को पेश करते हैं, विशेष रूप से भारी धातुओं को निलंबित तलछटों (Suspended sediments) पर लगाया जाता है, जो झील के नीचे स्थित होते हैं। जोखिम आकलन कोड (Risk assessment code) के एक अध्ययन से पता चला है कि 4-13% मैंगनीज, 4-8% तांबे, निकल के 17-24%, 3-5% क्रोमियम, 13-26% सीसा, 14-23% कैडमियम और जस्ता के 2-3% एक्सचेंज किए जाने योग्य अंश में मौजूद हैं जो झील को कम से कम मध्यम जोखिम वाले वर्ग के अंतर्गत रखता है।
नगरपालिका और घरेलू कचरे की एक बढ़ती हुई मात्रा के साथ झील में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा तेजी से बढ़ी है। 1981 में 15.5 भागों के प्रति मिलियन (पीपीएम) से, बीओडी 1991 में 357.23 पीपीएम तक पहुँचा। इसी प्रकार, झील में मुक्त कार्बन डाइऑक्साइड की एकाग्रता जो जलीय जीवों की आबादी और कचरे के प्रकार पर निर्भर होती है जल पारिस्थितिकी तंत्र- इसी अवधि में 670 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। (Source: http://www.rainwaterharvesting.org/naini_lake/naini_lake.htm)
वनस्पति और जीव
नैनीताल झील मध्य हिमालय में 2,000 मीटर (6,600 फीट) तक स्थित है, अर्थात समशीतोष्ण क्षेत्र (temperate zone), जो वनस्पति (typical temperate climatic plants- समशीतोष्ण जलवायु पौधों) और जीव में समृद्ध है। झील और उसके परिवेश के विशिष्ट वनस्पतियों और जीवों के विवरण निम्न प्रकार हैं:
क्षेत्रीय वनस्पति (Flora): बांज (oak); पंगर (horse chestnuts); अखरोट (walnuts), पहाड़ी पीपल (hill people), एंगु (ash tree); चिनार; हिसालू; कुंज (musk rose); किलमोरा, सुरई (Himalayan cypress) बुरांस; देवदार; Weeping Willow; और चीड़ इस क्षेत्र में उगने वाले पेड़ और झाड़ियाँ हैं।
दर्ज की गई जलीय मैक्रोफाईटिक वनस्पति (Aquatic Macrophytic Vegetation) हैं 1) Potamogeton pectinatus, 2) Potamogeton crispus, 3) Polygonum glabrum, 4) Polygonum amphibium और Polygonum hydropiper (Water pepper)
जलीय जीव (Aqua Fauna): नैनीताल झील में 20 से 60 सेंटीमीटर (7.87 से 23.62 इंच) तक, अलग-अलग आकार में बढ़ती हुई, दो प्रकार की महासीर मछली, जैसे लाल पंख वाली महासीर मछली (Tor tor) और पीले पंख वाली महासीर मछली (Tor putitora), की उपस्थिति दर्ज की गई है। झील में पाए जाने वाले पहाड़ी ट्राउट की तीन प्रजातियाँ Schizothorax sinuatus, Schizothorax richardsoni और Schizothorax plagiostornus भी पाई जाती हैं। झील में पैदा की गई मछली मिरर कार्प या Cyprinus carpio है। मोम्क्विटोफिश नामक Gambusia affinis को झील में मच्छर लार्वा को नियंत्रित करने के लिये बायोकंट्रोल उपाय के रूप में पेश किया गया है।
नैनी झील के कम होते जलस्तर (इसके अन्य भागों को पढ़ने के लिये कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें।) | |
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2 | नैनी झील के जल की विशेषता, वनस्पति एवं जीव के वैज्ञानिक विश्लेषण (भाग-2) |
3 | नैनी झील के घटते जलस्तर एवं उस पर किये गए वैज्ञानिक अध्ययन क्या कहते हैं (भाग 3) |
4 | नैनी झील के कम होते जलस्तर के संरक्षण और बहाली के कोशिशों का लेखा-जोखा (भाग 4) |
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डॉ. राजेंद्र डोभाल
महानिदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तराखंड
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