वीरेंद्र वर्मा / नई दिल्ली : यमुना की बाढ़ दिल्ली के लिए मुसीबत बनने की बजाय मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है। गुजरात और कुछ लैटिन अमेरिकी देशों का सबक दिल्ली के लिए फायदेमंद हो सकता है। दिल्ली के चारों ओर एक नहर बनाकर बाढ़ के पानी को रीचार्ज किया जाए तो राजधानी की धरती पानी से मालामाल हो जाएगी। दो-तीन साल में ही दिल्ली का गिरता भूजल स्तर सामान्य स्थिति पर पहुंच जाएगा, इससे जमीन के पानी का खारापन भी दूर हो जाएगा।
सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड के चेयरमैन रह चुके डॉ. डी. के चड्ढा ने इस बारे में प्रस्ताव तैयार किया है जो इस वक्त बोर्ड के पास है। उन्हीं के प्रस्ताव पर उत्तरी गुजरात के सात जिलों में पानी रीचार्ज का यह सिस्टम अमल पर लाया गया और पानी का स्तर सुधर गया। दिल्ली के लिए बने प्लान के मुताबिक पल्ला से लेकर अशोक विहार, रोहिणी, मंगोलपुरी, द्वारका, वसंत कुंज होते हुए ओखला तक नहर ले जाई जाए। ओखला के करीब नहर को यमुना में जोड़ दिया जाए। नहर में जगह-जगह करीब 100 इंजेक्शन वेल बनाए जाएं। इन इंजेक्शन वेल के जरिए पानी जमीन के अंदर छोड़ा जाएगा। राजधानी में जमीनी पानी 20 मीटर से लेकर 50 मीटर की गहराई पर मिलता है। इसलिए अलग-अलग जगह के मुताबिक इनकी गहराई तय की जाएगी। अभी यमुना में 4 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। अगर नहर बनी होती तो आज यह पानी दिल्ली के लिए बेहद मुनाफे का सौदा साबित होता।
उत्तरी गुजरात में जमीनी का पानी बेहद दोहन होने के कारण भूजल स्तर काफी नीचे चला गया था। गुजरात में तैयार की गई यह नहर अलग-अलग जिलों से गुजरने के कारण हर जिले की जमीन की अलग तरह की है, इसलिए यहां यह योजना को लागू करने में काफी परेशानी सामने आई, लेकिन दिल्ली में तो केवल दो ही तरह की जमीन है, एक सामान्य जमीन व एक चट्टानी, यहां तो आसानी से नहर बनाकर बाढ़ के पानी को रीचार्ज किया जा सकता है। गुजरात में तो नहर के जरिए जमीनी पानी काफी रीचार्ज हुआ है, दिल्ली में अगर इंजेक्शन वेल लगा दी जाएं तो जमीनी पानी तेजी के साथ रीचार्ज होगा। इसी तकनीक को महाराष्ट्र में भी अपनाया जा रहा है।
ग्लोबल अनुभव
पानी की कमी से जूझ रहे लैटिन अमेरिका के कई देशों ग्राउंड वॉटर को रीचार्ज करने के लिए बाढ़ का पानी खरीदा जाता है। दिल्ली में तो बरसात के सीजन में इतना पानी आ रहा है कि पानी का स्तर कई गुना सुधारा जा सकता है।
गुजरात से सबक
उत्तरी गुजरात में सुजलाम-सुफलाम नाम से चल रही ऐसी ही योजना के तहत करीब 337 किलोमीटर लंबी नहर बनाई गई है, जो सात जिलों से होकर गुजर रही है। पंचमहल, खेड़ा, साबरकांठा, गांधीनगर, मेहसाणा, पाटन और बांसकांठा जिलों में इस पर काम हुआ है।
इंजेक्शन वेल
नहर में एक-एक किलोमीटर की दूरी पर 100 इंजेक्शन वेल। इनमें 8 इंच व्यास के पाइप जगह के अनुसार 20 मीटर से 50 मीटर की गहराई पर जमीन के अंदर पानी पहुंचाया जाए, जिससे भंडार बन सके। एक घंटे में 20 से लेकर 70 हजार लीटर तक पानी पहुंचाया जा सकता है।
साभार - नवभारत टाइम्स
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