1 परिचय
अच्छे स्वास्थ्य हेतु शुद्ध जल एक मूलभूत आवश्यकता है तथा बिहार राज्य के लिए इसके 8.3 करोड़ लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना आज भी एक समस्या है। पिछले कई सालों से PHED ईमानदारी के साथ लोगों को शुद्ध जल उपलब्ध कराने में लगी है परंतु समस्याएँ लगातार बढ़ ही रहे हैं। भूजल का संक्रमित होना लगातार बढ़ ही रहा है तथा राज्य के विभिन्न जिलों में भूजल में फ्लोराइड की समस्या देखने को मिल रही है। अधिक मात्रा में फ्लोराइड के सेवन से समान्यतः पीने वाले पानी के द्वारा फ्लोरोसिस नाम की बीमारी होती है जो दाँतों तथा हड्डियों को प्रभावित करती है। निर्धारित सीमा से कुछ अधिक फ्लोराइड के सेवन द्वारा दंतीय फ्लोरोसिस तथा अधिक समय तक अत्यधिक मात्रा में फ्लोराइड का सेवन करने पर खतरनाक कंकालीय समस्याएँ उत्पन्न होती है। इसलिए फ्लोरोसिस की रोकथाम के लिए पीने वाले पानी की गुणवत्ता सही होनी चाहिए फ्लोरोसिस के तरीके एवं प्रकार लोगों के द्वारा सेवन की गई फ्लोराइड की मात्रा पर निर्भर करता है, दंतीय फ्लोरोसिस अधिक मात्रा में फ्लोराइड के सेवन के द्वारा कम समय में ही दिखने लगती है, जबकि कंकालीय प्रभाव अत्यधिक फ्लोराइड के सेवन से होता है। चिकित्सा विज्ञान में दंतीय फ्लोरोसिस के लक्षण दाँतों में लाल, पीले, भूरे तथा काले रंग के धब्बे एवं अधिक खतरनाक अवस्था में दाँतों के एनामेल तक नष्ट हो जाते है।
हमारे देश भारत में लगभग 6.2 करोड़ लोग दंतीय, कंकालीय तथा अकंकालीय फ्लोरोसिस से प्रभावित हैं, जिनमें से 60 लाख बच्चे हैं जिनकी उम्र 14 वर्ष से कम है। फ्लोरोसिस एक ऐसी बीमारी है जो पीने के पानी में 1.5 मि.ग्रा./ली. से अधिक फ्लोराइड होने से होती है। हमारे देश में अभी तक 20 राज्यों के भूजल में अधिक फ्लोराइड की मात्रा होने की पुष्टि हुई है। गाँव के लोग जो मूलतः पीने के पानी के लिए भूजल पर निर्भर रहते हैं वो फ्लोरोसिस बीमारी से अधिक प्रभावित हैं। सन 80 के दशक में सरकारी तथा गैर सरकारी संगठनों द्वारा फ्लोरोसिस उन्मूलन के कार्यक्रमों की शुरूआत की गई परंतु उसके आपेक्षित परिणाम आने की बजाय समस्या बढ़ती हुई ही दिख रही है, जिसका कारण नए स्थानों में फ्लोराइड एवं फ्लोरोसिस की खोज भी हो सकती है।
अच्छे स्वास्थ्य हेतु शुद्ध जल एक मूलभूत आवश्यकता है तथा बिहार राज्य के लिए इसके 8.3 करोड़ लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना आज भी एक समस्या है। पिछले कई सालों से PHED ईमानदारी के साथ लोगों को शुद्ध जल उपलब्ध कराने में लगी है परंतु समस्याएँ लगातार बढ़ ही रहे हैं। भूजल का संक्रमित होना लगातार बढ़ ही रहा है तथा राज्य के विभिन्न जिलों में भूजल में फ्लोराइड की समस्या देखने को मिल रही है। मुंगेर जिले का खैरा गाँव फ्लोराइड के द्वारा खतरनाक स्थिति तक प्रभावित है। खैरा गाँव में फ्लोराइड के संक्रामण को जानने के लिए कल्प वृक्ष सेवा संस्थान ने इस अध्ययन को किया तथा इस अध्ययन के मुख्य परिणाम रिपोर्ट के अगले भागों में दिए गए हैं।
खैरा एक माध्यम आकार का गाँव है जो भारत देश के बिहार राज्य के मुंगेर में स्थित है, इस गाँव में लगभग एक हज़ार परिवार तथा 6000 की आबादी है। कुछ पुराने अध्ययनों के अधरा पर यह पाया गया है कि 6-7 मीटर कि गहराई में लिमोलिटिक क्ले में अवशोषित अवस्था में फ्लोराइड उपस्थित है।
1.1 उद्देश्य
1. फ्लोराइड से प्रभावित समूहों कि पहचान करना
2. चिन्हित किए गए स्कूलों में दंतीय फ्लोरोसिस कि पहचान करना
3. खैरा गाँव के समस्त पीने वाले जल स्रोतों के जल का परीक्षण करना
4. गाँव के लोगों तथा सरकारी संस्थानों कि मदद से खैरा गाँव में पीने वाले पानी में फ्लोराइड कि मात्रा को कम करना तथा इन सब को कम करने के लिए व गाँव में फ्लोरोसिस को कम करने हेतु एक प्रबंधन योजना बनाना
5. यूरिनरी फ्लोराइड को सूचक की तरह उपयोग करते हुए प्रभावित लोगों की पहचान करना
1.2 अध्ययन से होने वाले आपेक्षित फायदे
1. इस अध्ययन के द्वारा पानी में फ्लोराइड तथा मनुष्य में इसके प्रभाव के बारे में वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ाना। यह अध्ययन क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर फ्लोराइड के प्रबंधन हेतु विकल्पों को निर्धारित करने में मदद करेगी
2. यह अध्ययन कार्यदाई संस्थाओं को उनके द्वारा क्रियान्वित किए गए तरीकों की समीक्षा करने में मदद करेगी।
3. इस अध्ययन की मदद से क्षेत्रीय संस्थाओं को फ्लोरोसिस के रोकथाम में मदद करेगी।
4. यह अध्ययन सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों का ध्यान फ्लोराइड के प्रदूषण तथा इसके प्रभाव की ओर आकर्षित करेगा।
5. इस अध्ययन के द्वारा प्राप्त किए गए आंकड़े तथा जानकारियों का उपयोग क्षेत्रीय स्वयंसेवी संस्थाओं के द्वारा उपयोग किया जा सकेगा, जिससे कि वह फ्लोरोसिस प्रबंधन जैसे कार्य कर सकें।
2. क्रियाविधि
2.1: फ्लोराइड द्वारा प्रभावित लोगोंतथा जल स्रोतों कि पहचान तथा उसके प्रबंधन हेतु रूपरेखा का निर्माण
2.1.अ. स्वास्थ्य का सर्वेक्षण
केवीएसएस के शोध वैज्ञानिकों को लेकर एक स्वास्थ्य सर्वेक्षण दल का गठन किया गया तथा उनको अनुभवी विशेषज्ञों तथा चिकित्सकों द्वारा प्रशिक्षित किया गया।
यह सर्वेक्षण 6 नवम्बर 2012 से 16 नवम्बर 2012 तक चला, खैरा गाँव के तीनों स्कूलों के बच्चों का दंतीय फ्लोरोसिस हेतु सर्वेक्षण प्रपत्र के द्वारा सर्वेक्षण किया गया। स्कूली बच्चों का स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ें आगे परिशिष्ट में दिया गया है।
2.1.ब. खैरा गाँव के जल स्रोतों कि जल गुणवत्ता का आकलन
12-21 नवम्बर 2012 के दौरान खैरा गाँव के सभी पेयजल स्रोतों के जल की गुणवत्ता का आकलन किया गया। इस दौरान 357 जल स्रोतों का आकलन किया गया।
2.1.स. जल नमूनों का संग्रहण एवं आकलन
खैरा गाँव में ही एक अस्थाई प्रयोगशाला की स्थापना की गई। नमूनों को एकत्र करने के लिए पालिथीन बोतलों का उपयोग किया गया, जिन्हें अच्छी तरह से साबुन तथा आसुत जल से धोया गया। नमूना एकत्र करने के 6 घंटे के अन्दर ही जल गुणवत्ता का आकलन गाँव स्थित प्रयोगशाला में किया गया। पानी के फ्लोराइड के आकलन हेतु बैटरी द्वारा संचालित आयन मीटर (Model 290 A+ ORION, USA) का उपयोग किया गया। फ्लोराइड की संदरता का आकलन करने के लिए standard Method (APHA) में दिए गए विधि का उपयोग किया गया।
2.2. पेसाब में फ्लोराइड की मात्रा का प्रारम्भिक आंकलन
2.2.अ. नमूनों का चयन
सामाजिक, आर्थिक, लिंग व आयु के आधार पर नमूनों का चयन किया गया, सभी प्रकार के जल स्रोतों तथा उनको उपयोग करने वाले लोगों को आकलन हेतु चयन किया गया।
2.2.ब. नमूना एकत्र करने हेतु तरीका
पहले से साफ तथा सूखी 150 मि. ली. ढक्कन वाली बोतलों का उपयोग यूरीन सैंपल हेतु किया गया। इन बोतलों में व्यक्ति का नाम, पिता या पति का नाम, उम्र आदि का विवरण दिया गया, तथा बोतलों में 30 मि.ग्रा. EDTA भी मिलाया गया। इसके बाद इन बोतलों को शाम को लोगों को बांटी गई, तथा लोगों को इसमें प्रातः पहली बार पेशाब करने को कहा गया। गाँव के प्रत्येक लोगों को इस अध्ययन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई, तथा उन्हें अध्ययन को सफल बनाने हेतु प्रेरित किया गया।
अगली सुबह लोगों से भरी हुई यूरीन की बोतलों को एकत्र किया गया, तथा उनसे पिए गए पानी स्रोतों का विवरण, खाने का प्रकार, एवं अन्य दूसरी आवश्यक जानकारियाँ सर्वेक्षण प्रपत्र के द्वारा एकत्र की गई।
2.2.स. नमूनों का आकलन
पेसाब के नमूनों को ठंडे एवं सूखे स्थान में रखा गया तथा उसे 4 घंटे के भीतर बैटरी द्वारा संचालित आयन मीटर से मापा गया मापन हेतु NIOH manual method का उपयोग किया गया।
3. परिणाम एवं व्याख्या
3.1. फ्लोरोसिस द्वारा प्रभावित समूहों की पहचान तथा रोकथाम हेतु प्रबंधन योजना बनाना
शोध वैज्ञानिकों के समूह के द्वारा स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया जिसमें गाँव के तीनों स्कूलों के 7-16 वर्ष के बच्चों का दंतीय फ्लोरोसिस हेतु परीक्षण हुआ तथा इसके लिए सर्वेक्षण प्रपत्र का उपयोग किया गया। तीनों स्कूलों के 143 बच्चों का निरीक्षण किया गया, जिनकी उम्र 7-16 वर्ष के बीच थी जिनमें 28 (20%) बच्चे दंतीय फ्लोरोसिस की प्रारम्भिक अवस्था की चपेट में थे, 28 (20%) बच्चे तीव्र दंतीय फ्लोरोसिस द्वारा प्रभावित थे तथा 21(15%) बच्चे अतितीव्र दंतीय फ्लोरोसिस से प्रभावित थे। इसके अलावा 21 (15%) बच्चे संदेहात्मक अवस्था में थे जिनमें आगे के कुछ वर्षों में दंतीय फ्लोरोसिस के लक्षण उभर कर आगे आ सकते हैं। तीनों स्कूलों के लगभग 55% बच्चों में दंतीय फ्लोरोसिस के लक्षण देखने को मिले हैं।
तालिका: खैरा गाँव के स्कूलों में दंतीय फ्लोरोसिस की स्थिति
2.2.अ. नमूनों का चयन
सामाजिक, आर्थिक, लिंग व आयु के आधार पर नमूनों का चयन किया गया, सभी प्रकार के जल स्रोतों तथा उनको उपयोग करने वाले लोगों को आकलन हेतु चयन किया गया।
2.2.ब. नमूना एकत्र करने हेतु तरीका
पहले से साफ तथा सूखी 150 मि. ली. ढक्कन वाली बोतलों का उपयोग यूरीन सैंपल हेतु किया गया। इन बोतलों में व्यक्ति का नाम, पिता या पति का नाम, उम्र आदि का विवरण दिया गया, तथा बोतलों में 30 मि.ग्रा. EDTA भी मिलाया गया। इसके बाद इन बोतलों को शाम को लोगों को बांटी गई, तथा लोगों को इसमें प्रातः पहली बार पेशाब करने को कहा गया। गाँव के प्रत्येक लोगों को इस अध्ययन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई, तथा उन्हें अध्ययन को सफल बनाने हेतु प्रेरित किया गया।
अगली सुबह लोगों से भरी हुई यूरीन की बोतलों को एकत्र किया गया, तथा उनसे पिए गए पानी स्रोतों का विवरण, खाने का प्रकार, एवं अन्य दूसरी आवश्यक जानकारियाँ सर्वेक्षण प्रपत्र के द्वारा एकत्र की गई।
2.2.स. नमूनों का आकलन
पेसाब के नमूनों को ठंडे एवं सूखे स्थान में रखा गया तथा उसे 4 घंटे के भीतर बैटरी द्वारा संचालित आयन मीटर से मापा गया मापन हेतु NIOH manual method का उपयोग किया गया।
3. परिणाम एवं व्याख्या
3.1. फ्लोरोसिस द्वारा प्रभावित समूहों की पहचान तथा रोकथाम हेतु प्रबंधन योजना बनाना
शोध वैज्ञानिकों के समूह के द्वारा स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया जिसमें गाँव के तीनों स्कूलों के 7-16 वर्ष के बच्चों का दंतीय फ्लोरोसिस हेतु परीक्षण हुआ तथा इसके लिए सर्वेक्षण प्रपत्र का उपयोग किया गया। तीनों स्कूलों के 143 बच्चों का निरीक्षण किया गया, जिनकी उम्र 7-16 वर्ष के बीच थी जिनमें 28 (20%) बच्चे दंतीय फ्लोरोसिस की प्रारम्भिक अवस्था की चपेट में थे, 28 (20%) बच्चे तीव्र दंतीय फ्लोरोसिस द्वारा प्रभावित थे तथा 21(15%) बच्चे अतितीव्र दंतीय फ्लोरोसिस से प्रभावित थे। इसके अलावा 21 (15%) बच्चे संदेहात्मक अवस्था में थे जिनमें आगे के कुछ वर्षों में दंतीय फ्लोरोसिस के लक्षण उभर कर आगे आ सकते हैं। तीनों स्कूलों के लगभग 55% बच्चों में दंतीय फ्लोरोसिस के लक्षण देखने को मिले हैं।
तालिका: खैरा गाँव के स्कूलों में दंतीय फ्लोरोसिस की स्थिति
क्रम | कुल संख्या | संदेहात्मक | प्रारंभिक | तीव्र | अतितीव्र |
1. | 119 | 19 (16%) | 24(20%) | 26 (22%) | 20 (16%) |
2. | 24 | 2(8.3%) | 4(16.6%) | 2 (8.3%) | 1 (4.2%) |
| 143 | 21 | 28 | 28 | 21 |
*खैरा के तीनों स्कूलों के बच्चे (प्राथमिक विद्यालय पासवान टोला, प्राथमिक विद्यालय पुवारी टोला तथा बुनियादी स्कूल)
** उत्प्रेरण केन्द्र खैरा के बच्चे
इसी प्रकार बेतरतीब तरीके से कंकलीय फ्लोरोसिस हेतु लोगों का परीक्षण किया गया जिनमें कुल 131 लोग कंकलीय (पूरे गाँव के आकंड़े नहीं) फ्लोरोसिस द्वारा प्रभावित मिले, जिनमें 39 (30%) लोग प्रारम्भिक कंकालीय फ्लोरोसिस, 51 (39%) तीव्र कंकालीय फ्लोरोसिस तथा 41 (31%) लोग अतितीव्र कंकालीय फ्लोरोसिस से प्रभावित मिले।
तालिका : खैरा गाँव में कंकालीय फ्लोरोसिस की स्थिति
क्रम | कुल संख्या | प्रारंभिक | तीव्र | अतितीव्र |
1. | 131 | 39 | 51 | 41 |
गाँव के 357 स्रोतों का फ्लोराइड का आकलन किया गया जिनमें फ्लोराइड 0.1 से 9.61 मि. ग्रा./ली. तक मिला। 357 स्रोतों में से 272 हैंडपंप, 82 कुएं, 2 तालाब तथा एक नदी थी। 272 हैंडपंपों में से 213 हैंडपंप में फ्लोराइड की मात्र 1.5 मि. ग्रा./ली. से अधिक पाई गई, तथा इसी प्रकार 43 कुएं भी अधिक फ्लोराइड द्वारा प्रभावित मिले। 569 परिवार पीने के पानी हेतु हैंडपंपों पर निर्भर हैं जिनमें से 365 परिवार अधिक फ्लोराइड वाले पानी का उपयोग हैंडपंप के द्वारा कर रहे हैं।
इसी प्रकार 117 परिवार कुओं में अधिक फ्लोराइड के द्वारा प्रभावित हैं। गाँव के 200 से अधिक परिवार स्वच्छ पानी के लिए दूसरे गाँव कठना पर निर्भर हैं। इसी प्रकार तीनों स्कूल के बच्चे भी खराब पानी पी रहे हैं। आँगनबाड़ी केन्द्रों में भी सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था नहीं है।
तालीका: खैरा गाँव के जल स्रोतों में फ्लोराइड की स्थिति
क्र. | F की मात्रा पीपीएम | हैंडपंप | कुएं | ||||||
|
| कुल | उपयोग में | परिवारों की निर्भरता | सरकारी | कुल | उपयोग | परिवारों की निर्भरता | सरकारी |
1. | <1 | 33 | 28 | 183 | 1 | 30 | 22 | 334*** | 3 |
2. | 1.1-1.5 | 26 | 22 | 21* | 1 | 9 | 7 | 11 | 3 |
3. | 1.5-2.5 | 48 | 35 | 91 | 7 | 13 | 9 | 14 | 0 |
4. | 2.5-5.0 | 66 | 56 | 125** | 9 | 25 | 19 | 86 | 2 |
5. | >5 | 99 | 78 | 149 | 11 | 5 | 4 | 17 | 0 |
कुल | 272 | 219 | 569 | 29 | 82 | 61 | 462 | 8 |
* एक स्रोत प्राथमिक विद्यालय पुवारी टोला का है जिसका उपयोग स्कूली बच्चे करते हैं।
** दो स्रोत प्राथमिक विद्यालय पासवान टोला तथा बुनियादी स्कूल के हैं तथा जिनका उपयोग स्कूली बच्चे करते हैं।
*** दो स्रोत दूसरे गाँव के हैं और इनका प्रयोग 200 परिवार करते हैं।
365 परिवार 169 HP (27 सरकारी) के द्वारा संदूषित जल का उपयोग कर रहे हैं। 117 परिवार 32 कुओं (2 सरकारी) के द्वारा संदूषित जल पी रहे हैं। सुरक्षित पेयजल स्रोतों में सरकारी तथा गैर सरकारी स्रोतों का अनुपात 2:77 (HP), 6:33 (कुओं) है। तथा असुरक्षित स्रोतों का अनुपात 27:186(HP) तथा 2:41(कुएं) हैं।
तुलनात्मक अध्ययन हेतु पड़ोस का एक गाँव मर्दन चक के भी कुल 29 स्रोतों का आकलन किया गया, जिनमें 19 HP तथा 10 कुएं थे लगभग सभी स्रोत सुरक्षित पाए गए केवल एक स्रोत में फ्लोराइड की मात्र 1.41 मि. ग्रा./ली. पाई गई, तथा मर्दनचक गाँव में एक भी दंतीय तथा कंकलीय फ्लोरोसिस के लक्षण संज्ञान में नहीं आए।
खैरा गाँव के 445 लोगों के पेसाब के सैम्पल लिए गए जिनके द्वारा जल के द्वारा ग्रहण किए जाने वाले फ्लोराइड की न्यूनतम तथा अधिकतम औसत मात्रा 0.27 से 8.52 मि.ग्रा./ली.रही तथा यूरीन मं फ्लोराइड की निकलने वाली
तालिका: सरकारी तथा गैर सरकारी स्रोतों का तुलनात्मक विवरण
क्र. | फ्लोराइड की मात्रा | हैंडपंप सरकारी व गैर सरकारी | कुआं सरकारी व गैर सरकारी |
1. | <1 | 1:32 | 3:27 |
2. | 1.1-1.5 | 1:25 | 3:6 |
3. | 1.51-2.5 | 7:41 | 0:13 |
4. | 2.51-5.0 | 9:57 | 2:23 |
5. | > | 11:88 | 0:5 |
कुल | 272(29:24) | 82(8:74) |
तालिका: मर्दनचक गाओम में फ्लोराइड की स्थिति
क्र. | Fकी मात्रा पीपीएम | हैंडपंप | कुएं | ||||||
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| कुल | उपयोग | परिवारों की निर्भरता | सरकारी | कुल | उपयोग | परिवारों की निर्भरता | सरकारी |
1. | <1 | 18 | 18 | 43* | 4 | 10 | 8 | 117 | 7 |
2. | 1.1-1.5 | 1 | 1 | 1 |
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तालिका: पेयजल तथा यूरीन में फ्लोराइड की मात्रा, खैरा:
आयु | जल स्रोत में Fकी मात्रा पीपीएम | यूरीन में F की मात्रा पीपीएम | कुल संख्या | ||||
न्यूनतम | अधिकतम | औसत | न्यूनतम | अधिकतम | औसत | ||
0-9 | 0.27 | 8.52 | 1.67 | 0.27 | 24.4 | 3.76 | 65 |
10-18 | 0.27 | 8.52 | 1.12 | 0.14 | 21.6 | 3.80 | 89 |
19-27 | 0.27 | 7.85 | 1.52 | 0.24 | 18.8 | 3.43 | 55 |
28-35 | 0.27 | 8.52 | 1.29 | 0.14 | 14.3 | 2.39 | 70 |
36-50 | 0.27 | 8.52 | 1.19 | 0.15 | 13.2 | 3.43 | 85 |
>50 | 0.27 | 7.66 | 0.87 | 0.28 | 9.06 | 2.21 | 81 |
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| 445 |
तालिका: पेयजल तथा यूरीन में फ्लोराइड की मात्रा, खैरा स्कूल
खैरा गांव के स्कूली बच्चे | |||||||
आयु | जल स्रोत में F की मात्रा पीपीएम | यूरीन में Fकी मात्रा पीपीएम | कुल संख्या | ||||
न्यूनतम | अधिकतम | औसत | न्यूनतम | अधिकतम | औसत | ||
6-9 | 0.27 | 5.07 | 3.34 | 1.02 | 11.3 | 3.92 | 26 |
10-16 | 0.27 | 8.83 | 3.12 | 0.292 | 12.4 | 4.31 | 54 |
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| 80 |
औसत न्यूनतम तथा अधिकतम मात्रा क्रमशः 0.14 से 24.4 मि.ग्रा./ली. रही। इसके अलावा 80 स्कूली बच्चों के भी जल के द्वारा फ्लोराइड का ग्रहण तथा यूरीन द्वारा फ्लोराइड के निकालने का अनुमापन किया गया जिनमें फ्लोराइड ग्रहण की औसत मात्रा 0.27 से 8.83 मि.ग्रा./ली. तथा यूरीन में फ्लोराइड की मात्रा 3.92 से 12.4 मि.ग्रा./ली. तक पाई गई। इसी प्रकार मर्दन चक गाँव के भी 64 लोगों का परीक्षण किया गया जिनमें फ्लोराइड ग्रहण की मात्रा 0.15 से 0.71 मि. ग्रा./ली. तक रही एवं यूरीन में फ्लोराइड की मात्रा 0.12 से 3.12 मि. ग्रा./ली. तक पाई गई।
तालिका: पेयजल तथा यूरीन में फ्लोराइड की मात्रा, मर्दन चक गाँव
आयु | जल स्रोत में Fकी मात्रा पीपीएम | यूरीन में F की मात्रा पीपीएम | कुल संख्या | ||||
न्यूनतम | अधिकतम | औसत | न्यूनतम | अधिकतम | औसत | ||
0-9 | 0.15 | 0.40 | 0.23 | 0.19 | 3.12 | 0.80 | 12 |
10-18 | 0.15 | 0.71 | 0.23 | 0.12 | 2.38 | 0.91 | 19 |
19-27 | 0.16 | 0.40 | 0.27 | 0.44 | 1.13 | 0.67 | 6 |
28-35 | 0.15 | 0.25 | 0.21 | 0.44 | 1.15 | 0.75 | 5 |
36-50 | 0.16 | 0.25 | 0.21 | 0.13 | 1.9 | 0.61 | 10 |
>50 | 0.15 | 0.71 | 0.32 | 0.22 | 1.3 | 0.57 | 12 |
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| 64 |
तालिका: मानक विचलन और कोरिलेसन कोईफ़ीसिएंट पानी एवं यूरीन के फ्लोराइड में
आयु वर्ग वर्ष में | कुल संख्या | औसत Fजल में (mg/l) | औसत Fयूरीन में (mg/l) | मानक विचलन जल फ्लोराइड में | मानक विचलन यूरीन फ्लोराइड में | कोरिलेशन कोईफीसिएंट |
खैरा गांव | ||||||
0-9 | 65 | 1.67 | 3.76 | 2.39 | 4.88 | 0.69 |
10-18 | 89 | 1.12 | 3.80 | 1.88 | 4.53 | 0.45 |
19-27 | 55 | 1.52 | 3.43 | 2.39 | 3.51 | 0.38 |
28-35 | 70 | 1.29 | 2.39 | 2.00 | 2.67 | 0.81 |
36-50 | 85 | 1.19 | 3.43 | 1.90 | 3.25 | 0.44 |
>50 | 81 | 0.87 | 2.21 | 1.34 | 1.69 | 0.43 |
खैरा गांव के बुनियादी स्कूल के बच्चे | ||||||
0-9 | 26 | 3.34 | 3.92 | 1.56 | 2.50 | 0.32 |
10-18 | 54 | 3.12 | 4.31 | 2.24 | 3.32 | 0.53 |
मर्दन चक गांव | ||||||
0-9 | 12 | 0.23 | 0.80 | 0.70 | 0.80 | 0.13 |
10-18 | 19 | 0.23 | 0.91 | 0.12 | 0.66 | 0.37 |
19-27 | 6 | 0.27 | 0.67 | 0.11 | 0.25 | 0.63 |
28-35 | 5 | 0.21 | 0.75 | 0.04 | 0.48 | 0.02 |
>50 | 12 | 0.32 | 0.57 | 0.20 | 0.31 | 0.73 |
उपर्युक्त चार्ट से यह स्पष्ट है की खैरा गाँव में यूरीन के द्वारा निकालने वाला फ्लोराइड पानी में अधिक फ्लोराइड की मात्र से है जबकि मर्दन चक में इसका कोई संबंध पानी से नहीं है।
फ्लोरोसिस न्यूनीकरण की योजना
सहभागी प्रक्रिया द्वारा फ्लोरोसिस न्यूनिकरण योजना बनाने के लिए खैरा गाँव में 5 गाँव स्तरीय बैठकों का आयोजन किया गया। पहली बैठक 28 नवम्बर 2012 को पूवारी टोला में आयोजित की गई, दूसरी तथा तीसरी बैठकें 29 नवंबर को शर्मा टोला तथा यादव टोला में की गई तथा चौथी बैठक कुर्मी टोला में 30 नवंबर 2012 को आयोजित की गई। एक अन्य बैठक 5 दिसंबर 2012 को प्रमुख जी के घर में आयोजित की गई, जिसमें IPE Global के श्री आर. श्रीकांत भी मौजूद रहे। इन सभी बैठकों के दौरान गाँव वालों को फ्लोराइड, फ्लोरोसिस तथा इससे बचने के उपायों के बारे में में विस्तार से चर्चा की गई। त्वरित लाभ हेतु आरओ फिल्टर, एक्टिवेटेड अल्युमीना आधारित फिल्टर, फ्लोराइड को निकालने वाली पुड़िया, वैकल्पिक स्रोत आदि के बारे में चर्चा की गई। दूरगामी निदान के रूप में वर्षा जल संग्रहण, तालाबों तथा पोखरों का निर्माण तथा चेकडैम आदि की भूमिका के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गई। इसी प्रकार खड़गपुर झील से प्रस्तावित जल सप्लाई के बारे में भी लाभ एवं हानियों सहित चर्चा की गई। इन सभी बैठकों के उपरांत यह निष्कर्ष निकाला गया कि त्वरित लाभ हेतु खैरा गाँव के कुछ भागों में आरओ या एक्टिवेटेड अल्युमीना आधारित फिल्टर लगाए जाने चाहिए। पहला शर्मा टोला, दूसरा कुर्मी टोला में कालीस्थान के पास तथा तीसरा फिल्टर यादव टोला में सुंदर यादव के घर के समीप लगाए जाने की आवश्यकता है। बुनियादी स्कूल के आसपास कोई सुरक्षित या वैकल्पिक स्रोतों के न होने के कारण एक फिल्टर वंहा भी आवश्यक है, जिससे कि स्कूली बच्चों को स्वच्छ एवं साफ पानी उपलब्ध हो सके। गाँव वालों ने सर्वसम्मति से यह भी कहा कि दूर गामी परिणामों हेतु गाँव के दक्षिण पश्चिम किनारे पर बहने वाली नदी में 6 चेकडैम तथा कम से कम दो तालाब बनाए जाने कि आवश्यकता है। सरकार द्वारा प्रस्तावित खड़गपुर झील से पाइप लाइन सप्लाई योजना के बिलंब होने के कारण काफी रोष है।
निष्कर्ष
खैरा गाँव के भूजल में अत्यधिक मात्रा में फ्लोराइड होने के कारण गाँव के लोग फ्लोरोसिस से बुरी तरह से प्रभावित हैं। शाव टोला, शर्मा टोला, यादव टोला, पाशवान टोला, कुर्मी टोला अत्यधिक प्रभावित हैं, कुल 357 स्रोतों में से 272 स्रोत HP, 82 कुएं, 2 तालाब तथा एक नदी है। 272 हैंडपंपों में से 213 हैंडपंपों में फ्लोराइड की मात्रा 1.5 mg/l से अधिक है, इसी प्रकार 43 कुएं भी अधिक फ्लोराइड के द्वारा प्रदूषित हैं। 569 परिवार पीने हेतु पानी हैंडपंप से लेते हैं जिनमें 365 परिवार निर्धारित सीमा से अधिक फ्लोराइड वाले हैंडपंपों से पानी पीते हैं, इसी प्रकार 117 परिवार दूषित कुओं से पानी का उपयोग कर रहे हैं तथा लगभग 200 परिवार दूसरे गाँव से साफ पानी का उपयोग कर रहे हैं। तीन स्कूल के बच्चों का दंतीय फ्लोरोसिस हेतु सर्वेक्षण किया गया जिसमें 55% बच्चे दंतीय फ्लोरोसिस से ग्रसित पाए गए। इसी प्रकार 131 व्यक्ति कंकालीय फ्लोरोसिस से प्रभावित पाये गए।
सुझाव
गाँव के प्रत्येक पेयजल स्रोत की गुणवत्ता का आकलन लगातार करने की जरूरत है। गऔन के खुच टोलों में जैसे यादव टोला, शर्मा टोला, कुर्मी टोला तथा बुनियादी स्कूल में तुरंत फ्लोराइड निष्क्रियण यंत्र लगाने की जरूरत है। फ्लोराइड के सतत प्रबंधन हेतु वर्षा जल संग्रहण, तालाबों तथा पोखरों का निर्माण तथा चेक डैम का निर्माण कराये जाने जरूरत है।
नोट
क्षेत्रीय स्तर पर एक कार्यशाला का आयोजन किया जाना चाहिए जिसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ संबंधित विभागों के अधिकारियों की उपस्थिती सुनिश्चित की जानी चाहिए तथा यदि संभव हो तो इस रिपोर्ट को पब्लिक डोमेन में उपलब्ध किया जाना चाहिए।
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