मुनाफे की ‘प्यास’

विश्वबैंक का आंकलन है कि दुनिया में पानी का बाजार 34,400 अरब रुपए के बराबर है।
इस बाजार पर कब्जा जमाने के लिए दुनिया के दस औद्योगिक महासमूह प्रयासरत हैं। ये बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ हैः फ्रांसीसी वीवेंडी, स्वेज-लियोनेज़ देश इयूक्स तथा बॉयगुएस (सॉर), अमेरिकी-एनरॉन (एजूरिक्स), जर्मन-आर.डब्ल्यू.ई. ग्रुप और ब्रिटिश-टेम्स वाटर, यूनाईटेड यूटीलिटिज, सेवर्न ट्रेंट, एंग्लियन वॉटर तथा केल्डा ग्रुप।

1. इन दस शीर्ष कम्पनियों में से चार कम्पनियाँ ग्लोबल फॉर्चून 500 सूची में दुनिया की पहली सौ कम्पनियों में शामिल हैः आर.डब्ल्यू.ई. ग्रुप (नं.-63), विवेंडी (नं.-69), स्वेज लियोनेज़ (नं.-70) और एनरॉन (नं.-85)।
2. वीवेंडी और स्वेज लियोनेज़ को वैश्विक जल उद्योग की जनरल मोटर्स और फोर्ड मोटर कम्पनियों की तरह माना जाता है। दुनिया भर में स्वेज का कारोबार 120 देशों में और वीवेंडी का 90 देशों में फैला हुआ है। इन दोनों कम्पनियों के कुल 3110 अरब रुपए मुनाफे में से 430 अरब रुपए अकेले जल सेवाओं से आता है।
3. एक अन्य फ्रांसीसी बहुराष्ट्रीय बॉयगुएस अपनी सहायक कम्पनी सॉर के जरिए दुनिया भर में 80 देशों में सक्रिय है। दूसरी तरफ एनरॉन नामक एकीकृत गैस एवं विद्युत कम्पनी अपनी एक नई सहायक कम्पनी एजूरीक्स के जरिए 50 देशों में कारोबार चलाती है। जर्मनी की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक आर.डब्ल्यू.ई. ग्रुप भी पानी के व्यवसाय के क्षेत्रा में महत्त्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरकर आ रही है।
4. शेष सभी पाँचों कम्पनियाँ इंग्लैंड में आधारित हैः टेम्स वाटर पीएलसी, यूनाईटेड यूटीलिटीज, सेवेर्न ट्रेंट पीएलसी, एंग्लियन वॉटर पीएलसी और केल्डा ग्रुप। शीर्षस्थ पाँच उद्योग समूहों से भिन्न प्रत्येक इंग्लैंड आधारित कम्पनी तकरीबन पूरी तरह जल सेवाओं पर ही केन्द्रित है। इतना ही नहीं यूनाईटेड यूटीलिटीज का अमरीकी निर्माण कम्पनी बेशटेल के साथ भी तालमेल है।
5. वैश्विक जल उद्योग लगातार तेज बदलावों से गुजर रहा है। 1994 से 1998 के बीच पानी से संबंधित 139 विलय या अधिग्रहण हुए थे। 1999 में, अधिग्रहण और विलयों की रफ्तार अपने रिकॉर्ड स्तर तक जा पहुँची और वीवेंडी ने यू.एस. फिल्टर कम्पनी का भी अधिग्रहण कर लिया। इस कम्पनी की लागत 258 अरब रुपए आंकी जाती है।
6. एक उद्योग विश्लेषक की टिप्पणी थी कि, ”इस बात के संकेत और स्पष्ट होते जा रहे हैं कि, भावी यूरोपियन उपभोक्ता क्षितिज को आकार देने के इच्छुक प्रमुख खिलाड़ियों के लिए अगला अधिग्रहण पड़ाव पानी ही होगा।“ अकेले अमरीका में, जहाँ अधिकांश जल सेवाएँ आज भी सार्वजनिक हाथों में हैं, वहाँ निजी जल कम्पनियाँ सालाना 3,440 अरब रुपए से भी ज्यादा मुनाफा कमाती हैं- यानि माईक्रोसॉफ्ट की सालाना बिक्री से भी चार गुना ज्यादा।

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