जिन व्यक्तियों ने मुम्बई में तैयार होने वाली नई गगनचुम्बी इमारतों में रहने हेतु भारी मात्रा में पैसा निवेश किया है, उन्हें अब अपना सपना पूरा करने में देरी होने वाली है। वृहन्मुम्बई महानगरपालिका ने यह निर्णय किया है कि नई निर्माणाधीन इमारतों को नल/पानी का कनेक्शन उसी वक्त दिया जा सकेगा जब ठाणे जिले की वैतरणा नदी से मुम्बई को अतिरिक्त पानी ना मिलने लगे, और यह सन् 2011 से पहले सम्भव नहीं होगा। इसी प्रकार अन्य ऊँची इमारतों में रहने वाले मुम्बईकरों के लिये बुरी खबर यह है कि अब से उन्हें सिर्फ़ प्रति व्यक्ति रोज़ाना दो बाल्टी पानी ही मिल सकेगा। हालांकि यह निर्णय फ़रवरी के आखिरी सप्ताह में लिया गया है, लेकिन अतिरिक्त महानगरपालिका आयुक्त श्री अनिल डिग्गीकर के अनुसार, “मुम्बई महानगर भीषण जल संकट से जूझ रहा है और हमने यह तय किया है कि 1 दिसम्बर 2008 के बाद बनने वाली किसी भी इमारत में फ़िलहाल नल कनेक्शन नहीं दिये जायेंगे, इसी प्रकार भवन निर्माताओं को भी निर्माण कार्य के लिये पानी का कनेक्शन नहीं दिया जायेगा…” इसका मतलब है कि भवनों के निर्माण में देरी हो सकती है। डिग्गीकर आगे कहते हैं कि “हमने पानी की उपलब्धता में भी कटौती करने का फ़ैसला किया है, पहले से बन चुकी इमारतों में पानी की खपत 90 लीटर प्रति व्यक्ति से घटाकर 45 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कर दिया गया है…”।
दिल खोलकर पानी खर्च करने वाले मुम्बईवासी इस निर्णय से परेशान हैं, अंधेरी में निवास करने वाली 60 वर्षीय सुषमा बागड़ी कहती हैं “मेरे परिवार में कुल 10 सदस्य हैं, हम पानी खरीदने पर महीने भर में हजारों रुपये खर्च कर रहे हैं, अब यदि इस पानी में भी कटौती हो गई तो जीना मुश्किल हो जायेगा…”। महानगरपालिका के अधिकारी बताते हैं कि जब मध्य वैतरणा प्रोजेक्ट (बाँध) का काम पूरा हो जायेगा तब मुम्बई शहर को लगभग 45 करोड़ लीटर पानी अतिरिक्त मिल सकेगा। वहीं दूसरी तरफ़ मुम्बई स्थित वैश्विक सलाहकार अफ़सर ज़ाफ़री कहते हैं कि “पानी की आपूर्ति बढ़ाना समस्या का उचित हल नहीं है, महानगरपालिका को पानी के अपव्यय और बरबादी रोकने, भूजल स्तर बढ़ाने हेतु वाटर हार्वेस्टिंग तथा पानी की “रिसायक्लिंग” करने पर जोर देना चाहिये जो कि स्थाई उपाय साबित होंगे। पार्षदों द्वारा लगाये गये इस आरोप पर कि पानी का बहुत ज्यादा कुप्रबन्धन हो रहा है, एक जन-समिति नियुक्त की गई है जो कि मुम्बई की जलप्रदाय व्यवस्था पर “श्वेत पत्र” निकालेगी और उसे जनता को सार्वजनिक रूप से उलपब्ध करवाया जायेगा, ताकि जनता भी पानी के महत्व को समझ सके और उपयोग में किफ़ायत बरते।
मूल रिपोर्ट - निधि जामवाल (सीएसई) (अनुवाद – सुरेश चिपलूनकर)
दिल खोलकर पानी खर्च करने वाले मुम्बईवासी इस निर्णय से परेशान हैं, अंधेरी में निवास करने वाली 60 वर्षीय सुषमा बागड़ी कहती हैं “मेरे परिवार में कुल 10 सदस्य हैं, हम पानी खरीदने पर महीने भर में हजारों रुपये खर्च कर रहे हैं, अब यदि इस पानी में भी कटौती हो गई तो जीना मुश्किल हो जायेगा…”। महानगरपालिका के अधिकारी बताते हैं कि जब मध्य वैतरणा प्रोजेक्ट (बाँध) का काम पूरा हो जायेगा तब मुम्बई शहर को लगभग 45 करोड़ लीटर पानी अतिरिक्त मिल सकेगा। वहीं दूसरी तरफ़ मुम्बई स्थित वैश्विक सलाहकार अफ़सर ज़ाफ़री कहते हैं कि “पानी की आपूर्ति बढ़ाना समस्या का उचित हल नहीं है, महानगरपालिका को पानी के अपव्यय और बरबादी रोकने, भूजल स्तर बढ़ाने हेतु वाटर हार्वेस्टिंग तथा पानी की “रिसायक्लिंग” करने पर जोर देना चाहिये जो कि स्थाई उपाय साबित होंगे। पार्षदों द्वारा लगाये गये इस आरोप पर कि पानी का बहुत ज्यादा कुप्रबन्धन हो रहा है, एक जन-समिति नियुक्त की गई है जो कि मुम्बई की जलप्रदाय व्यवस्था पर “श्वेत पत्र” निकालेगी और उसे जनता को सार्वजनिक रूप से उलपब्ध करवाया जायेगा, ताकि जनता भी पानी के महत्व को समझ सके और उपयोग में किफ़ायत बरते।
मूल रिपोर्ट - निधि जामवाल (सीएसई) (अनुवाद – सुरेश चिपलूनकर)
Path Alias
/articles/maumabai-maen-nala-kanaekasana-sana-2011-taka-raukanaa-padaegaa
Post By: admin