परिकल्पना:
नदी में कागज मिल से गिरने वाले उत्सर्जन की दिशा में मछलियों की संख्या धारा की विपरीत दिशा के मुकाबले कम होती है।
कारण:
मिलों या अन्य औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले उत्सर्जन जलचर जीवों के जीवन पर कई तरह से असर डालते हैं। कुल मिलाकर इसका असर यह होगा कि बहुत कम प्रजातियां बदली हुई परिस्थितियों के मुताबिक खुद को ढ़ाल सकेंगी।
कार्यप्रणाली:
मिल से उत्सर्जन की दिशा और दिशा के विपरीत 5 स्थानों को तुलना करने के लिए चुनना चाहिए। नदी की दिशा में हर जगह मछलियां पकड़ी जाती हैं। किसी खास जगह पकड़ी जाने वाली मछलियों की जानकारी के लिए मछुआरों से संपर्क करना चाहिए। मछलियों के आंकड़ों उनके स्थानीय नाम और डिजिटल फोटोग्राफी के आधार पर जुटाने चाहिए। ज़रूरी हो तो मछुआरों से नमूने के तौर पर मछलियां ख़रीदी भी जा सकती हैं। इससे अलग-अगल जगह पर मछलियों की विभिन्न प्रजातियों की संख्या की जांच की जा सकेगी।
अगला कदम:
मिल से निकलने वाले उत्सर्जन के साथ-साथ नदी के पानी का रासायनिक विश्लेषण किया जा सकता है।
नदी में कागज मिल से गिरने वाले उत्सर्जन की दिशा में मछलियों की संख्या धारा की विपरीत दिशा के मुकाबले कम होती है।
कारण:
मिलों या अन्य औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले उत्सर्जन जलचर जीवों के जीवन पर कई तरह से असर डालते हैं। कुल मिलाकर इसका असर यह होगा कि बहुत कम प्रजातियां बदली हुई परिस्थितियों के मुताबिक खुद को ढ़ाल सकेंगी।
कार्यप्रणाली:
मिल से उत्सर्जन की दिशा और दिशा के विपरीत 5 स्थानों को तुलना करने के लिए चुनना चाहिए। नदी की दिशा में हर जगह मछलियां पकड़ी जाती हैं। किसी खास जगह पकड़ी जाने वाली मछलियों की जानकारी के लिए मछुआरों से संपर्क करना चाहिए। मछलियों के आंकड़ों उनके स्थानीय नाम और डिजिटल फोटोग्राफी के आधार पर जुटाने चाहिए। ज़रूरी हो तो मछुआरों से नमूने के तौर पर मछलियां ख़रीदी भी जा सकती हैं। इससे अलग-अगल जगह पर मछलियों की विभिन्न प्रजातियों की संख्या की जांच की जा सकेगी।
अगला कदम:
मिल से निकलने वाले उत्सर्जन के साथ-साथ नदी के पानी का रासायनिक विश्लेषण किया जा सकता है।
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