मंगल पर पानी और जीवन

Mars
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मंगलमंगल की पृथ्वी से निकटतम दूरी 20 करोड़ 66 लाख किलोमीटर और अधिकतम दूरी 24 करोड़ 92 लाख किलोमीटर है, लेकिन अगस्त 2003 में यह पृथ्वी के अत्यंत समीप आ गया था, तब इसकी पृथ्वी से दूरी मात्र 5 करोड़ 58 लाख किलोमीटर रह गई थी। विगत 73,000 वर्षों में पहली बार मंगल पृथ्वी के इतना सन्निकट था। इसी का लाभ उठाकर कई अन्वेषी यान मंगल की ओर भेजे गए। (यद्यपि पहले भी ऐसे 34 मानव रहित यान अमेरिका, सोवियत संघ और रूस ने भेजे। जो प्रायः विफल रहे।)

मंगल ग्रह पर जीवन संधान की यात्रा पर निकले यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के ‘बीगल-2’ का तो पता नहीं चला लेकिन ‘नासा’ के जुड़वां रोबोटिक मिशन ‘स्पिरिट’ और ‘अपार्चुनिटी’ क्रमशः 4 जनवरी 2004 और 25 जनवरी, 2004 को मंगल की सतह का स्पर्श कर चुके हैं।

मार्स एक्सप्रेस के उच्च विभेदन क्षमता वाले स्टीरिओ कैमरा (एच.आर.एस.सी.) ने मंगल के दक्षिणी ध्रुव की जो तस्वीर भेजी है, उसमें नहर या नदी के बहाव से बनी संरचनाएं स्पष्ट दृष्टिगोचर होती हैं फिर भी वैज्ञानिकों का एक वर्ग यह मान रहा है कि पनीली संरचनाएं पानी की न बनी होकर कार्बन डाइऑक्साइड निर्मित भी हो सकती हैं। परंतु पूर्व में नासा के मार्स ग्लोबल सर्वेयर से वहां प्रचुर मात्रा में हेमेटाइट की मौजूदगी पाई गई। जो बिना पानी की झील या गर्म धाराओं की मौजूदगी के बनना असंभव है।

मार्स एक्सप्रेस के हाई रिजोल्यूशन स्टीरिओ कैमरे ने 14 जनवरी, 2004 को 275 किमी. की ऊंचाई से ‘वेलीस मारीनेरिस’ खड्ड के दक्षिण-उत्तर दिशा में 1700 किलोमीटर लंबी और 65 किलोमीटर चौड़ी पट्टी की रंगीन तस्वीर खींची। तस्वीर के निचले हिस्से पानी के बहाव से बनी संरचनाएं साफ दिखाई पड़ती हैं।

मूल प्रश्न अभी भी अनुत्तरित है। यदि मंगल पर कभी पानी था तो वह गया कहां? और जब उस पर पानी थी तो उस सूरतेहाल में जीवन पनपा कि नहीं?
 

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