देश में मनरेगा का सूरत-ए-हाल बताने के लिए हम सीरीज चला रहे हैं। जिसमें विभिन्न राज्यों में मनरेगा से जुड़े विभिन्न पहलुओं को आंकड़ों के साथ प्रस्तुत किया जाएगा। प्रस्तुत है सीरीज का पहला अंश -
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 का प्रारंभ 2 फरवरी 2003 को हुआ। दोनों सदनों में पारित होने के बाद इसने 25 अगस्त 2005 को कानून का रूप ले लिया था। उस दौरान इसे ‘नरेगा’ नाम दिया गया था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 को इसके बाद महात्मा गांधी का नाम जुड़ गया और तभी ये योजना का नाम नरेगा से मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005) पड़ गया। योजना का उद्देश्य गांव में ग्रामीणों को निश्चित रोजगार उपलब्ध कराना है। इसमें 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी जाती है। रोजगार न मिलने पर बेरोजगार भत्ता दिया जाएगा। लेकिन मनरेगा सौ दिन का निश्चित रोजगार उपलब्ध कराने में ही विफल नहीं हो रही है, बल्कि मजूदरों को समय पर मजदूरी भी नहीं दी जाती है।
लाॅकडाउन के कारण देशभर में मनरेगा के अंतर्गत काम की मांग बढ़ गई है। वर्ष 2020-21 में अभी तक मनरेगा के अंतर्गत 14 करोड़ 27 लाख 14 हजार 284 जाॅबकार्ड के लिए आवेदन किया था, जिनमें से 13 करोड़ 58 लाख 46 हजार 866 जाॅबकार्ड जारी किए गए हैं। सबसे ज्यादा जाॅबकार्ड उत्तर प्रदेश (1,79,90,082), बिहार (1,72,95,379), पश्चिम बंगाल (1,25,34,566) और राजस्थान (1,07,71,416) में जारी किए गए हैं। तो वहीं, वर्ष 2019-20 में 13,28,07,536, वर्ष 2018-19 में 12,80,24,159 और वर्ष 2017-18 में 12,30,20,533 जाॅबकार्ड जारी किए गए थे। इस वर्ष अभी तक 7 करोड़ 86 लाख 88 हजार 774 काम की डिमांड की जिनमें से 7 करोड़ 83 लाख 78 हजार 398 लोगों को काम दिया जा चुका है। पिछले साले 8,83,55,836 में से 8,80,46,929 लोगों को काम दिया गया था।
मनरेगा करोड़ों मजदूरों को हर साल रोजगार दे रहा है। योजना के अंतर्गत सात से से 15 दिन के अंदर भुगतान करने का प्रावधान है। भुगतान में देरी हुई तो मुआवजा भी दिया जाता है। इसके लिए ग्राम सभा और पंचायत खुद तय करेंगी कि कौन से काम किये जाने हैं ? उनसे क्या लाभ होगा ?
ग्राम सभा और पंचायते हीं कार्यों को सोशल ऑडिट करने के लिए अधिकृत हैं। सीएसई की ‘स्टेट आफ इंडियाज़ इनवायरमेंट रिपोर्ट 2020’ के अनसार वर्ष 2014-14 में लगभग 93 प्रतिशत हाउसहोल्ड को रोजगार दिया गया था, जबकि वर्ष 2014-15 में 89 प्रतिशत, वर्ष 2015-16 में लगभग 90 प्रतिशत, वर्ष 2016-17 में 90 प्रतिशत, वर्ष 2017-18 में 89 प्रतिशत, वर्ष 2018-19 में 90 प्रतिशत, वर्ष 2019-20 में 89 प्रतिशत रोजगार दिया था, लेकिन सौ दिन के रोजगार की गारंटी को पूरा करना हमेशा दूर को कौड़ी ही रहा है।
केंद्रीय ग्रामीण मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2019-20 में काम की डिमांड करने वाले 5,88,31,620 हाउसहोल्ड में से केवल 38,85,965 हाउसहोल्ड को ही सौ दिन का रोजगार मिल पाया था। तो वहीं वर्ष 2018-19 में 5,59,53,8869 हाउसहोल्ड में से 5032142, वर्ष 2017-18 में 5,43,26,162 हाउसहोल्ड में से 27,51,596, वर्ष 2016-17 में 5,41,66,760 हाउसहोल्ड में से 38,09,531, वर्ष 2015-16 में 5,05,19,747 हाउसहोल्ड में से 44,23,020, वर्ष 2014-15 में 4,35,78,375 हाउसहोल्ड में से 23,15,209 और वर्ष 2013-14 में 4,88,99,936 हाउसहोल्ड में से 44,44,866 हाउसहोल्ड को ही सौ दिन का रोजगार मिला था।
वर्ष 2019-20 में मरेगा के अंतर्गत काम की डिमांड करने वाले और सौ दिन का रोजगार पाने वालों की राज्यवार सूची (स्रोत - मनरेगा)
क्र. | राज्य | कुल व्यक्तियों द्वारा काम की मांग | कुल हाउसहोल्ड द्वारा काम की मांग | कुल हाउसहोल्ड जिन्हें 100 दिन का काम मिला |
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1 | नागालैंड़ | 4,30,467 | 3,93,978 | 1 |
2 | आंध्र प्रदेश | 77,56,142 | 45,11,581 | 5,81,431 |
3 | अरुणाचल प्रदेश | 1,91,712 | 1,84,660 | 412 |
4 | असम | 32,20,819 | 21,59,224 | 30,090 |
5 | बिहार | 49,19,968 | 41,88,120 | 20,462 |
6 | छत्तीसगढ़ | 58,95,163 | 29,04,068 | 4,18,192 |
7 | गोवा | 1,798 | 1744 | 0 |
8 | गुजरात | 15,85,975 | 9,41,128 | 13,168 |
9 | हरियाणा | 4,60,085 | 3,09,346 | 4,831 |
10 | हिमाचल प्रदेश | 7,93,068 | 5,80,573 | 61,192 |
11 | जम्मू कश्मीर | 10,93,734 | 7,27,018 | 12,945 |
12 | झारखंड | 21,86,950 | 16,26,157 | 30,989 |
13 | कर्नाटक | 47,60,791 | 24,77,241 | 1,88,764 |
14 | केरल | 18,61,759 | 15,92,407 | 2,51,150 |
15 | मध्य प्रदेश | 77,86,141 | 42,44,256 | 90,665 |
16 | महाराष्ट्र | 32,58,296 | 17,29,444 | 1,24,342 |
17 | मणिपुर | 6,08,272 | 5,47,419 | 857 |
18 | मेघालय | 7,30,125 | 5,12,796 | 1,80,536 |
19 | मिज़ोरम | 2,09,268 | 2,04,099 | 1,57,672 |
20 | ओडिशा | 43,70,361 | 25,77,527 | 1,61,194 |
21 | पुड्डुचेरी | 50,842 | 44,978 | 3 |
22 | पंजाब | 11,69,391 | 9,19,900 | 7,689 |
23 | राजस्थान | 95,66,929 | 62,09,191 | 8,48,726 |
24 | सिक्किम | 73,956 | 62,020 | 3,550 |
25 | तमिलनाडु | 68,70,708 | 58,80,953 | 1,20,722 |
26 | त्रिपुरा | 8,13,715 | 5,78,313 | 55,381 |
27 | उत्तर प्रदेश | 78,57,306 | 62,68,224 | 1,33,130 |
28 | उत्तराखंड | 7,34,557 | 5,47,334 | 21,909 |
29 | पश्चिम बंगाल | 90,97,538 | 59,07,921 | 3,65,962 |
Total: | 8,83,55,836 | 5,88,31,620 | 38,85,965 |
यदि गंभीरता से मनरेगा को देखा जाए, तो हर साल 10 प्रतिशत लोगों को भी 100 दिन का रोजगार नहीं मिल पाता है। ये कहीं न कहीं योजना की विसंगितयों को दर्शाता है। साथ ही न्यूनतन मजूदरी भी काफी कम है। ऐसे में सरकार को इस ओर गंभीरता से सोचने की जरूरत है और इन विसंगतियों को दूर करना होगा।
शेष जल्द -
हिमांशु भट्ट (8057170025)
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