मिनरल वाटर के नाम पर आरओ का पानी

लखनऊ। राजधानी में एक भी मिनरल वाटर के लाइसेंस नहीं हैं और न ही मिनरल वाटर की कोई कम्पनी। इसके बावजूद मिनरल वाटर का गोरखधन्धा जिले में खूब तेजी से फलफूल रहा है। शनिवार को निगोहाँ बाजार स्थित एसकेआई ग्रुप प्रा. लिमिटेड कम्पनी पर एफएसडीए की टीम के छापे के बाद इसका खुलासा हुआ। इसके बाद एफएसडीए की टीम ने कम्पनी के किसलय ब्राण्ड की एक-एक लीटर बोतलों के नमूने भरे हैं। साथ ही नोटिस भी दी कि मिनरल वाटर बताकर आरओ का पानी कैसे बेच रहे हैं। इसके अलावा मोहनलालगंज मऊ की न्यू निशा फेमली रेस्टोरेंट से पनीर के नमूने भरे गए हैं।

निगोहाँ बाजार स्थित एसकेआई ग्रुप के वाटर प्लाण्ट में छापेमारी कर एक लीटर पानी की बोतलों के और मऊ के निशा फेमली रेस्टोरेंट से पनीर के नमूने भरे गए हैं। जिन्हें जाँच के लिए लैब भेजा जाएगा। इस समय पूरे जनपद में कोई भी मिनरल वाटर का प्लाण्ट नहीं है और न ही इसे लाइसेंस जारी किए गए हैं। जनपद में आरओ पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट के लाइसेंस ही जारी किए गए हैं। −जेपी सिंह, डीओ एफएसडीएबताते चलें कि इस समय पूरे जनपद में कहीं भी मिनरल वाटर के कोई भी प्लाण्ट नहीं हैं और न ही एफएसडीए से मिनरल वाटर के कोई लाइसेंस बनाकर जारी किए गए हैं। जो लाइसेंस जारी भी किए गए हैं, वो सिर्फ आरओ प्लाण्ट के लिए हैं। लेकिन पानी बेचने वाले कई लोग मिनरल वाटर बताकर और उसके लेबल लगाकर कारोबार कर रहे हैं। मिनरल वाटर के प्लाण्ट सिर्फ उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश में ही हैं। मिनरल वाटर प्राकृतिक पानी से तैयार किया जाता है। जबकि पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर कोई भी व्यक्ति लाइसेंस लेकर बोरिंग करवाकर कुछ तय मानकों के आधार पर तैयार कर बाजार में बेचते हैं। इस समय पूरे जनपद में पैकेज्ड ड्रिकिंग वाटर का व्यवसाय ही फैला हुआ है। एफएसडीए जो लाइसेंस जारी किए गए हैं, वह आरओ पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर के हैं।

4150 ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट, लाइसेंस आधे का भी नहीं


इस समय राजधानी में पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर के 950 ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे हैं और शहरी क्षेत्रों में 3200 पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट हैं। इसमें से आधे ने अभी तक अपने लाइसेंस का रिनीवल तक नहीं कराया है। सूत्र बताते हैं कि यह तो लिखित आँकड़े हैं। अवैध रूप से पूरे जनपद में लगभग दस हजार पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर के ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट चल रहे हैं। घर-घर में ऐसे प्लाण्ट लगाकर पानी माफिया लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

न लैब, न ही केमिस्ट कर रहे कारोबार


एफएसडीए के अधिकारियों के मुताबिक जिले में सैकड़ों अवैध वाटर ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट चल रहे हैं। इनके पास कोई वैध लाइसेंस नहीं है। यहाँ तक कि वाटर टेस्टिंग के लिए न तो लैब है और न ही केमिस्ट। पानी का कोई रिकॉर्ड भी मेनटेन नहीं किया जाता। इन प्लाण्टों पर ब्राण्डेड कम्पनी के रैपर लगी हुई मिनरल वाटर की 20 लीटर के बोतलों में पानी भरा जाता है। दुकानों और घरों में सप्लाई के अलावा पॉलीथिन के पैकेटों में भरकर इनकी सप्लाई की जाती है। न ही किसी के पास बैच नम्बर है और न ही लाइसेंस।

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