फ़सलों को कृत्रिम ढंग से पानी से सींचने को सिंचाई कहते हैं। महोबा जिले की जलवायु मानसूनी होने के कारण वर्षा अनिश्चित है। वर्षा साल भर न होकर केवल जून से सितम्बर तक चार महीने की होती है। अतः हमारे जिले में सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। हमारे जिले में प्रमुख रूप से निम्नांकित सिंचाई के साधन प्रयोग में लाये जाते हैं।
हमारे जिले मे ऊबड़ खाबड़ क्षेत्र होने के कारण गड्ढों में बरसाती पानी भर जाता है। स्थानीय रूप से पानी का प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। महोबा जिले में अनेक झीलें एवं तालाब है जिनसे सिंचाई की जाती है। इनसे नहरें भी निकाली गई हैं।
कुओं द्वारा सिंचाई महोबा जिले में प्राचीनकाल से कुआँ सिंचाई का प्रामुख साधन रहा है। कुएँ से रहट एवं चरसे द्वारा सिंचाई की जाती है। कुछ कुओं मे पम्पिंग सेट भी लागए गए हैं। कुएँ द्वारा अन्य छोटी जगहों मे सिंचाई की जाती है।
नलकूप द्वारा सिंचाई जिले का जल स्तर अत्यधिक नीचा होने के कारण नलकूप सिंचाई के उपयुक्त साधन हैं। सिंचाई की जरूरत पड़ने पर नलकूपों द्वारा तुरंत पानी निकाला जा सकता है।
नहरों द्वारा सिंचाई महोबा में नहरों की लम्बाई 337 किलोमीटर है नहरें भी जिलों की सिंचाई के प्रमुख साधन हैं । नहरें उन क्षेत्रों मे सिंचाई का प्रमुख साधन होती हैं, जहां भूमि समतल हो एवं नदियों में वर्ष भर पानी सुलभ हो।
1. बौछारी सिंचाई जनपद में दलहन तथा तिलहन की सिंचाई इसी विधि द्वारा की जाती है। स्प्रिंकलर (छिड़काव की मशीन) से सिंचाई करने पर पानी की 40 प्रतिश्त तक बचत होती है।
2. सिंचाई क्षमता इस कार्यक्रम के अंतर्गत 366 धरातलीय पम्पसेट, 86 सिंचाई कूप, 6 बोरिंग पम्पसेट लगाकर 851 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचन क्षमता में वृद्धि की गई है।
3. निःशुल्क बोरिंग इस कार्यक्रम के अंतर्गत 15 सामान्य कृषिकों एवं 43 अनुसूचित जाति के कृषिकों की बोरिंग कराकर पम्पसेट लगाए जा रहे हैं।
4. इनवैल रिंग बोरिंग इनवैल रिंग मशीनों द्वारा जनवरी 97 तक कुल 23 बोरिंग की गई।
5. गहरी बोरिंग जनवरी 97 तक सात बोरिंग की गई जिसमें से चार सफल हुई।
6. ब्लास्टिंग द्वारा कुओं को गहरा करना जनपद मे वर्तमान समय में कुल दो ब्लास्टिंग मशीनें उपलब्ध हैं। जनवरी 98 तक कुल 405 होल किए गए।
7. डी.आर.डी.ए. के डिपाजिट निर्माण कार्य इस योजना के अंतर्गत 5 चेकडैम एवं 5 तालाबों का निर्माण किया गया जिनसे कुल 363 हेक्टेयर क्षेत्र को लाभ पहुँचा। सिंचाई की नई नीति के अनुसार छोटी योजनाओं पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि इसमें लागत कम व लाभ ज्यादा है। इन्हें बनाने के लिए विदेशी मुद्रा की आवश्यकता नहीं पड़ती। इनकी देखभाल व्यक्तिगत स्तर पर अच्छी तरह होती है। इन योजनाओं की क्षमता का वास्तविक उपयोग भी अधिक होता है।
झीलों एवं तालाबों से सिंचाई
हमारे जिले मे ऊबड़ खाबड़ क्षेत्र होने के कारण गड्ढों में बरसाती पानी भर जाता है। स्थानीय रूप से पानी का प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। महोबा जिले में अनेक झीलें एवं तालाब है जिनसे सिंचाई की जाती है। इनसे नहरें भी निकाली गई हैं।
कुओं द्वारा सिंचाई महोबा जिले में प्राचीनकाल से कुआँ सिंचाई का प्रामुख साधन रहा है। कुएँ से रहट एवं चरसे द्वारा सिंचाई की जाती है। कुछ कुओं मे पम्पिंग सेट भी लागए गए हैं। कुएँ द्वारा अन्य छोटी जगहों मे सिंचाई की जाती है।
नलकूप द्वारा सिंचाई जिले का जल स्तर अत्यधिक नीचा होने के कारण नलकूप सिंचाई के उपयुक्त साधन हैं। सिंचाई की जरूरत पड़ने पर नलकूपों द्वारा तुरंत पानी निकाला जा सकता है।
नहरों द्वारा सिंचाई महोबा में नहरों की लम्बाई 337 किलोमीटर है नहरें भी जिलों की सिंचाई के प्रमुख साधन हैं । नहरें उन क्षेत्रों मे सिंचाई का प्रमुख साधन होती हैं, जहां भूमि समतल हो एवं नदियों में वर्ष भर पानी सुलभ हो।
सिंचाई के प्रमुख कार्यक्रम
महोबा जिला पिछड़ा है तथा यहां का अधिकतम क्षेत्र पठारी है। इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए लघु सिंचाई कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न योजनाएँ हैं जिसका विवरण निम्नांकित है।1. बौछारी सिंचाई जनपद में दलहन तथा तिलहन की सिंचाई इसी विधि द्वारा की जाती है। स्प्रिंकलर (छिड़काव की मशीन) से सिंचाई करने पर पानी की 40 प्रतिश्त तक बचत होती है।
2. सिंचाई क्षमता इस कार्यक्रम के अंतर्गत 366 धरातलीय पम्पसेट, 86 सिंचाई कूप, 6 बोरिंग पम्पसेट लगाकर 851 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचन क्षमता में वृद्धि की गई है।
3. निःशुल्क बोरिंग इस कार्यक्रम के अंतर्गत 15 सामान्य कृषिकों एवं 43 अनुसूचित जाति के कृषिकों की बोरिंग कराकर पम्पसेट लगाए जा रहे हैं।
4. इनवैल रिंग बोरिंग इनवैल रिंग मशीनों द्वारा जनवरी 97 तक कुल 23 बोरिंग की गई।
5. गहरी बोरिंग जनवरी 97 तक सात बोरिंग की गई जिसमें से चार सफल हुई।
6. ब्लास्टिंग द्वारा कुओं को गहरा करना जनपद मे वर्तमान समय में कुल दो ब्लास्टिंग मशीनें उपलब्ध हैं। जनवरी 98 तक कुल 405 होल किए गए।
7. डी.आर.डी.ए. के डिपाजिट निर्माण कार्य इस योजना के अंतर्गत 5 चेकडैम एवं 5 तालाबों का निर्माण किया गया जिनसे कुल 363 हेक्टेयर क्षेत्र को लाभ पहुँचा। सिंचाई की नई नीति के अनुसार छोटी योजनाओं पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि इसमें लागत कम व लाभ ज्यादा है। इन्हें बनाने के लिए विदेशी मुद्रा की आवश्यकता नहीं पड़ती। इनकी देखभाल व्यक्तिगत स्तर पर अच्छी तरह होती है। इन योजनाओं की क्षमता का वास्तविक उपयोग भी अधिक होता है।
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