महिलाओं ने की मिसाल कायम

उत्तरांचल के रूद्रप्रयाग जनपद की सुदूरवर्ती ग्राम पंचायत है - कोदिमा। यहाँ की महिलाओं ने सहकारिता के दम पर बारह वर्षों की कड़ी मेहनत से 6000 फीट की ऊँचाई पर स्थित बंजर व बेकार पड़ी लगभग 50 हेक्टेयर भूमि पर एक घना मिश्रित वन तैयार किया है।सहकारिता पंचायती राज व्यवस्था का मूलमन्त्र है, भारत में पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना के पीछे यही भावना रही है कि पंचायतों के निवासी अपने लिए एक ‘आर्दश स्वराज’ सांस्कृतिक एवं आर्थिक समस्याओं का समाधान स्वयं कर सकें। इसके अतिरिक्त पंचायतों के अधीन उपलब्ध भौतिक संसाधनों का उपयोग स्वयं कर सकें।

भारतीय संविधान के 73वें संविधान संशोधन के माध्यम से पंचयतों में महिलाओं के लिए आरक्षण व्यवस्था कर पंचायतों के अधीन विभागों में न केवल वृद्धि की गई है बल्कि पंचायतों के अधिकारों में भी वृद्धि की गई है। और इसके आशातीत परिणाम भी सामने आए हैं। हालाँकि यह व्यवस्था अभी पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई है। पंचायती राज व्यवथा की अच्छाइयों को अभी व्यापक स्तर पर एक बड़े जन समुदाय तक पहुँचाना बाकी है। लेकिन फिर भी कई ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जिन्होंने एक मिसाल कायम की है।

ऐसी ही एक ग्राम पंचयत है उत्तरांचल के रूद्रप्रयाग जनपद की सुदूरवर्ती ग्राम पंचयत कोदिमा। यहाँ की महिलाओं ने सहकारिता के दम पर बारह वर्षों की कड़ी मेहनत से 6000 फीट की ऊँचाई पर स्थित बंजर व बेकार पड़ी लगभग 50 हेक्टेयर भूमि पर एक घना मिश्रित वन तैयार किया है।

महिलाओं ने की मिसाल कायमग्राम कोदिमा उत्तरांचल में रूद्रप्रयाग जनपद का एक सुदूरवर्ती गाँव है। जनपद मुख्यालय से लगभग 60 कि.मी. दूर है। गाँव की जनसंख्या लगभग 500 है। यहाँ के निवासी अत्यन्त कर्मशील हैं। ग्रामीणों की उद्यमशीलता का ही प्रतिफल है कि लगभग 6000 फीट की ऊँचाई पर बांज, वुराश, काफल, चीड़, अतीस का सुन्दर सघन मिश्रित वन तैयार हो गया है। यहाँ के निवासी इसका श्रेय यहाँ की महिलाओं को देते हैं, गाँव के सामाजिक कार्यकर्ता भरत सिंह बिष्ट कहते हैं कि “महिला शक्ति के बिना यह कार्य असम्भव था।”

इस जंगल को तैयार करने में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका यहाँ के महिला मंगल दल ने की है। महिला मंगल दल की अध्यक्ष श्रीमती सरोजनी देवी बताती हैं कि वर्षों पहले से यह जमीन बेकार पड़ी थी, यहाँ ग्रामीण अपने पशुओं का चरान व चुगान करते थे। इससे हमें कई तरह के नुकसान हो रहे थे।

एक तो जमीन बंजर पड़ी थी, जिसका क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा था, दूसरे ग्रामवासियों के पशु जंगल में अतिक्रमण कर रहे थे तथा हमारे संरक्षित वन में पेड़ों का कटान बढ़ रहा था, इससे गाँव में कई बार विवाद भी हो रहे थे।

फिर महिला मंगल दल, युवक मंगल दल तथा ग्रामवासियों ने मिलकर एक समिति का निर्माण किया, इस समिति में दो पुरुष गजेसिंह नेगी तथा ध्यात सिंह व दो महिलाएँ जानकी देवी एंव विजय लक्ष्मी को सदस्य बनाया गया तथा ग्राम प्रधान को इस समिति का पदेन अध्यक्ष बनाया गया।

इस समिति के निर्माण का मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र में जारी अवैध वृक्षपातन, चरान व चुगान रोकना था। समिति ने मिलकर यह फैसला किया कि इस क्षेत्र में पशुचारण व कटाई नहीं की जाएगी और जो भी ऐसा करते हुए पकड़ा जाएगा उस पर अर्थदण्ड लगया जाएगा।

गाँव के तत्कालीन प्रधान लीलासिंह बिष्ट कहते हैं कि “हमने सोचा भी नहीं था कि यहाँ एक ऐसा घना जंगल विकसित हो जाएगा। प्रारम्भ में हमारा उद्देश्य यहाँ सिर्फ गोचारण तथा घास, लकड़ी, चारे की अनियमित कटाई रोकना था। क्योंकि कभी-कभी एक ही व्यक्ति पूरी घास काट लेता था और ग्रामीणों को कुछ नहीं मिलता था और गाँव में विवाद हो जाता था। फिर हमने समिति के सहयोग से एक नियम बनाया कि प्रत्येक पाँच वर्षों में इस जंगल की छँटाई सम्पूर्ण ग्रामवासियों द्वारा समिति की देख-रेख में किया जाएगा तथा इस क्षेत्र में चरान व चुगान पर पूर्णरूप से प्रतिबन्ध लगा दिया गया, इसके अच्छे अरिणाम निकलते गए और परिणाम आपके सामने है।”

अपनी इस उपलब्धि से उत्साहित समिति की सदस्य श्रीमती जानकी देवी एवं विजय लक्ष्मी देवी कहती हैं कि इस नए जंगल के वन से हमें काफी फायदा पहुँचा है। जंगली जानवर अब इसी जंगल तक सीमित रह कर, हमारी खेती को नुकसान नहीं पहुँचा पाते है और एक निश्चित समय पर छँटाई से हमें यहाँ से चारा, जलावन की लकड़ी भी प्राप्त होती रहती है, तथा इससे समय की बचत होती है, जिसका उपयोग हम बच्चों की शिक्षा तथा घरेलू कार्यों में करते है।

गाँव की पहली महिला प्रधान (वर्तमान) श्रीमती रुक्मणी देवी जंगल की प्रगति पर काफी उत्साहित हैं, वे कहती है कि “यह जंगल हम ग्रामवासियों की बारह वर्षों की कड़ी मेहनत का नतीजा है और इसका पूरा श्रेय यहाँ के महिला मंगल दल को जाता है।” कोदिमा ग्रामवासियों के समर्पण व लगन को देखकर वन विभाग ने वहाँ पर संयुक्त वन प्रबन्धन परियोजना के अन्तर्गत 15 लाख की तीन वर्षीय येाजना प्रारम्भ की है। इसके अन्तर्गत अब तक कुल 35 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण, गाइडवाल तथा चैक डैम बनाने का कार्य पूर्ण हो चुका है।

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