महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act, 2005)

(2005 का अधिनियम संख्यांक 42)


05 सितम्बर, 2005


देश के ग्रामीण क्षेत्रों में गृहस्थियों की आजीविका की सुरक्षा को, प्रत्येक गृहस्थी को, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिये स्वेच्छा से आगे आते हैं, प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम सौ दिनों का गारंटीकृत मजदूरी नियोजन उपलब्ध कराकर, वर्धित करने तथा उससे संसक्त या उसके आनुषंगिक विषयों का उपबन्ध करने के लिये अधिनियम

भारत गणराज्य के छप्पनवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में अधिनियमित होः-

अध्याय 1


प्रारम्भिक


1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ


(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम 1(महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) 2005 है।
(2) इसका विस्तार2*** सम्पूर्ण भारत पर है।
(3) यह उस तारीख 3-4 को प्रवृत्त होगा जिसे केन्द्रीय सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियत करे; और विभिन्न राज्यों या किसी राज्य में विभिन्न क्षेत्रों के लिये विभिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी तथा ऐसे किसी उपबन्ध में, इस अधिनियम के प्रारम्भ के प्रति किसी निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह, यथास्थिति, ऐसे राज्य या ऐसे क्षेत्र में उस उपबन्ध के प्रवृत्त होने के प्रति निर्देश हैः

परन्तु यह अधिनियम उस सम्पूर्ण राज्यक्षेत्र, को जिस पर इसका विस्तार है, इस अधिनियम के अधिनियमन की तारीख से पाँच वर्ष की कालावधि के भीतर लागू होगा।

2. परिभाषाएँ


इस अधिनियम में जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-

(क) ‘वयस्क’ से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसने अठारह वर्ष की आयु पूरी कर ली है;
(ख) ‘आवेदक’ से किसी गृहस्थी का प्रमुख या उसके अन्य वयस्क सदस्यों में से कोई अभिप्रेत है,जिसने स्कीम के अधीन नियोजन के लिये आवेदन किया है;
(ग) ‘ब्लाक’ से किसी जिले के भीतर कोई सामुदायिक विकास क्षेत्रों अभिप्रेत है, जिसमें ग्राम पंचायतों का एक समूह है;
(घ) ‘केन्द्रीय परिषद’ से धारा 10 की उपधारा (1) के अधीन गठित केन्द्रीय नियोजन गारंटी परिषद अभिप्रेत है;
(ङ) ‘‘जिला कार्यक्रम समन्वयक’’ से किसी जिले में स्कीम के कार्यान्वयन के लिये धारा 14 की उपधारा (1) के अधीन उस रूप में पदाभिहित राज्य सरकार का कोई अधिकारी अभिप्रेत है;(च) ‘गृहस्थी’ से किसी कुटुम्ब के सदस्य अभिप्रेत हैं, जो एक दूसरे से रक्त, विवाह या दत्तकग्रहण द्वारा सम्बन्धित हैं और सामान्यतः एक साथ निवास करते हैं तथा सम्मिलित रूप से भोजन करते हैं या एक सामान्य राशन कार्ड रखते हैं;
(छ) ‘‘कार्यान्वयन अभिकरण’’में केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार का कोई विभाग, कोई जिला परिषद, मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत, पंचायत समिति, ग्राम पंचायत या कोई स्थानीय प्राधिकरण या सरकारी उपक्रम या गैर सरकारी संगठन, जिसे किसी स्कीम के अधीन किये जाने वाले किसी कार्य का कार्यान्वयन करने के लिये केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वसरा प्राधिकृत किया गया है, सम्मिलित हैं;
(ज) किसी क्षेत्र के सम्बन्ध में ‘न्यूनतम मजदूरी’ से कृषि श्रमिकों के लिये न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 (1948 का 11) की धारा 3 के अधीन राज्य सरकार द्वारा नियत न्यूनतम मजदूरी अभिप्रेत है, जो उस क्षेत्रों में लागू है;
(झ) ‘राष्ट्रीय निधि’ से धारा 20 की उपधारा (1) के अधीन स्थापित राष्ट्रीय नियोजन गारंटी निधि अभिप्रेत है;
(ञ) ‘अधिसूचना’ से राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना अभिप्रेत है;
(ट) ‘अधिमानित कार्य’ से कोई ऐसा कार्य अभिप्रेत है जिसे किसी स्कीम के अधीन पूर्विकता के आधार पर कार्यान्वयन के लिये किया जाता है;
(ठ) ‘विहित’ से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;
(ड) ‘कार्यक्रम अधिकारी’ से स्कीम को कार्यान्वित करने के लिये धारा 15 की उपधारा (1) के अधीन नियुक्त कोई अधिकारी अभिप्रेत है;
(ढ) ‘परियोजना’ से आवेदकों को नियोजन उपलब्ध कराने के प्रयोजन के लिये किसी स्कीम के अधीन किया जाने वाला कोई कार्य अभिप्रेत है;
(ण) ‘ग्रामीण क्षेत्र’से तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन स्थापित या गठित किसी शहरी स्थानीय निकाय या किसी छावनी बोर्ड के अन्तर्गत आने वाले क्षेत्रों के सिवाय किसी राज्य में कोई क्षेत्र अभिप्रेत है;
(त) ‘स्कीम’ से धारा 4 की उपधारा (1) के अधीन राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित कोई स्कीम अभिप्रेत है;
(थ) ‘राज्य परिषद’ से धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन गठित राज्य नियोजन गारंटी परिषद अभिप्रेत है;
(द) ‘अकुशल शारीरिक कार्य’ से कोई भौतिक कार्य अभिप्रेत है जिसे कोई वयस्क व्यक्ति किसी कौशल या विशेष प्रशिक्षण के बिना करने में समर्थ है;
(ध) ‘मजदूरी दर’ से धारा 6 में निर्दिष्ट मजदूरी दर अभिप्रेत है।

अध्याय 2


ग्रामीण क्षेत्र में नियोजन की गारंटी


3. निर्धन गृहस्थियों को ग्रामीण नियोजन की गारंटी


(1) यथा अन्यथा उपबन्धित के सिवाय, राज्य सरकार में ऐसे ग्रामीण क्षेत्र में जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाये, प्रत्येक गृहस्थी को, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिये स्वेच्छा से आगे आते हैं, इस अधिनियम के अधीन बनाई गई स्कीम के अनुसार किसी वित्तीय वर्ष में सौ दिनों से अन्यून के लिये ऐसा कार्य उपलब्ध कराएगी।

(2) प्रत्येक व्यक्ति जिसने स्कीम के अधीन उसे दिया गया कार्य किया है, प्रत्येक कार्य दिवस के लिये मजदूरी की दर से मजदूरी प्राप्त करने का हकदार होगा।

(3) इस अधिनियम में अन्यथा उपबन्धित के सिवाय दैनिक मजदूरी का संंवितरण साप्ताहिक आधार पर या किसी भी दशा में उस तारीख के पश्चात जिसको ऐसा कार्य किया गया था पन्द्रह दिन के अपश्चात किया जाएगा।

(4) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार, अपनी आर्थिक क्षमता और विकास की सीमाओं के भीतर, किसी स्कीम के अधीन किसी गृहस्थी के प्रत्येक वयस्क सदस्य के लिये उपधारा (1) के अधीन गारंटीकृत अवधि के परे किसी अवधि के लिये, जो समीचीन हो, कार्य सुनिश्चित करने के लिये उपबन्ध कर सकेगी।

अध्याय 3


नियोजन गारंटी स्कीमें और बेकारी भत्ता


4. ग्रामीण क्षेत्रों के लिये नियोजन गारंटी स्कीमें


(1) धारा 3 के उपबन्धों को प्रभावी बनाने के प्रयोजनों के लिये, प्रत्येक राज्य सरकार इस अधिनियम के प्रारम्भ की तारीख से छह मास के भीतर, स्कीम के अन्तर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक गृहस्थी को जिसके वयस्क सदस्य इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन और स्कीम में अधिकथित शर्तों के अधीन रहते हुए अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिये स्वेच्छा से आगे आते हैं, किसी वित्तीय वर्ष में सौ दिनों से अन्यून का गारंटीकृत नियोजन उपलब्ध कराने के लिये अधिसूचना द्वारा एक स्कीम बनाएगीः

परन्तु यह कि राज्य सरकार द्वारा किसी ऐसी स्कीम को अधिसूचित किये जाने तक सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के लिये वार्षिक कार्रवाई योजना या भावी योजना या राष्ट्रीय काम के लिये अनाज कार्य कार्यक्रम, जो ऐसी अधिसूचना से ठीक पूर्व सम्बन्धित क्षेत्र में प्रवृत्त हैै, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये स्कीम हेतु कार्रवाई योजना समझा जाएगा।

(2) राज्य सरकार, कम-से-कम दो स्थानीय समाचार पत्रों में, जिनमें से एक ऐसे क्षेत्र या क्षेत्रों में जिसको ऐसी स्कीम लागू होगी, परिचालित जन भाषा में होगा, उसके द्वारा बनाई गई स्कीम का सार प्रकाशित करेगी।

(3) उपधारा (1) के अधीन बनाई गई स्कीम अनुसूची 1 में विनिर्दिष्ट न्यूनतम बातों के लिये उपबन्ध करेगी।

5. गारंटीकृत नियोजन उपलब्ध कराने के लिये शर्तें


(1) राज्य सरकार, अनुसूची 2 में विनिर्दिष्ट शर्तों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, इस अधिनियम के अधीन गारंटीकृत नियोजन उपलब्ध कराने के लिये स्कीम में शर्तें विनिर्दिष्ट कर सकेंगी।

(2) इस अधिनियम के अधीन बनाई गई किसी स्कीम के अधीन नियोजित व्यक्ति ऐसी सुविधाओं का हकदार होगा जो अनुसूची 2 में विनिर्दिष्ट न्यूनतम सुविधाओं से कम नहीं हैं।

6. मजदूरी दर


(1) न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 (1948 का 11) में किसी बात के होते हुए भी, केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये, अधिसूचना द्वारा, मजदूरी दर विनिर्दिष्ट कर सकेगीः

परन्तु यह कि विभिन्न क्षेत्रों के लिये मजदूरी की भिन्न-भिन्न दरें विनिर्दिष्ट की जा सकेंगीः

परन्तु यह और कि किसी ऐसी अधिसूचना के अधीन समय-समय पर विनिर्दिष्ट मजदूरी दर साठ रुपए प्रतिदिन से कम की दर पर नहीं होगी।

(2) किसी राज्य में किसी क्षेत्र के सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार द्वारा कोई मजदूरी दर नियत किये जाने के समय तक, कृषि श्रमिकों के लिये न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 (1948 का 11) की धारा 3 के अधीन राज्य सरकार द्वारा नियत न्यूनतम मजदूरी उस क्षेत्र को लागू मजदूरी दर समझी जाएगी।

7. बेकारी भत्ते का सन्दाय


(1) यदि स्कीम के अधीन नियोजन के लिये किसी आवेदक को, नियोजन चाहने वाले उसके आवेदन की प्राप्ति के या उस तारीख से जिसको किसी अग्रिम आवेदन की दशा में नियोजन चाहा गया है, इनमें से जो भी पश्चातवर्ती हो, पन्द्रह दिन के भीतर ऐसा नियोजन उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो वह इस धारा के अनुसार एक दैनिक बेकारी भत्ते का हकदार होगा।

(2) पात्रता के ऐसे निबन्धनों और शर्तों के अधीन रहते हुए, जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाएँ तथा इस अधिनियम और स्कीमों और राज्य सरकार की आर्थिक क्षमता के अधीन रहते हुए, उपधारा (1) के अधीन सन्देय बेकारी भत्ता किसी गृहस्थी के आवेदकों को गृहस्थी की हकदारी के अधीन रहते हुए, ऐसी दर से जो राज्य परिषद के परामर्श से, अधिसूचना द्वारा, राज्य सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट की जाये, सन्दत्त किया जाएगाः

परन्तु यह कि कोई ऐसी दर वित्तीय वर्ष के दौरान पहले तीस दिनों के लिये मजदूरी दर के एक चौथाई से कम नहीं होगी और वित्तीय वर्ष की शेष अवधि के लिये मजदूरी दर के एक बटा दो से अन्यून नहीं होगी।

(3) किसी वित्तीय वर्ष के दौरान किसी गृहस्थी को बेकारी भत्ते का सन्दाय करने का राज्य सरकार का दायित्व समाप्त हो जाएगा जैसे ही-

(क) आवेदक को, ग्राम पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी द्वारा या तो स्वयं कार्य के लिये रिपोर्ट करने या उसकी गृहस्थी के कम-से-कम एक वयस्क सदस्य को तैनात करने के लिये निदेशित किया जाता है; या
(ख) वह अवधि जिसके लिये नियोजन चाहा गया है, समाप्त हो जाती है और आवेदक की गृहस्थी का कोई सदस्य नियोजन के लिये नहीं आता है; या
(ग) आवेदक की गृहस्थी के वयस्क सदस्यों ने उस वित्तीय वर्ष के भीतर कुल मिलाकर कम-से-कम सौ दिनों का कार्य प्राप्त कर लिया है; या
(घ) आवेदक की गृहस्थी ने मजदूरी और बेकारी भत्ता, दोनों को मिलाकर उतना उपार्जित कर लिया है, जो वित्तीय वर्ष के दौरान कार्य के सौ दिनों की मजदूरी के बराबर है।

(4) गृहस्थी के किसी आवेदक को संयुक्त रूप से सन्देय बेकारी भत्ता कार्यक्रम अधिकारी या ऐसे स्थानीय प्राधिकारी द्वारा (जिसके अन्तर्गत जिला मध्यवर्ती या ग्राम स्तर की पंचायत है), जिसे राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत करे, मंजूर और संंवितरित किया जाएगा।

(5) उपधारा (1) के अधीन बेकारी भत्ते का प्रत्येक सन्दाय, उस तारीख से जिसको वह सन्दाय के लिये शोध्य हो जाता है, पन्द्रह दिन के अपश्चात किया जाएगा या प्रस्तावित किया जाएगा।

(6) राज्य सरकार, इस अधिनियम के अधीन बेकारी भत्ते के सन्दाय के लिये प्रक्रिया विहित कर सकेगी।

8. कतिपय परिस्थितियों में बेकारी भत्ते का संवितरण न करना


(1) यदि कार्यक्रम अधिकारी, अपने नियंत्रण के परे किसी कारण से बेकारी भत्ते का समय पर या बिल्कुल संंवितरण करने की स्थिति में नहीं है, तो वह जिला कार्यक्रम समन्वयक को मामले की रिपोर्ट करेगा और अपने सूचना पट्ट पर और ग्राम पंचायत के सूचना पट्ट पर तथा ऐसे अन्य सहज दृश्य स्थानों पर जो वह आवश्यक समझे, सम्प्रदर्शित की जाने वाली किसी सूचना में ऐसे कारणों की घोषणा करेगा।

(2) बेकारी भत्ते का सन्दाय न करने या विलम्ब से सन्दाय के प्रत्येक मामले की जिला कार्यक्रम समन्वयक द्वारा राज्य सरकार को प्रस्तुत की गई वार्षिक रिपोर्ट में, ऐसे सन्दाय न करने या विलम्ब से सन्दाय के कारणों सहित, रिपोर्ट की जाएगी।

(3) राज्य सरकार, उपधारा (1) के अधीन रिपोर्ट किये गए बेकारी भत्ते का सम्बन्धित गृहस्थी को यथासम्भव शीघ्रता से सन्दाय करने के सभी उपाय करेगी।

9. कतिपय परिस्थितियों में बेकारी भत्ता प्राप्त करने के हक से वंंचित रहना


कोई आवेदक जो-

(क) किसी स्कीम के अधीन अपनी गृहस्थी को उपलब्ध नियोजन स्वीकार नहीं करता है; या
(ख) कार्य के लिये रिपोर्ट करने के लिये कार्यक्रम अधिकारी या कार्यान्वयन अभिकरण द्वारा अधिसूचित किये जाने के पन्द्रह दिन के भीतर कार्य के लिये रिपोर्ट नहीं करता है; या
(ग) सम्बन्धित कार्यान्वयन अभिकरण से कोई अनुज्ञा प्राप्त किये बिना एक सप्ताह से अधिक की अवधि के लिये कार्य से लगातार अनुपस्थित रहता है या किसी मास में एक सप्ताह से अधिक की कुल अवधि के लिये अनुपस्थित रहता है, तो वह तीन मास की अवधि के लिये इस अधिनियम के अधीन सन्देय बेकारी भत्ते का दावा करने का हकदार नहीं होगा किन्तु किसी भी समय स्कीम के अधीन नियोजन चाहने का हकदार होगा।

अध्याय 4


कार्यान्वित और मानीटर करने वाले प्राधिकारी


10. केन्द्रीय रोजगार गारंटी परिषद


(1) ऐसी तारीख से, जिसे केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे, केन्द्रीय रोजगार गारंटी परिषद के नाम से एक परिषद इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन उसे समनुदेशित कृत्यों और कर्तव्यों का पालन करने के लिये गठित की जाएगी।
(2) केन्द्रीय परिषद का मुख्यालय दिल्ली में होगा।
(3) केन्द्रीय परिषद निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनेगी, जिन्हें केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा, अर्थातः-

(क) अध्यक्ष;
(ख) केन्द्रीय मंत्रालयों के, जिनके अन्तर्गत योजना आयोग भी है, भारत सरकार के संयुक्त सचिव से अन्यून की पंक्ति के उतनी संख्या से अनधिक में, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अवधारित की जाये, प्रतिनिधि;
(ग) राज्य सरकारों के उतनी संख्या से अनधिक में, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अवधारित की जाये, प्रतिनिधि;
(घ) पंचायती राज्य संस्थाओं, कर्मकार संगठनों और असुविधाग्रस्त समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले पन्द्रह से अनधिक गैर सरकारी सदस्य;

परन्तु यह कि ऐसे गैर सरकारी सदस्यों, में केन्द्रीय सरकार द्वारा एक समय में एक वर्ष की अवधि के लिये चक्रानुक्रम से नाम-निर्देशित जिला पंचायतों के दो अध्यक्ष सम्मिलित होंगेः

परन्तु यह और कि इस खण्ड के अधीन नाम-निर्देशित एक तिहाई से अन्यून गैर सरकारी सदस्य महिलाएँ होंगीः

परन्तु यह भी कि गैर सरकारी सदस्यों के एक तिहाई से अन्यून सदस्य अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों के होंगे;

(ङ) राज्यों के उतनी संख्या में प्रतिनिधि होंगे, जो केन्द्रीय सरकार इस निमित्त नियमों द्वारा अवधारित करे;
(च) भारत सरकार के संयुक्त सचिव की पंक्ति से अन्यून की पंक्ति का एक सदस्य सचिव।

(4) वे निबन्धन और शर्तें जिनके अधीन रहते हुए, केन्द्रीय परिषद का अध्यक्ष और अन्य सदस्य नियुक्त किये जा सकेंगे तथा केन्द्रीय परिषद की बैठकों का समय, स्थान और प्रक्रिया (जिसके अन्तर्गत ऐसी बैठकों में गणपूर्ति भी है) वह होगी जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाये।

11. केन्द्रीय परिषद के कृत्य और कर्तव्य


(1) केन्द्रीय परिषद निम्नलिखित कृत्यों और कर्तव्यों का पालन और निर्वहन करेगी, अर्थात-

(क) केन्द्रीय मूल्यांकन और मॉनीटरी प्रणाली स्थापित करना;
(ख) इस अधिनियम के कार्यान्वयन से सम्बन्धित सभी विषयों पर केन्द्रीय सरकार को सलाह देना;
(ग) समय-समय पर मॉनीटरी और प्रतितोष तंत्र का पुनर्विलोकन करना तथा अपेक्षित सुधारों की सिफारिश करना;
(घ) इस अधिनियम के अधीन बनाई गई स्कीमों के सम्बन्ध में जानकारी के विस्तृत सम्भव प्रसार का संवर्धन करना;
(ङ) इस अधिनियम के कार्यान्वयन को मॉनीटर करना;
(च) इस अधिनियम के कार्यान्वयन पर केन्द्रीय सरकार द्वारा संसद के समक्ष रखे जाने के लिये वार्षिक रिपोर्टें तैयार करना;
(छ) कोई अन्य कर्तव्य और कृत्य, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा समनुदेशित किये जाएँ।

(2) केन्द्रीय परिषद को इस अधिनियम के अधीन बनाई गई विभिन्न स्कीमों का मूल्यांकन करने की शक्ति होगी और उस प्रयोजन के लिये ग्रामीण अर्थव्यवस्था और स्कीमों के कार्यान्वयन से सम्बन्धित आँकड़े संगृहीत करेगी या संगृहीत कराएगी।

12. राज्य रोजगार गारंटी परिषद


(1) राज्य स्तर पर, इस अधिनियम के कार्यान्वयन का नियमित रूप से मॉनीटर और पुनर्विलोकन करने के प्रयोजनों के लिये प्रत्येक राज्य सरकार ........... (राज्य का नाम) राज्य रोजगार गारंटी परिषद के नाम से एक राज्य परिषद का गठन करेगी जिसमें एक अध्यक्ष और उतनी संख्या में गैर सरकारी सदस्य, जो राज्य सरकार द्वारा अवधारित किये जाएँ तथा राज्य सरकार द्वारा पंचायती राज संस्थाओं, कर्मकार संगठनों और असुविधाग्रस्त समूहों से नाम-निर्दिष्ट पन्द्रह से अनधिक गैर सरकारी सदस्य होंगेः

परन्तु इस खण्ड के अधीन नाम-निर्देशित गैर सरकारी सदस्यों के एक तिहाई से अन्यून सदस्य महिलाएँ होंगीः

परन्तु यह और कि गैर सरकारी सदस्यों के एक तिहाई से अन्यून सदस्य अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों के होंगे।

(2) वे निबन्धन और शर्तें जिनके अधीन रहते हुए राज्य परिषद का अध्यक्ष और सदस्य नियुक्त किये जा सकेंगे तथा राज्य परिषद की बैठकों का समय, स्थान और प्रक्रिया (जिनके अन्तर्गत ऐसी बैठकों में गणपूर्ति भी है) वह होगी जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाये।

(3) राज्य परिषद के कर्तव्यों और कृत्यों में निम्नलिखित सम्मिलित होंगेः

(क) स्कीम और राज्य में उसके कार्यान्वयन से सम्बन्धित सभी विषयों पर राज्य सरकार को सलाह देना;
(ख) अधिमानित कार्यों का अवधारण करना;
(ग) समय-समय पर मॉनीटरी और प्रतितोष तंत्र का पुनर्विलोकन करना तथा अपेक्षित सुधारों की सिफारिश करना;
(घ) इस अधिनियम और इसके अधीन स्कीमों के सम्बन्ध में जानकारी के विस्तृत सम्भव प्रसार का समर्थन करना;
(ङ) राज्य में इस अधिनियम और स्कीमों के कार्यान्वयन को मॉनीटर करना तथा ऐसे कार्यान्वयन का केन्द्रीय परिषद के साथ समन्वय करना;
(च) राज्य सरकार द्वारा राज्य विधान मण्डल के समक्ष रखी जाने वाली वार्षिक रिपोर्टें तैयार करना;
(छ) कोई अन्य कर्तव्य और कृत्य जो उसे केन्द्रीय परिषद और राज्य सरकार द्वारा समनुदेशित किया जाये।

(4) राज्य परिषद को, राज्य में प्रचलित स्कीमों का मूल्यांकन करने तथा उस प्रयोजन के लिये ग्रामीण अर्थव्यवस्था और स्कीमों तथा कार्यक्रमों के कार्यान्वयन से सम्बन्धित आँकड़े संगृहीत करवाने की शक्ति होगी।

13. स्कीमों की योजना और कार्यान्वयन के लिये प्रधान प्राधिकारी


(1) इस अधिनियम के अधीन बनाई गई स्कीमों की योजना और कार्यान्वयन के लिये जिला, मध्यवर्ती और ग्राम स्तरों पर पंचायतें, प्रधान प्राधिकारी होंगी।

(2) जिला स्तर पर पंचायतों के निम्नलिखित कृत्य होंगे-

(क) स्कीम के अधीन किसी कार्यक्रम के अन्तर्गत कार्यान्वित की जाने वाली परियोजनाओं के ब्लाक अनुसार शेल्फ को अन्तिम रूप देना और उसका अनुमोदन करना;
(ख) ब्लाक स्तर और जिला स्तर पर कार्यान्वित की जाने वाली परियोजनाओं का पर्यवेक्षण और उन्हें मॉनीटर करना; और
(ग) ऐसे अन्य कृत्य करना, जो राज्य परिषद द्वारा समय-समय पर उसे समनुदेशित किये जाएँ।

(3) मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत के निम्नलिखित कृत्य होंगे-

(क) अन्तिम अनुमोदन के लिये जिला स्तर पर जिला पंचायत को भेजने के लिये ब्लाक योजना का अनुमोदन करना;
(ख) ग्राम पंचायत स्तर और ब्लाक स्तर पर कार्यान्वित की जाने वाली परियोजनाओं का पर्यवेक्षण और उन्हें मॉनीटर करना; और
(ग) ऐसे अन्य कृत्य करना, जो राज्य परिषद द्वारा समय-समय पर उसे समनुदेशित किये जाएँ।

(4) जिला कार्यक्रम समन्वयक, इस अधिनियम और उसके अधीन बनाई गई किसी स्कीम के अधीन उसके कृत्यों का निर्वहन करने में पंचायत की सहायता करेगा।

14. जिला कार्यक्रम समन्वयक


(1) जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालक अधिकारी या जिले के कलक्टर या समुचित पंक्ति के किसी अन्य जिला स्तर के अधिकारी को, जिसका राज्य सरकार विनिश्चय करे, जिले में स्कीम के कार्यान्वयन के लिये जिला कार्यक्रम समन्यवयक के रूप में पदाभिहित किया जाएगा।

(2) जिला कार्यक्रम समन्वयक, इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबन्धों के अनुसार जिले में स्कीम के कार्यान्वयन के लिये उत्तरदायी होगा।

(3) जिला कार्यक्रम समन्वयक के निम्नलिखित कृत्य होंगे-

(क) इस अधिनियम और उसके अधीन बनाई गई किसी स्कीम के अधीन उसके कृत्यों के निर्वहन में जिला पंचायत की सहायता करना;
(ख) ब्लाक द्वारा तैयार की गई योजनाओं और जिला स्तर पर पंचायत द्वारा अनुमोदित की जाने वाली परियोजनाओं के शेल्फ में सम्मिलित करने के लिये अन्य कार्यान्वयन अभिकरणों से प्राप्त परियोजना प्रस्तावों का समेकन करना;
(ग) आवश्यक मंजूरी और प्रशासनिक अनापत्ति, जहाँ कहीं आवश्यक हो, प्रदान करना।
(घ) यह सुनिश्चित करने के लिये कि आवेदकों को इस अधिनियम के अधीन उनकी हकदारी के अनुसार नियोजन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, अपनी अधिकारिता के भीतर कृत्य कर रहे कार्यक्रम अधिकारियों और कार्यान्वयन अभिकरणों के साथ समन्वय करना;
(ङ) कार्यक्रम अधिकारियों के कार्यपालन का पुनर्विलोकन, मॉनीटर और पर्यवेक्षण करना;
(च) चल रहे कार्य का नियतकालिक निरीक्षण करना; और
(छ) आवेदकों की शिकायतों को दूर करना।

(4) राज्य सरकार, ऐसी प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों का जिला कार्यक्रम समन्वयक को प्रत्यायोजन करेगी जो इस अधिनियम के अधीन उसके कृत्यों को कार्यान्वित करने हेतु उसे समर्थ बनाने के लिये अपेक्षित हों।

(5) धारा 15 की उपधारा (1) के अधीन नियुक्त कार्यक्रम अधिकारी और जिले के भीतर कृत्य कर रहे राज्य सरकार, स्थानीय प्राधिकरणों तथा निकायों के सभी अन्य अधिकारी, इस अधिनियम तथा तद्धीन बनाई गई स्कीमों के अधीन उसके कृत्यों को कार्यान्वित करने में जिला कार्यक्रम समन्वयक की सहायता करने के लिये उत्तरदायी होंगे।

(6) जिला कार्यक्रम समन्वयक, आगामी वित्तीय वर्ष के लिये श्रम बजट प्रत्येक वर्ष के दिसम्बर मास में तैयार करेगा जिसमें जिले में अकुशल शारीरिक कार्य के लिये पूर्वानुमानित माँग और स्कीम के अन्तर्गत आने वाले कार्यों में श्रमिकों को लगाने की योजना के ब्यौरे होंगे और उसे जिला पंचायत की स्थायी समिति को प्रस्तुत करेगा।

15. कार्यक्रम अधिकारी


(1) मध्यवर्ती स्तर पर प्रत्येक पंचायत के लिये, राज्य सरकार किसी व्यक्ति को, जो ब्लाक विकास अधिकारी से नीचे की पंक्ति का न हो, ऐसी अर्हताओं और अनुभव के साथ जैसी कि राज्य सरकार द्वारा अवधारित की जाएँ, मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत के लिये कार्यक्रम अधिकारी के रूप में नियुक्त करेगी।

(2) कार्यक्रम अधिकारी, इस अधिनियम और उसके अधीन बनाई गई किसी स्कीम के अधीन मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत को उसके कृत्यों का निर्वहन करने में सहायता करेगा।

(3) कार्यक्रम अधिकारी अपनी अधिकारिता के अधीन क्षेत्रों में परियोजनाओं से उद्भूत नियोजन अवसरों के साथ नियोजन की माँग का मेल करने के लिये उत्तरदायी होगा।

(4) कार्यक्रम अधिकारी, ग्राम पंचायतों द्वारा तैयार किये गए परियोजना प्रस्तावों और मध्यवर्ती पंचायतों से प्राप्त प्रस्तावों का समेकन करके अपनी अधिकारिता के अधीन ब्लाक के लिये एक योजना तैयार करेगा।

(5) कार्यक्रम अधिकारी के कृत्यों में निम्नलिखित सम्मिलित होंगे-

(क) ब्लाक के भीतर ग्राम पंचायतों और अन्य कार्यान्वयन अभिकरणों द्वारा कार्यान्वित की जाने वाली परियोजनाओं को मॉनीटर करना;
(ख) पात्र गृहस्थियों को बेकारी भत्ता मंजूर करना और उसका सन्दाय सुनिश्चित करना;
(ग) ब्लाक के भीतर स्कीम के किसी कार्यक्रम के अधीन नियोजित सभी श्रमिकों को मजदूरी का तुरन्त और उचित सन्दाय सुनिश्चित करना;
(घ) यह सुनिश्चित करना कि ग्राम सभा द्वारा ग्राम पंचायत की अधिकारिता के भीतर सभी कार्यों की नियमित सामाजिक सम्परीक्षा की जा रही है और यह कि सामाजिक सम्परीक्षा में उठाए गए आक्षेपों पर अनुवर्ती कार्रवाई की जा रही है;
(ङ) सभी शिकायतों को तत्परता से निपटाना जो ब्लाक से भीतर स्कीम के कार्यान्वयन के सम्बन्ध में उत्पन्न हों; और
(च) कोई अन्य कार्य करना जो जिला कार्यक्रम समन्वयक या राज्य सरकार द्वारा उसे समनुदेशित किया जाये।

(6) कार्यक्रम अधिकारी, जिला कार्यक्रम समन्वयक के निदेशन, नियंत्रण और अधीक्षण के अधीन कृत्य करेगा।

(7) राज्य सरकार, आदेश द्वारा निदेश दे सकेगी कि किसी कार्यक्रम अधिकारी के सभी या किन्हीं कृत्यों का ग्राम पंचायत या किसी स्थानीय प्राधिकारी द्वारा निर्वहन किया जाएगा।

16. ग्राम पंचायतों के उत्तरदायित्व


(1) ग्राम पंचायत, ग्रामसभा और वार्ड सभाओं की सिफारिशों के अनुसार किसी स्कीम के अधीन ग्राम पंचायत क्षेत्र में कार्यान्वयन के लिये ली जाने वाली परियोजना की पहचान और ऐसे कार्य के निष्पादन और पर्यवेक्षण के लिये उत्तरदायी होगी।

(2) कोई ग्राम पंचायत, ग्राम पंचायत के क्षेत्र के भीतर किसी स्कीम के अधीन किसी परियोजना को जिसे कार्यक्रम अधिकारी द्वारा मंजूर किया जाये, ले सकेगी।

(3) प्रत्येक ग्राम पंचायत, ग्राम पंचायत और वार्ड सभाओं की सिफारिश पर विचार करने के पश्चात एक विकास योजना तैयार करेगी और स्कीम के अधीन जब कभी कार्य की माँग उत्पन्न होती है, किये जाने वाले सम्भव कार्यों का एक शेल्फ रखेगी।

(4) ग्राम पंचायत, परियोजनाओं के विकास के लिये जिसके अन्तर्गत उस वर्ष के प्रारम्भ से जिसमें इसे निष्पादित किया जाना प्रस्तावित है, की संवीक्षा और प्रारम्भिक पूर्वानुमोदन के लिये कार्यक्रम अधिकारी को विभिन्न कार्यों के बीच अग्रता का क्रम सम्मिलित है, अपने प्रस्तावों को अग्रेषित करेगी।

(5) कार्यक्रम अधिकारी, ग्राम पंचायत के माध्यम से कार्यान्वित की जाने वाली किसी स्कीम के अधीन उसकी लागत के अनुसार कम-से-कम पचास प्रतिशत कार्य को आवंटित करेगा।

(6) कार्यक्रम अधिकारी, प्रत्येक ग्राम पंचायत को निम्नलिखित का प्रदाय करेगा,-

(क) उसके द्वारा निष्पादित किये जाने वाले स्वीकृत कार्य के लिये मस्टर रोल; और
(ख) ग्राम पंचायत के निवासियों को अन्यत्र उपलब्ध नियोजन के अवसरों की एक सूची।

(7) ग्राम पंचायत आवेदकों के बीच नियोजन के अवसरों का आवंटन करेगी तथा कार्य के लिये उनसे रिपोर्ट करने के लिये कहेगी।

(8) किसी स्कीम के अधीन किसी ग्राम पंचायत द्वारा आरम्भ किया गया कार्य अपेक्षित तकनीकी मानकों और मापमानों को पूरा करेगा।

17. ग्रामसभा द्वारा कार्य की सामाजिक सम्परीक्षा


(1) ग्रामसभा, ग्राम पंचायत के भीतर कार्य के निष्पादन को मॉनीटर करेगी।

(2) ग्रामसभा, ग्राम पंचायत के भीतर आरम्भ की गई स्कीम के अधीन सभी परियोजनाओं की नियमित सामाजिक सम्परीक्षा करेगी।

(3) ग्राम पंचायत, सभी सुसंगत दस्तावेज, जिनके अन्तर्गत मस्टर रोल, बिल, वाउचर, माप पुस्तिकाएँ, मंजूरी आदेशों की प्रतियाँ और अन्य सम्बन्धित लेखा बहियाँ और कागजपत्र भी हैं, सामाजिक सम्परीक्षा करने के प्रयोजन के लिये ग्रामसभा को उपलब्ध कराएगी।

18. स्कीम के कार्यान्वयन में राज्य सरकारों के उत्तरदायित्व


राज्य सरकार, जिला कार्यक्रम समन्वयक और कार्यक्रम अधिकारियों को ऐसे अनिवार्य कर्मचारीवृन्द और तकनीकी सहायता, जो स्कीमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये आवश्यक हों, उपलब्ध कराएगी।

19. शिकायत दूर करने हेतु तंत्र


राज्य सरकार स्कीम के कार्यान्वयन की बाबत किसी व्यक्ति द्वारा की गई किसी शिकायत के निपटान के लिये, नियमों द्वारा ब्लाक स्तर और जिला स्तर पर शिकायत दूर करने हेतु समुचित तंत्र अवधारित करेगी और ऐसी शिकायतों के निपटारे के लिये प्रक्रिया अधिकथित करेगी।

अध्याय 5


राष्ट्रीय और राज्य रोजगार गारंटी निधियों की स्थापना और सम्परीक्षा


20. राष्ट्रीय रोजगार गारंटी निधि


(1) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये, अधिसूचना द्वारा, राष्ट्रीय रोजगार गारंटी निधि के नाम से ज्ञात एक निधि स्थापित करेगी।

(2) केन्द्रीय सरकार, संसद द्वारा विधि द्वारा इस निमित्त किये गए सम्यक विनियोग के पश्चात अनुदान या उधार के रूप में ऐसी धनराशि, जिसे केन्द्रीय सरकार राष्ट्रीय निधि के लिये आवश्यक समझे, जमा कर सकेगी।

(3) राष्ट्रीय निधि के खाते में जमा रकम का ऐसी रीति से और ऐसी शर्तों और परिसीमाओं के अधीन रहते हुए, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाएँ, उपयोग किया जाएगा।

21. राज्य रोजगार गारंटी निधि


(1) राज्य सरकार, स्कीम के कार्यान्वयन के प्रयोजनों के लिये, अधिसूचना द्वारा, राज्य रोजगार गारंटी निधि के नाम से ज्ञात एक निधि स्थापित करेगी।

(2) राज्य निधि के खाते में जमा रकम, ऐसी रीति से और ऐसी शर्तों और परिसीमाओं के अधीन रहते हुए, जो इस अधिनियम और उसके अधीन बनाई गई स्कीमों के कार्यान्वयन के प्रयोजनों के लिये राज्य सरकार द्वारा विहित की जाएँ और इस अधिनियम के कार्यान्वयन के सम्बन्ध में प्रशासनिक खर्चों को पूरा करने के लिये, व्यय की जाएगी।

(3) राज्य निधि, राज्य सरकार की ओर से ऐसी रीति में और ऐसे प्राधिकारी द्वारा, जो राज्य सरकार द्वारा विहित किया जाये, धारित और प्रशासित की जाएगी।

22.वित्त पोषण पैटर्न


(1) ऐसे नियमों के, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त बनाए जाएँ, अधीन रहते हुए, केन्द्रीय सरकार निम्नलिखित की लागत को पूरा करेगी, अर्थातः-

(क) स्कीम के अधीन अकुशल शारीरिक कार्य के लिये मजदूरी के सन्दाय के लिये अपेक्षित रकम;
(ख) स्कीम की सामग्री लागत के तीन चौथाई तक रकम, जिसके अन्तर्गत अनुसूची 2 के उपबन्धों के अधीन रहते हुए कुशल और अर्द्धकुशल कर्मकारों को मजदूरी का सन्दाय भी है;
(ग) स्कीम की कुल लागत का ऐसा प्रतिशत, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रशासनिक खर्चों के प्रति अवधारित किया जाये, जिसके अन्तर्गत कार्यक्रम अधिकारियों और उनके सहायक कर्मचारीवृन्द के वेतन और भत्ते, केन्द्रीय परिषद के प्रशासनिक खर्च, अनुसूची 2 के अधीन दी जाने वाली सुविधाएँ और ऐसी अन्य मद भी हैं, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विनिश्चित की जाएँ।

(2) राज्य सरकार निम्नलिखित की लागत को पूरा करेगी, अर्थातः-

(क) स्कीम के अन्तर्गत सन्देय बेकारी भत्ते की लागत;
(ख) स्कीम की सामग्री लागत का एक चौथाई, जिसके अन्तर्गत अनुसूची 2 के अधीन रहते हुए कुशल और अर्द्धकुशल कर्मकारों की मजदूरी का सन्दाय भी है;
(ग) राज्य परिषद के प्रशासनिक खर्च।

23. पारदर्शिता और उत्तरदायित्व


(1) जिला कार्यक्रम समन्वयक और जिले के सभी कार्यान्वयन अभिकरण, किसी स्कीम के कार्यान्वयन के प्रयोजन के लिये उनके व्ययन पर रखी गई निधि के उचित उपयोग और प्रबन्ध के लिये उत्तरदायी होंगे।

(2) राज्य सरकार, इस अधिनियम के उपबन्धों और उसके अधीन बनाई गई स्कीमों के कार्यान्वयन के सम्बन्ध में श्रमिकों के नियोजन और उपगत व्यय की समुचित बहियाँ और लेखा रखने की रीति विहित कर सकेगी।

(3) राज्य सरकार, नियमों द्वारा, स्कीमों और स्कीमों के अधीन कार्यक्रमों के उचित निष्पादन के लिये और स्कीमों के कार्यान्वयन में सभी स्तरों पर पारदर्शिता और दायित्व सुनिश्चित करने के लिये, की जाने वाली व्यवस्थाओं को अवधारित कर सकेगी।

(4) नकद रूप में मजदूरी और बेकारी भत्ते के सभी सन्दाय, सीधे सम्बद्ध व्यक्ति को और पूर्व घोषित तारीखों पर समुदाय के स्वतंत्र व्यक्तियों की उपस्थिति में किये जाएँगे।

(5) यदि ग्राम पंचायत द्वारा किसी स्कीम के कार्यान्वयन से सम्बन्धित कोई विवाद या शिकायत उत्पन्न होती है तो वह मामला कार्यक्रम अधिकारी को निर्देशित किया जाएगा।

(6) कार्यक्रम अधिकारी प्रत्येक शिकायत की उसके द्वारा रखे शिकायत रजिस्टर में प्रविष्टि करेगा और विवादों तथा शिकायतों को उनकी प्राप्ति से सात दिन के भीतर निपटाएगा और यदि वे ऐसे मामले से सम्बन्धित हैं जिसे किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा सुलझाया जाना है तो वह उसे शिकायतकर्ता को सूचना देते हुए, ऐसे प्राधिकारी को अग्रेषित करेगा।

27. लेखाओं की सम्परीक्षा


(1) केन्द्रीय सरकार, भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक के परामर्श से, स्कीमों के लेखाओं की सभी स्तरों पर सम्परीक्षा के लिये समुचित व्यवस्थाएँ विहित कर सकेगी।

(2) स्कीम के लेखा ऐसे प्रारूप में और ऐसी रीति से जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाये रखे जाएँगे।

अध्याय 6


प्रकीर्ण


25. अननुपालन के लिये शास्ति


जो कोई इस अधिनियम के उपबन्धों का उल्लंघन करेगा, वह दोषसिद्धि पर जुर्माने का, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, दायी होगा।

26. प्रत्यायोजित करने की शक्ति


(1) केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा, निदेश दे सकेगी कि उसके द्वारा प्रयोक्तव्य शक्तियाँ (नियम बनाने की शक्ति को छोड़कर) ऐसी परिस्थतियों में तथा ऐसी शर्तों और परिसीमाओं के अधीन रहते हुए, राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार अथवा राज्य सरकार के अधीनस्थ ऐसे अधिकारी द्वारा भी, जिसे वह ऐसी अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे, प्रयोक्तव्य होंगी।

(2) राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा, निदेश दे सकेगी कि उसके द्वारा प्रयोक्तव्य शक्तियाँ (नियम और स्कीम बनाने की शक्ति को छोड़कर) ऐसी परिस्थितियों में तथा ऐसी शर्तों और परिसीमाओं के अधीन रहते हुए, राज्य सरकार द्वारा या उसके अधीनस्थ ऐसे अधिकारी द्वारा भी जिसे वह ऐसी अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे, प्रयोक्तव्य होंगी।

27. केन्द्रीय सरकार की निदेश देने की शक्ति


(1) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के उपबन्धों के प्रभावी कार्यान्वय के लिये राज्य सरकार को ऐसे निदेश दे सकेगी जो वह आवश्यक समझे।

(2) उपधारा (1) के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, केन्द्रीय सरकार, किसी स्कीम के सम्बन्ध में, इस अधिनियम के अधीन अनुदत्त निधियों को जारी करने या अनुचित उपयोग के सम्बन्ध में किसी शिकायत की प्राप्ति पर, यदि प्रथम दृष्टया यह समाधान हो जाता है कि कोई मामला बनता है तो उसके द्वारा पदाभिहित किसी अभिकरण द्वारा की गई शिकायत का अन्वेषण करा सकेगी, और यदि आवश्यक हो तो स्कीम की निधियों के निर्मोचन को रोकने का आदेश कर सकेगी और उचित कालावधि के भीतर इसके उचित कार्यान्वयन के लिये समुचित उपचारी उपाय कर सकेगी।

28. अधिनियम का अध्यारोही प्रभाव होना


इस अधिनियम या उसके अधीन बनाई गई स्कीमों के उपबन्ध, तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि या ऐसी विधि के फलस्वरूप प्रभाव रखने वाली किसी लिखत में अन्तर्विष्ट उससे असंगत किसी बात के होते हुए भी, प्रभावी होंगेः

परन्तु जहाँ कोई ऐसी राज्य अधिनियमिति विद्यमान है या इस अधिनियम के उपबन्धों से संगत ग्रामीण गृहस्थी में अर्धकुशल शारीरिक कार्य के लिये नियोजन गारंटी का उपबन्ध करने के लिये अधिनियमित की जाती है, जिसके अधीन गृहस्थी की हकदारी उससे कम नहीं है और नियोजन की शर्तें उससे न्यूनतर नहीं हैं, जिनकी इस अधिनियम के अधीन गारंटी दी गई है, वहाँ राज्य सरकार को अपनी निजी अधिनियमिति को कार्यान्वित करने का विकल्प होगाः

परन्तु यह और कि ऐसे मामलों में वित्तीय सहायता, सम्बद्ध राज्य सरकार को ऐसी रीति से सन्दत्त की जाएगी, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अवधारित की जाएगी, जो उससे अधिक न होगी, जिसे वह राज्य इस अधिनियम के अधीन प्राप्त करने का तब हकदार होता जब इस अधिनियम के अधीन बनाई गई कोई स्कीम कार्यान्वित की जानी होती।

29. अनुसूूचियों को संशोधित करने की शक्ति


(1) यदि केन्द्रीय सरकार का यह समाधान हो जाता है कि ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है तो वह, अधिसूचना द्वारा, अनुसूची 1 या अनुसूची 2 का संशोधन कर सकेगी और तदुपरि, यथास्थिति, अनुसूची 1 या अनुसूची 2 तद्नुसार संशोधित की गई समझी जाएगी।

(2) उपधारा (1) के अधीन बनाई गई प्रत्येक अधिसूचना की प्रति उसके बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखी जाएगी।

30. सद्भावपूवर्क की गई कार्रवाई के लिये संरक्षण


(1) जिला कार्यक्रम समन्वयक, कार्यक्रम अधिकारी या किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध, जो भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 21 के अर्थान्तर्गत लोक सेवक है या समझा जाता है, किसी ऐसी बात के लिये जो इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए नियमों या स्कीमों के अधीन सद्भावपूर्वक की गई है या की जाने के लिये आशयित है, कोई वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही नहीं होगी।

31. केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति


(1) केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा और पूर्व प्रकाशन की शर्त के अधीन रहते हुए, इस अधिनियम के उपबन्धों को कार्यान्वित करने के लिये नियम बना सकेगी।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिये उपबन्ध कर सकेंगे, अर्थातः-

(क) धारा 10 की उपधारा (3) के खण्ड (ङ) के अधीन राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों की संख्या;
(ख) धारा 10 की उपधारा (4) के अधीन वे निबन्धन और शर्तें जिनके अधीन रहते हुए केन्द्रीय परिषद का अध्यक्ष और को
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