जून 2017 में महाराष्ट्र में पेश कर्ज माफी योजना किसानों के लिये ज्यादा कारगर नहीं साबित हुई है। राज्य में कर्ज माफी की अर्जी देने वाले लगभग 80 लाख किसानों में से महज 40.8 लाख को कर्ज के बोझ से राहत मिल सकी है।
देवेन्द्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने किसानों का 34022 करोड़ रुपए का कर्ज माफ करने का वादा किया था। हालांकि वह कर्ज माफी और समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि के रूप में महज 16980 करोड़ जारी कर पाई है।
आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य में 90 लाख से अधिक लघु एवं सीमान्त किसानों ने कृषि ऋण लिया था, लेकिन कड़ी शर्तों के चलते इनमें से आधे से ज्यादा (लगभग 50 लाख किसान) कर्ज माफी योजना के लाभ से महरूम रह गए
। बैंकों से नया कर्ज मिलने में देरी और आनाकानी से किसानों पर दोहरी मार पड़ी है। उन्हें निजी सहायता समूहों और सूदखोरों से पैसे उधार लेने पड़े हैं।
जानकारों के मुताबिक कर्जमाफी की आस में किसानों ने बैंक की किस्त भरना बन्द कर दिया। बैंकों ने भी किसानों को दिए जाने वाले ऋण में कटौती कर दी। 2018 के खरीफ बुवाई सत्र में बैंको ने 23 हजार करोड़ रुपए ही कुल कर्ज जारी किया, जबकि इस बाबत 53 हजार करोड़ रुपए का लक्ष्य तय किया गया था।
तीन साल से आफत में अन्नदाता
वरधा जिले के डोरली गाँव निवासी गोपाल घरकेले कहते हैं, बीते तीन साल हम पर आफत बनकर टूटे हैं। 2017 में पिंक बुलवॉर्म के आतंक ने कपास की पूरी फसल चौपट कर दी। उसके पिछले साल नोटबन्दी ने बेहाल किया और इस साल सूखे की मार ने कहीं का नहीं छोड़ा। बताते चले कि डोरली वही गाँव है, जिसने गरीबों के चलते खुद को बेचने की पेशकश करके देश-दुनिया की मीडिया का ध्यान खींचा था।
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