छत्तीसगढ़ में एक-एक कर नदियों के पानी पर कंपनियों को मालकियत दी जा रही है। प्राकृतिक संसाधनों पर स्थानीय समुदाय के अधिकारों की अवहेलना कर कंपनियों को सौंपा जा रहा है। महानदी पर कई कंपनियां अपनी-अपनी बैराज बनाएंगी और इकट्ठा होने वाली पानी को बेचेगी। जिससे वे करोड़ों रुपए कमाएंगी। इतना ही नहीं सरकार ने उनको कई तरह की टैक्स में छूट भी दी है। महानदी के पानी के इस निजीकरण के बारे में बता रहे हैं संजय पांडेय।
पहले खेती की जमीन हाथ से गई अब हलक से महानदी का पानी भी रमन सरकार ने छीन लिया। सरकार अब इस नदी की छाती पर बांध बनाएगी ताकि धंधेबाजों को कोई दिक्कत ना हो। पावर प्लांट की फसल लहलहाने के लिए बेताब बीजेपी सरकार ने प्रदेश की प्राणदायिनी कही जाने वाली महानदी के पानी को कारोबारियों को बेच दिया है। इतना ही नहीं पांच साल तक उनसे कोई जलकर भी नहीं लिया जाएगा। यानि खरबों की राशि माफ। किसानों को महानदी से पानी ना लेने देने की खबरें तो अरसे से चल रही थी पर उस समय से ये साफ हो गया जब विधानसभा में ये मामला गूंजा।
बजट सत्र में कांग्रेसी विधायक के सवाल के जवाब में जल संसाधन मंत्री रामविचार नेताम ने 72 पावर प्लांट कम्पनियों के साथ महानदी पर बैराज बनाने के वास्ते 5 साल के लिए एग्रीमेंट किए जाने की बात स्वीकार कर ली। हैरत की बात तो यह है कि रायगढ़ और जांजगीर-चांपा जिले में पावर प्लांट लगाने के लिए महानदी पर बैराज बनाने के वास्ते एग्रीमेंट करने वाले उद्योगपति आने वाले 5 साल तक सरकार को एक धेला जलकर भी नहीं देंगे। अनुबंध के मुताबिक उद्योगपतियों को हर साल प्रस्तावित बैराज से 976.53 घनमीटर पानी मिलेगा। वर्तमान दरों के मुताबिक इतनी भारी मात्रा से सरकार को एक साल में 585 करोड़ 92 लाख रुपए का जलकर मिलता। दूसरी ओर लागत निकालने के एवज में सरकार ने 5 साल तक अरबों रुपए का जलकर ही माफ कर दिया।
जिन कम्पनियों के साथ महानदी पर बैराज बनाने का अनुबंध किया गया है वे कम्पनियां निर्माण का खर्च उठाने के बदले महानदी का पानी किसानों को देने या नहीं देने के लिए स्वतंत्र है। यानि कि 5 साल तक रायगढ़ और जांजगीर चांपा के किसान महानदी के पानी का उपयोग नहीं कर पाएंगे। अनुबंध के मुताबिक किसानों को 20 प्रतिशत पानी दिए जाने का उल्लेख है मगर यह कैसे और किस मात्रा में दिया जाएगा, इस बात का एग्रीमेंट में कोई उल्लेख नहीं किया गया है। दूसरी ओर इस बात का उल्लेख किया गया है कि कम बारिश होने या तेज गर्मी पडऩे की स्थिति में पानी के वाष्पीकरण की वजह से उद्योगपति पानी देने अथवा नहीं देने के लिए स्वतंत्र रहेंगे।
8 साल पूर्व जब अजीत जोगी की कांग्रेस सरकार सत्ता में थी तब राजनांदगांव जिले में शिवनाथ नदी पर रेडियस वाटर कम्पनी द्वारा बैराज बनाने के लिए सरकार द्वारा अनुबंध करने का मामला सामने आया था। उस वक्त भाजपा विधायकों ने खूब हंगामा विधानसभा में मचाया गया था। दोनों सरकारों के अनुबंध में फर्क केवल इतना है कि बीजेपी ने 5 साल के लिए एग्रीमेंट किया है दूसरी ओर रेडियस वाटर के साथ हुए एग्रीमेंट में बैराज पर पूरा अधिकार कम्पनी का है।
नदी बेचने से किसानों को पानी नहीं मिलेगा, नतीजा ना खेती होगी और ना किसानी बचेगी। उद्योगपति बैराज बनाने को करोड़ों खर्चेंगे मगर 5 साल के भीतर बैराज की संग्रहण क्षमता से कई गुना ज्यादा पानी उपयोग कर लेंगे। अनुबंध में सरकार द्वारा किसानों के पक्ष में कुछ नहीं लिखा गया है केवल औद्योगिक प्रयोजन से बैराज बनाया जाना लिखा गया है।
पहले खेती की जमीन हाथ से गई अब हलक से महानदी का पानी भी रमन सरकार ने छीन लिया। सरकार अब इस नदी की छाती पर बांध बनाएगी ताकि धंधेबाजों को कोई दिक्कत ना हो। पावर प्लांट की फसल लहलहाने के लिए बेताब बीजेपी सरकार ने प्रदेश की प्राणदायिनी कही जाने वाली महानदी के पानी को कारोबारियों को बेच दिया है। इतना ही नहीं पांच साल तक उनसे कोई जलकर भी नहीं लिया जाएगा। यानि खरबों की राशि माफ। किसानों को महानदी से पानी ना लेने देने की खबरें तो अरसे से चल रही थी पर उस समय से ये साफ हो गया जब विधानसभा में ये मामला गूंजा।
बजट सत्र में कांग्रेसी विधायक के सवाल के जवाब में जल संसाधन मंत्री रामविचार नेताम ने 72 पावर प्लांट कम्पनियों के साथ महानदी पर बैराज बनाने के वास्ते 5 साल के लिए एग्रीमेंट किए जाने की बात स्वीकार कर ली। हैरत की बात तो यह है कि रायगढ़ और जांजगीर-चांपा जिले में पावर प्लांट लगाने के लिए महानदी पर बैराज बनाने के वास्ते एग्रीमेंट करने वाले उद्योगपति आने वाले 5 साल तक सरकार को एक धेला जलकर भी नहीं देंगे। अनुबंध के मुताबिक उद्योगपतियों को हर साल प्रस्तावित बैराज से 976.53 घनमीटर पानी मिलेगा। वर्तमान दरों के मुताबिक इतनी भारी मात्रा से सरकार को एक साल में 585 करोड़ 92 लाख रुपए का जलकर मिलता। दूसरी ओर लागत निकालने के एवज में सरकार ने 5 साल तक अरबों रुपए का जलकर ही माफ कर दिया।
किसानों के लिए केवल 2 फीसदी
जिन कम्पनियों के साथ महानदी पर बैराज बनाने का अनुबंध किया गया है वे कम्पनियां निर्माण का खर्च उठाने के बदले महानदी का पानी किसानों को देने या नहीं देने के लिए स्वतंत्र है। यानि कि 5 साल तक रायगढ़ और जांजगीर चांपा के किसान महानदी के पानी का उपयोग नहीं कर पाएंगे। अनुबंध के मुताबिक किसानों को 20 प्रतिशत पानी दिए जाने का उल्लेख है मगर यह कैसे और किस मात्रा में दिया जाएगा, इस बात का एग्रीमेंट में कोई उल्लेख नहीं किया गया है। दूसरी ओर इस बात का उल्लेख किया गया है कि कम बारिश होने या तेज गर्मी पडऩे की स्थिति में पानी के वाष्पीकरण की वजह से उद्योगपति पानी देने अथवा नहीं देने के लिए स्वतंत्र रहेंगे।
कांग्रेस कर चुकी है कारनामा
8 साल पूर्व जब अजीत जोगी की कांग्रेस सरकार सत्ता में थी तब राजनांदगांव जिले में शिवनाथ नदी पर रेडियस वाटर कम्पनी द्वारा बैराज बनाने के लिए सरकार द्वारा अनुबंध करने का मामला सामने आया था। उस वक्त भाजपा विधायकों ने खूब हंगामा विधानसभा में मचाया गया था। दोनों सरकारों के अनुबंध में फर्क केवल इतना है कि बीजेपी ने 5 साल के लिए एग्रीमेंट किया है दूसरी ओर रेडियस वाटर के साथ हुए एग्रीमेंट में बैराज पर पूरा अधिकार कम्पनी का है।
नहीं उगेगी फसल
नदी बेचने से किसानों को पानी नहीं मिलेगा, नतीजा ना खेती होगी और ना किसानी बचेगी। उद्योगपति बैराज बनाने को करोड़ों खर्चेंगे मगर 5 साल के भीतर बैराज की संग्रहण क्षमता से कई गुना ज्यादा पानी उपयोग कर लेंगे। अनुबंध में सरकार द्वारा किसानों के पक्ष में कुछ नहीं लिखा गया है केवल औद्योगिक प्रयोजन से बैराज बनाया जाना लिखा गया है।
जिला | नदी | बैराज | लागत राशि | जलकर प्रति साल |
रायगढ़ | महानदी | साराडीह | 372 करोड़ 84 लाख | 136 करोड़ 40 लाख |
रायगढ़ | महानदी | कलमा | 163 करोड़ 92 लाख | 139 करोड़ 92 लाख |
रायगढ़ | महानदी | मिरौनी | 319 करोड़ 44 लाख | 120 करोड़ |
जांजगीर-चांपा | महानदी | बसंतपुर | 209 करोड़ 1 लाख | 133 करोड़ 20 लाख |
जांजगीर-चांपा | महानदी | शिवरीनारायण | 116 करोड़ 44 लाख | 56 करोड़ 40 लाख |
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