भारत के मुख्य बेसिन में से एक महानदी बेसिन पूर्वी भारत में स्थित है। इस बेसिन का कुल अपवाह क्षेत्र 141569 वर्ग कि.मी. है। इसमें छत्तीसगढ़ व उड़ीसा राज्य के बड़े भाग सम्मिलित हैं। यह बेसिन पूर्वी देशान्तर के 80.30। से 86.50। और उत्तरी अक्षांश के 19.20। से 23.35। तक के बीच स्थित है। महानदी बेसिन के मध्य भाग में एक बड़ा जलाशय हीराकुंड स्थित है। इस जलाशय का कुल अपवाह क्षेत्र 83400 वर्ग कि.मी. है। वास्तव में हीराकुंड के नीचे लगभग 50000 वर्ग कि.मी. की निचली धारा का भाग बाढ़ में सहयोग करता है।
इस भाग में किसी भी प्रकार की ऐसी प्रणाली का प्रयोग नहीं किया जाता जिससे बाढ़ की भविष्यवाणी की जा सके। इस भाग में तीन मुख्य सहायक नदियाँ टेल, लौंग और जीरा हैं। इनका अपवाह क्षेत्र क्रमशः 25045, 5128 व 2383 वर्ग कि.मी. है। टेल नदी का अपवाह क्षेत्र अधिक है। इसीलिए बाढ़ में इसका सहयोग सर्वाधिक होता है। वर्ष 2008 की बाढ़ भी इसी नदी के कारण आयी थी उस वर्ष इसने 33762 क्यूसेक का उच्च रिसाव पैदा किया था।
संरचनात्मक विधि से बाढ़ को रोकना काफी कठिन व अपर्याप्त होता है। बाढ़ से हो रही जान माल की भारी ताबाही को रोकने के लिए एक उच्च श्रेणी के माडल की आवश्यकता है, जो समय पर बाढ़ की भविष्यवाणी कर सके। प्रस्तुत अध्ययन में महानदी में बाढ़ की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की गई है और महानदी बेसिन में बाढ़ की समस्याओं को कम करने के लिए प्रयोग की जा रही विभिन्न बाढ़ प्रबन्धन विधियों पर भी प्रकाश डाला गया है।
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