कहते है कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता बशर्ते की आप उसे शिद्दत के साथ करे,इंसान चाहे तो रेगिस्तान में भी जलधारा को ढूंढ सकता और अपनी प्यास बूझा सकता है आज जिस नदी की बात हम आपसे करने जा रहे है वो नदी कभी पूरी तरह सूख चुकी थी, उसका अस्तित्व लगभग ख़त्म हो गया था , लेकिन एक प्रयास ने उसे एक बार फिर पुनर्जीवित कर दिया । हिंडन नदी, सहारनपुर से बहने वाली एक विशाल नदी है इस नदी को जीवंत करने का बीड़ा शासन के साथ-साथ सेण्टर फॉर वाटर पीस के अध्यक्ष संजय कश्यप ने भी उठाया। हिंडन नदी में जो पानी है उसे कहा जाता है कि वो उसका अपना नहीं बल्कि फैक्ट्री और नालो से आता है और ये बात काफी हद तक सही भी है लेकिन इस बात को भी नहीं भुलाया जा सकता कि, कभी तो इस नदी में भी प्राकृतिक रूप से पानी रहा होगा, बस उसी पानी को दुबारा पुनर्जीवित करने के लिए सहारनपुर के कमिश्नर ने हिंडन नदी पर चिंता जाहिर करते हुए इसके पुनर्जीवित करने के लिए एक टीम गठित की जिसमें सेण्टर फॉर वाटर पीस के अध्यक्ष संजय कश्यप, पर्यावरण प्लानर डॉक्टर उमैर सैफ के नेतृत्व में हिंडन नदी का एक सर्वे किया गया ।
पर्यावरण प्लानर डॉक्टर उमैर सैफ ने बताया कि सर्वे से यही बात समाने आई है कि हिंडन में जल के अदृश्य प्राकृतिक जल स्रोत है जिसके बाद ये तय किया गया की जयंतीपुर में स्रोत को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास किये जाएंगे और प्रयास शुरू भी हुए जिसमें ग्राम प्रधान जयंतीपुर ने भी हिस्सा लिया और ग्रामीणों के साथ एक विशेष अभियान चलाया गया। इन सभी लोगो की मेहनत आखिरकार रंग लाई और पानी के स्रोत को दुबारा पुनर्जीवित किया गया। अब आलम ये है की जलधारा यहाँ पर बहने लगी है। इस स्रोत को पुनर्जीवित करने के कई संगठन और महिला स्वयं सहायता समूह के साथ साथ छात्र छात्राओं ने भी हिस्सा लिया पहले इन सभी लोगो ने एक जगह को चिन्हित किया उसमे धीरे - धीरे खुदाई शुरू की और आस पास की सिल्ट को हटाया गया।
इसके बाद पानी की धरा प्रवाहित होने लगी जल के बहाव को सुनिश्चित करने के लिए बाकायदा नालिया बनाई गई फिर उनके सरंक्षण के लिए छोटे छोटे कुंड का निर्माण किया गया। प्रशासन ने स्थानीय लोगो और छात्र छात्राओं ने ये साबित कर दिया की कोई भी नेक प्रयास विफल नहीं हो सकता है इसलिए आज हिंडन में स्वच्छ जलधारा बह रही है ये मिस्साल है उन लोगो और सरकारों के लिए जहाँ नदिया सूख चुकी है और उनके पुनर्जीवित के लिए कोई कदम नहीं उठाये जा रहे है।
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